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'जनसंख्या नियंत्रण' के बाद अब 'जातीय जनगणना' पर मुखर हैं नीतीश कुमार!

बिहार एनडीए (Bihar Politics) में जातीय जनगणना को लेकर बयानबाजी हो रही है. सीएम नीतीश कुमार पहले जनसंख्या नियंत्रण और अब जातीय जनगणना को लेकर मुखर दिख रहे हैं. वहीं, बीजेपी ने भी साफ कह दिया है कि एससी और एसटी को छोड़कर इस बार जातीय जनगणना नहीं होगी. पढ़ें रिपोर्ट..

बिहार एनडीए
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Published : Jul 26, 2021, 1:18 AM IST

पटना: बिहार एनडीए (Bihar NDA) में एक बार फिर सियासी घमासान मचा हुआ है. इस बार जातिगत जनगणना को लेकर बयानबाजी हो रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) जातीय जनगणना को लेकर मुखर दिख रहे हैं. वहीं, बीजेपी (BJP) ने भी अपने इरादे साफ कर दिए है.

जदयू (JDU) के नेता लगातार कह रहे हैं कि जातीय जनगणना (Caste Census) एक बार होना जरूरी है. इससे विकास योजना को तैयार करने में मदद मिलेगी. लेकिन, बीजेपी का कहना है कि जनगणना आर्थिक आधार पर होना चाहिए. राष्ट्रीय जात-पात से ऊपर उठ रहा है, इसलिए जातीय जनगणना से राष्ट्रवाद को खतरा है.

देखें रिपोर्ट

लेकिन, नीतीश कुमार इस मुद्दे को इसलिए भी छोड़ना नहीं चाहते हैं, क्योंकि ओबीसी बिहार चुनाव (Bihar Election) में हार जीत का फैसला करता है और राजद (RJD) की नजर भी ओबीसी पर है. बिहार एनडीए में जदयू और बीजेपी दो प्रमुख दल है और दोनों के बीच विवाद खत्म नहीं हो रहे हैं. जनसंख्या नियंत्रण से लेकर जातीय जनगणना तक में जदयू और बीजेपी दोनों आमने-सामने दिख रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होने के बाद बीजेपी नेताओं ने बिहार में भी लागू करने की मांग शुरू कर दी थी. वहीं, अब केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से जातीय जनगणना कराने से इनकार करने के बाद जदयू मुखर है.

ये भी पढ़ें- केरल: INL के दो विरोधी गुटों के समर्थकों के बीच झड़प के बाद पार्टी में पड़ी फूट

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद कह रहे हैं कि जब बिहार विधानमंडल से दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव केंद्र को भेजा जा चुका है, तो केंद्र सरकार को जातीय जनगणना पर विचार करना चाहिए. जातीय जनगणना कराने की मांग लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) भी लंबे समय से करते रहे हैं और नीतीश कुमार को लगता है कि यह बड़ा मुद्दा है. कहीं, आरजेडी इस मुद्दे को अडॉप्ट न कर ले और इसलिए नीतीश कुमार इसे किसी भी कीमत पर हाथ से जाने नहीं देना चाह रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX
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बिहार चुनाव में ओबीसी सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है और ओबीसी को लेकर नीतीश कुमार अब कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहते हैं. ओबीसी को अपने साथ जोड़ने के लिए ही जातीय जनगणना का राग अलाप रहे हैं. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि बिहार सरकार की यह पुरानी मांग है और जदयू की भी मांग पुरानी है, इसलिए तो बिहार से दो-दो बार विधानमंडल से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराकर केंद्र को भेजा गया है.

हालांकि, बीजेपी जदयू की बात से अब सहमत नहीं है. बिहार विधानमंडल में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराने में बीजेपी ने जरूर साथ दिया था, लेकिन अब केंद्र के फैसले को बिहार बीजेपी सही बता रही है. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि 'केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने साफ कर दिया है कि जातीय जनगणना नहीं होगी और अब राष्ट्र जातिवाद से ऊपर उठ रहा है, ऐसे में जातीय जनगणना की मांग राष्ट्र हित में नहीं है. नीतीश कुमार केंद्र सरकार के सभी फैसलों के साथ रहे हैं, इस फैसले में भी जरूर साथ देंगे.'

ईटीवी ग्राफिक्स
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ये भी पढ़ें- फारुख अब्दुल्ला का पीएम मोदी पर बड़ा हमला, 'दिल जीतने की नहीं की कोशिश'

वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि '2011 में आर्थिक और जाति जनगणना हुई, लेकिन जातीय जनगणना का प्रकाशन नहीं किया गया. इसमें कई तरह की त्रुटियां थीं, जिसे बाद में ठीक करने की बात भी कही गई. विपक्ष लगातार जातीय जनगणना प्रकाशन की मांग करता रहा है और इस पर सियासत भी होती रही है. नीतीश कुमार को लगता है कि यह मुद्दा आरजेडी के लोग ना उठा दें, इसलिए वो मुखर होकर इस पर बोल रहे हैं.

बता दें कि जातीय जनगणना पर नीतीश कुमार के साथ पूरी पार्टी मुखर है. हाल ही में जदयू में आए उपेंद्र कुशवाहा भी खुलकर बोल रहे हैं. आरजेडी के तरफ से तो यहां तक कहा जा रहा है कि यदि जातीय जनगणना कराने के लिए केंद्र सरकार तैयार ना हो तो जदयू हमारा समर्थन करें. कुल मिलाकर बिहार में फिलहाल जातीय जनगणना पर सियासत खूब हो रही है.

पटना: बिहार एनडीए (Bihar NDA) में एक बार फिर सियासी घमासान मचा हुआ है. इस बार जातिगत जनगणना को लेकर बयानबाजी हो रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) जातीय जनगणना को लेकर मुखर दिख रहे हैं. वहीं, बीजेपी (BJP) ने भी अपने इरादे साफ कर दिए है.

जदयू (JDU) के नेता लगातार कह रहे हैं कि जातीय जनगणना (Caste Census) एक बार होना जरूरी है. इससे विकास योजना को तैयार करने में मदद मिलेगी. लेकिन, बीजेपी का कहना है कि जनगणना आर्थिक आधार पर होना चाहिए. राष्ट्रीय जात-पात से ऊपर उठ रहा है, इसलिए जातीय जनगणना से राष्ट्रवाद को खतरा है.

देखें रिपोर्ट

लेकिन, नीतीश कुमार इस मुद्दे को इसलिए भी छोड़ना नहीं चाहते हैं, क्योंकि ओबीसी बिहार चुनाव (Bihar Election) में हार जीत का फैसला करता है और राजद (RJD) की नजर भी ओबीसी पर है. बिहार एनडीए में जदयू और बीजेपी दो प्रमुख दल है और दोनों के बीच विवाद खत्म नहीं हो रहे हैं. जनसंख्या नियंत्रण से लेकर जातीय जनगणना तक में जदयू और बीजेपी दोनों आमने-सामने दिख रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होने के बाद बीजेपी नेताओं ने बिहार में भी लागू करने की मांग शुरू कर दी थी. वहीं, अब केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से जातीय जनगणना कराने से इनकार करने के बाद जदयू मुखर है.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद कह रहे हैं कि जब बिहार विधानमंडल से दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव केंद्र को भेजा जा चुका है, तो केंद्र सरकार को जातीय जनगणना पर विचार करना चाहिए. जातीय जनगणना कराने की मांग लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) भी लंबे समय से करते रहे हैं और नीतीश कुमार को लगता है कि यह बड़ा मुद्दा है. कहीं, आरजेडी इस मुद्दे को अडॉप्ट न कर ले और इसलिए नीतीश कुमार इसे किसी भी कीमत पर हाथ से जाने नहीं देना चाह रहे हैं.

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बिहार चुनाव में ओबीसी सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है और ओबीसी को लेकर नीतीश कुमार अब कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहते हैं. ओबीसी को अपने साथ जोड़ने के लिए ही जातीय जनगणना का राग अलाप रहे हैं. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि बिहार सरकार की यह पुरानी मांग है और जदयू की भी मांग पुरानी है, इसलिए तो बिहार से दो-दो बार विधानमंडल से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराकर केंद्र को भेजा गया है.

हालांकि, बीजेपी जदयू की बात से अब सहमत नहीं है. बिहार विधानमंडल में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराने में बीजेपी ने जरूर साथ दिया था, लेकिन अब केंद्र के फैसले को बिहार बीजेपी सही बता रही है. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि 'केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने साफ कर दिया है कि जातीय जनगणना नहीं होगी और अब राष्ट्र जातिवाद से ऊपर उठ रहा है, ऐसे में जातीय जनगणना की मांग राष्ट्र हित में नहीं है. नीतीश कुमार केंद्र सरकार के सभी फैसलों के साथ रहे हैं, इस फैसले में भी जरूर साथ देंगे.'

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वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि '2011 में आर्थिक और जाति जनगणना हुई, लेकिन जातीय जनगणना का प्रकाशन नहीं किया गया. इसमें कई तरह की त्रुटियां थीं, जिसे बाद में ठीक करने की बात भी कही गई. विपक्ष लगातार जातीय जनगणना प्रकाशन की मांग करता रहा है और इस पर सियासत भी होती रही है. नीतीश कुमार को लगता है कि यह मुद्दा आरजेडी के लोग ना उठा दें, इसलिए वो मुखर होकर इस पर बोल रहे हैं.

बता दें कि जातीय जनगणना पर नीतीश कुमार के साथ पूरी पार्टी मुखर है. हाल ही में जदयू में आए उपेंद्र कुशवाहा भी खुलकर बोल रहे हैं. आरजेडी के तरफ से तो यहां तक कहा जा रहा है कि यदि जातीय जनगणना कराने के लिए केंद्र सरकार तैयार ना हो तो जदयू हमारा समर्थन करें. कुल मिलाकर बिहार में फिलहाल जातीय जनगणना पर सियासत खूब हो रही है.

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