ETV Bharat / bharat

Women Reservation Bill: नीतीश ने किया समर्थन, कहा- SC-ST और OBC महिलाओं के लिए हो आरक्षण का प्रावधान - Bihar Politics

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला आरक्षण बिल का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है. इसके साथ ही सीएम ने एससी-एसटी, पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण की वकालत की है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 19, 2023, 8:16 PM IST

पटना: मंगलवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश हो गया है. बुधवार को इस पर चर्चा होगी. इसको लेकर तमाम दलों ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस विधेयक का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही महिला सशक्तिकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हमलोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं. वर्ष 2006 से हमने पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 से नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया.

ये भी पढ़ें: Women Reservation Bill: कभी UPA सरकार को गिराने की धमकी देने वाले लालू अपने स्टैंड पर कायम! नीतीश करेंगे बिल को सपोर्ट

नीतीश कुमार ने की आरक्षण की वकालत: नीतीश कुमार ने अपने एक्स (ट्विटर) हैंडल पर लिखा कि हमारा मानना है कि संसद में महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि जातिगत जनगणना हुई होती तो पिछड़े एवं अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था को तुरंत लागू किया जा सकता था.

जातीय जनगणना होती तो फायदा जल्दी मिलता: बिहार के सीएम ने कहा कि महिला आरक्षण पर प्रस्तावित बिल में यह कहा गया है कि पहले जनगणना होगी, उसके बाद निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होगा. इसके बाद ही इस प्रस्तावित बिल के प्रावधान लागू होंगे. इसके लिए जनगणना का काम शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए. जनगणना तो वर्ष 2021 में ही हो जानी चाहिए थी लेकिन यह अभी तक नही हो सकी है. सीएम ने कहा कि जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी करानी चाहिए, तभी इसका सही फायदा महिलाओं को मिलेगा.

महिला आरक्षण पर नीतीश सरकार की उपलब्धि: इस दौरान नीतीश कुमार ने बिहार में महिलाओं के लिए किए गए कार्यों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 से ही प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 प्रतिशत और वर्ष 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. वर्ष 2013 से बिहार पुलिस में भी महिलाओं कोे 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. आज बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी देश में सर्वाधिक है. बिहार में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत नामांकन में न्यूनतम 33 प्रतिशत सीटें छात्राओं के लिये आरक्षित की गयी हैं, ऐसा करनेवाला बिहार देश का पहला राज्य है.

नीतीश ने जीविका दीदी का किया जिक्र: मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने वर्ष 2006 में राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए परियोजना शुरू की जिसका नामकरण 'जीविका' किया. बाद में तत्कालीन केन्द्र सरकार द्वारा इसकी तर्ज पर महिलाओं के लिए आजीविका कार्यक्रम चलाया गया. बिहार में अब तक 10 लाख 47 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है, जिसमें 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक महिलाएं जुड़कर जीविका दीदियां बन गईं हैं.

क्या है महिला आरक्षण बिल?: मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में 128वां संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया. इसके तहत लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान होगा. आसान भाषा में समझें तो लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी. महिलाओं के लिए आरक्षण की यह व्यवस्था 15 साल के लिए होगी, उसके बाद आरक्षण के लिए फिर से बिल लाना होगा. राज्यसभा और विधान परिषद में महिला आरक्षण लागू नहीं होगा.

पटना: मंगलवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश हो गया है. बुधवार को इस पर चर्चा होगी. इसको लेकर तमाम दलों ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस विधेयक का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही महिला सशक्तिकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हमलोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं. वर्ष 2006 से हमने पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 से नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया.

ये भी पढ़ें: Women Reservation Bill: कभी UPA सरकार को गिराने की धमकी देने वाले लालू अपने स्टैंड पर कायम! नीतीश करेंगे बिल को सपोर्ट

नीतीश कुमार ने की आरक्षण की वकालत: नीतीश कुमार ने अपने एक्स (ट्विटर) हैंडल पर लिखा कि हमारा मानना है कि संसद में महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि जातिगत जनगणना हुई होती तो पिछड़े एवं अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था को तुरंत लागू किया जा सकता था.

जातीय जनगणना होती तो फायदा जल्दी मिलता: बिहार के सीएम ने कहा कि महिला आरक्षण पर प्रस्तावित बिल में यह कहा गया है कि पहले जनगणना होगी, उसके बाद निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होगा. इसके बाद ही इस प्रस्तावित बिल के प्रावधान लागू होंगे. इसके लिए जनगणना का काम शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए. जनगणना तो वर्ष 2021 में ही हो जानी चाहिए थी लेकिन यह अभी तक नही हो सकी है. सीएम ने कहा कि जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी करानी चाहिए, तभी इसका सही फायदा महिलाओं को मिलेगा.

महिला आरक्षण पर नीतीश सरकार की उपलब्धि: इस दौरान नीतीश कुमार ने बिहार में महिलाओं के लिए किए गए कार्यों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 से ही प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 प्रतिशत और वर्ष 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. वर्ष 2013 से बिहार पुलिस में भी महिलाओं कोे 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. आज बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी देश में सर्वाधिक है. बिहार में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत नामांकन में न्यूनतम 33 प्रतिशत सीटें छात्राओं के लिये आरक्षित की गयी हैं, ऐसा करनेवाला बिहार देश का पहला राज्य है.

नीतीश ने जीविका दीदी का किया जिक्र: मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने वर्ष 2006 में राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए परियोजना शुरू की जिसका नामकरण 'जीविका' किया. बाद में तत्कालीन केन्द्र सरकार द्वारा इसकी तर्ज पर महिलाओं के लिए आजीविका कार्यक्रम चलाया गया. बिहार में अब तक 10 लाख 47 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है, जिसमें 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक महिलाएं जुड़कर जीविका दीदियां बन गईं हैं.

क्या है महिला आरक्षण बिल?: मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में 128वां संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया. इसके तहत लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान होगा. आसान भाषा में समझें तो लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी. महिलाओं के लिए आरक्षण की यह व्यवस्था 15 साल के लिए होगी, उसके बाद आरक्षण के लिए फिर से बिल लाना होगा. राज्यसभा और विधान परिषद में महिला आरक्षण लागू नहीं होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.