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असम एनआरसी : सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त तक बढ़ाई समय सीमा - असम एनआरसी

सुप्रीम कोर्ट ने असम एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट प्रकाशन की समयसीमा 31 अगस्त तक बढ़ा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी के कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला की याचिका पर आदेश पारित किया. जानें पूरा विवरण

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jul 23, 2019, 3:37 PM IST

Updated : Jul 23, 2019, 8:18 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने असम एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट प्रकाशन की समयसीमा 31 अगस्त तक बढ़ा दी है. जिन लोगों का नाम एनआरसी सूची में शामिल नहीं है उनका दोबारा सत्यापन किया जाएगा.

कोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया असम स्टूडेंट के वकील अधिवक्ता फुजाइल ए अय्युबी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने सरकार की तरफ से दो अपील खारिज कर दी है जिसमें सीमा क्षेत्रों के साथ 20 प्रतिशत परिवर्तन और असम के अन्य क्षेत्रों में 10 प्रतिशत परिवर्तन की मांग की गई है.

फुजाइल ए अय्युबी

जबकि इस मामले पर असम पब्लिक वर्क विभाग के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने कहा है कि न्यायलय का फैसला सही हो या गलत हो इसका स्वागत करना चाहिए. उन्होंने कहा कि न्यायलय द्वारा एनआरसी के लिए एक महीने का समय बढ़ाना उचित है.

अभिजीत शर्मा
उन्होंने कहा कि राज्य समन्वयक ने न्यायलय को आशवस्त किया है कि एनआरसी सूची में किसी भी बांग्लादेशी का नाम शामिल नहीं किया गया है.

ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के मुख्य सलहाकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ है. कोर्ट ने दो दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि अब सैंपिल सत्यापन की जरूरत नहीं है क्योंकि इसका काम पूरा हो चुका है.

समुज्जल भट्टाचार्य

ऑल इंडिया असम स्टूडेंट यूनियन के सलाहाकार अजीजुर रहमान ने कहा है कि कोर्ट ने 18 जुलाई को दाखिल की गई याचिका पर फैसला सुनाते हुए एनआरसी सूची में जिन लोगों के नाम छूट गए हैं उनके नाम शामिल करने को कहा है.

अजीजुर रहमान

इससे पहले समय सीमा बढ़ाने की अपील पर प्रतीक हजेला ने कहा कि असम में आई बाढ़ के कारण ऐसा करना पड़ रहा है.

सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरिमन ने केंद्र सरकार की अपील ठुकरा दी. केंद्र ने 20 फीसदी सैंपल के री-वेरिफिकेशन की मांग की थी.

इससे पहले पिछले सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान भी सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कम से कम 20 फीसदी सैंपल के री-वेरिफिकेशन की अपील की थी. इसमें बांग्लादेश से लगे असम के सीमावर्ती जिलों के लोगों का री-वेरिफिकेशन किया जाना था.

एनआरसी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र ने अपील की थी कि सूची में की गई गलत प्रविष्टियों से बचने के लिए सैंपल वेरिफिकेशन की अनुमति दी जाए.

एनआरसी पर सर्बानंद सोनोवाल का बयान

इससे पहले बीते मई महीने में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने दोहराया था कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के नाम पर किसी भी वास्तविक भारतीय नागरिक को कोई नुकसान नहीं होगा.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने असम एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट प्रकाशन की समयसीमा 31 अगस्त तक बढ़ा दी है. जिन लोगों का नाम एनआरसी सूची में शामिल नहीं है उनका दोबारा सत्यापन किया जाएगा.

कोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया असम स्टूडेंट के वकील अधिवक्ता फुजाइल ए अय्युबी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने सरकार की तरफ से दो अपील खारिज कर दी है जिसमें सीमा क्षेत्रों के साथ 20 प्रतिशत परिवर्तन और असम के अन्य क्षेत्रों में 10 प्रतिशत परिवर्तन की मांग की गई है.

फुजाइल ए अय्युबी

जबकि इस मामले पर असम पब्लिक वर्क विभाग के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने कहा है कि न्यायलय का फैसला सही हो या गलत हो इसका स्वागत करना चाहिए. उन्होंने कहा कि न्यायलय द्वारा एनआरसी के लिए एक महीने का समय बढ़ाना उचित है.

अभिजीत शर्मा
उन्होंने कहा कि राज्य समन्वयक ने न्यायलय को आशवस्त किया है कि एनआरसी सूची में किसी भी बांग्लादेशी का नाम शामिल नहीं किया गया है.

ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के मुख्य सलहाकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ है. कोर्ट ने दो दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि अब सैंपिल सत्यापन की जरूरत नहीं है क्योंकि इसका काम पूरा हो चुका है.

समुज्जल भट्टाचार्य

ऑल इंडिया असम स्टूडेंट यूनियन के सलाहाकार अजीजुर रहमान ने कहा है कि कोर्ट ने 18 जुलाई को दाखिल की गई याचिका पर फैसला सुनाते हुए एनआरसी सूची में जिन लोगों के नाम छूट गए हैं उनके नाम शामिल करने को कहा है.

अजीजुर रहमान

इससे पहले समय सीमा बढ़ाने की अपील पर प्रतीक हजेला ने कहा कि असम में आई बाढ़ के कारण ऐसा करना पड़ रहा है.

सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरिमन ने केंद्र सरकार की अपील ठुकरा दी. केंद्र ने 20 फीसदी सैंपल के री-वेरिफिकेशन की मांग की थी.

इससे पहले पिछले सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान भी सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कम से कम 20 फीसदी सैंपल के री-वेरिफिकेशन की अपील की थी. इसमें बांग्लादेश से लगे असम के सीमावर्ती जिलों के लोगों का री-वेरिफिकेशन किया जाना था.

एनआरसी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र ने अपील की थी कि सूची में की गई गलत प्रविष्टियों से बचने के लिए सैंपल वेरिफिकेशन की अनुमति दी जाए.

एनआरसी पर सर्बानंद सोनोवाल का बयान

इससे पहले बीते मई महीने में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने दोहराया था कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के नाम पर किसी भी वास्तविक भारतीय नागरिक को कोई नुकसान नहीं होगा.

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SC-LD ASSAM NRC
Centre, Assam seeks in SC extension of deadline for finalisation of NRC
(Eds: Adding details, background)
          New Delhi, Jul 19 (PTI) Alleging wrongful inclusions and exclusions in the National Register of Citizens, the Centre and the Assam government Friday sought from the Supreme Court extension of the July 31 deadline for finalisation of the NRC and said India could not be the refugee capital of the world.
          A bench comprising Chief Justice Ranjan Gogoi and Justice R F Nariman took note of the submission of Solicitor General Tushar Mehta, appearing for the Centre and the state government, that they be allowed to undertake verification of 20 per cent random samples of citizens for wrongful inclusions or exclusions in the NRC.
          The court, which had fixed July 31 as the deadline for publication of the final list of the NRC, has now fixed the applications of both the governments for deliberation on July 23 on the issue of proposed sample survey.
          "Please extend the deadline for publication of final Assam NRC from July 31 to a future date. There is a growing perception that many exclusions and many more inclusions have been made wrongly," the solicitor general said.
          "India cannot be the refugee capital of the world," he said, adding there was a need to re-look the draft NRC list through sample verification.
          Mehta further said that due to the involvement of local officers lakhs of people were wrongly included in the NRC in districts bordering Bangladesh.
         Both the governments moved the apex court on July 17 seeking a direction for 20 percent sample re-verification of names included in the final NRC draft in the districts of Assam bordering Bangladesh and 10 percent sample re-verification of names included in the final draft in the remaining districts.
         The Centre's plea has also sought to suitably modify the timeline fixed for publication of the final list of NRC from July 31 to a future date.
         It has also sought direction that such re-verification exercise to be conducted by Class I officers of the state government from other districts who have knowledge and experience of handling the process of enquiry/investigation.
         The pleas have also sought a direction to fix the venue of the sample re-verification at a place which was not in the vicinity of the initial NRC verification to rule out possibility of local influences, bias and threat.
         It claimed that names of Indian citizens were excluded and illegal Bangladeshi migrants were included in the draft.
         It also referred to the apex court's 2018 order by which it had said it could consider a re-verification of 10 percent of the people who were included in the draft NRC.
         The top court had termed the issue as "human problem with great magnitude" and asked the state NRC coordinator to submit a report in a sealed cover on the ramification of allowing the claimants to file new sets of legacy documents.
         The first draft of the NRC for Assam was published on the intervening night of December 31, 2017 and January 1, 2018 in accordance with the top court's direction. Names of 1.9 crore people out of the 3.29 crore applicants were incorporated then.
         Assam, which had faced influx of people from Bangladesh since the early 20th century, is the only state having an NRC which was first prepared in 1951. PTI SJK RKS URD LLP
AAR
07191211
NNNN
Last Updated : Jul 23, 2019, 8:18 PM IST
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