भोजपुर: बिहार के भोजपुर के 41 वर्षीय जवान सुधीर कुमार जम्मू कश्मीर में शहीद हो (Sudhir Kumar martyr of Bhojpur) गए. जम्मू कश्मीर के रजौरी में एंबुलेंस खाई में गिरी थी. इस हादसे में सेना के दो जवान शहीद हुए हैं. शहीद जवान सुधीर कुमार कोईलवर प्रखंड के चांदी थाना क्षेत्र के कुंजन टोला के रहने वाले थे. मृतक आर्मी में हवलदार के पद पर कार्यरत थे.जवान सुधीर एंबुलेंस लेकर जम्मू कश्मीर के रजौरी सेक्टर जा रहे थे. तभी रास्ते में रजौरी के पास एंबुलेंस खाई में पलट गई. साल 2003 में सुधीर कुमार आर्मी में बहाल हुए थे.
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सोमवार को होगा अंतिम संस्कार: शहीद जवान का पार्थिव शव रविवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर आ चुका है. अब दानापुर आर्मी कैंप में आज शाम तक शव को लाया जायेगा. सोमवार की सुबह पार्थिव शव पैतृक गांव कुंजनटोला लाया जायेगा. उसके बाद राजकीय सम्मान के साथ सुधीर कुमार को अंतिम विदाई दी जायेगी. फिलहाल कुंजनटोला गांव में परिवार और गांव के लोग अपने सपूत के शव के इंतेजार में टकटकी लगा कर बैठे हैं.
सुबह पत्नी से फोन पर बोले थे 10 दिन बाद आएंगे: जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के समीप एंबुलेंस पलट जाने से शहीद हुए जवान की पत्नी सुनीता ने अपने पति सुधीर से शनिवार को ही फोन पर अगली छुट्टी की बात पूछी थी. तब सुबह 10 बजे फोन पर ही सुधीर ने परिवार के हर सदस्य का हालचाल लिया था. उस समय सुधीर ने अपनी पत्नी को बताए थे कि मेरी पोस्टिंग सिलीगुड़ी हो गया. 20 मई को टिकट करा कर घर आ रहे है.उसके बाद जा कर सिलीगुड़ी जा कर जॉइन करेंगे.
1 बजे आयी मौत की सूचना: दोपहर करीब 12 बजे सुधीर को उनकी पत्नी सुनीता के द्वारा फोन किया गया था, लेकिन नेटवर्क के वजह से फोन नहीं लगा था. उसके बाद पत्नी फोन का इंतजार कर रही थी कि सुधीर जहां जा रहे थे वंहा पहुचेंगे तो फोन करेंगे. तब तक अचानक एक बजे दुर्घटना की खबर आई तो एकाएक पत्नी के रोने-बिलखने की खबर ने सबको सकते में डाल दिया. गांव की भीड़ दरवाजे पर जुट गई. आसपास गांवों के लोग भी दरवाजे पर पहुंच घटना की सच्चाई जानने को बेताब रहे.
फरवरी में आये थे आखिरी छुट्टी: फरवरी में छुट्टी पर आए सुधीर का खिलखिलाता चेहरा देख किसी ने यह अंदाजा नहीं लगाया होगा कि घर में बिखरी यह मुस्कुराहट परिजनों के लिए अंतिम होगी. पिता रमनी सिंह व मां समूहती देवी ने जैसे ही बेटे की मौत की खबर सुनी, सन्न रह गए. पत्नी सुनीता मूर्छित हो पड़ी. दोनों बेटे सुशील और अभिषेक अपने पिता की मौत की खबर सुनी तो रो पड़े. छोटा भाई वीरबहादुर ने बताया कि अभी दो दिन पहले ही उन्होंने हालचाल लिया था.