कोलकाता/पुरुलिया : लॉकडाउन के कारण कई जगहों पर लोगों को खाने की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इन्हीं में से एक पश्चिम बंगाल के पुरुलिया की सबार जनजाति भी है. इस जनजाति के 18 परिवारों के करीब 70 लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है.
![सबार जनजाति](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/wb-prl-03-19april-shabar-villagers-dose-not-have-have-ration-card-7204369_19042020143820_1904f_1587287300_659_2204newsroom_1587563112_476.jpg)
सबार जनजाति पीढ़ियों से साल, तेंदूपत्ता और महुआ के फूल एकत्र कर अपना जीवनयापन कर रही है. इन जनजातियों का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है.
राज्य सरकार ने सभी जरूरतमंद व्यक्तियों को अगले तीन महीनों के लिए पर्याप्त राशन और आवश्यक चीजें मुफ्त देने का एलान किया है. लेकिन सबार जनजाति के लोगों के पास राशन कार्ड न होने के कारण इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
![सबार जनजाति](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/wb-prl-03-19april-shabar-villagers-dose-not-have-have-ration-card-7204369_19042020143820_1904f_1587287300_131_2204newsroom_1587563112_491.jpg)
इस जनजाति के अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूर हैं. लॉकडाउन के कारण इनका काम भी बंद हो गया है. राशन कार्ड न होने के कारण इन्हें राशन नहीं मिल रहा है. हालांकि कुछ एनजीओ इनकी मदद को आगे आए हैं.
पुरुलिया के जिला मजिस्ट्रेट राहुल मजूमदार ने कहा कि प्रशासन को इस जनजाति परिवारों की असहाय स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है. स्थानीय बीडीओ को तुरंत इस मुद्दे पर संज्ञान लेने का निर्देश दिया गया है. कोई भी भूखा न रहे इसके लिए उचित कदम उठाए जाएंगे.