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बुद्ध पूर्णिमा : प्रधानमंत्री बोले- रुकना विकल्प नहीं, विजय के लिये निरंतर प्रयास जरूरी

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Published : May 7, 2020, 7:45 AM IST

Updated : May 7, 2020, 10:57 AM IST

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लिया. जानकारी अनुसार यह कार्यक्रम कोरोना योद्धाओं के सम्मान में आयोजित किया जा रहा है. पीएम मोदी ने इस अवसर पर आज सुबह एक अहम संबोधन दिया.

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पीएम मोदी

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर ऑनलाइन वेसाक वैश्विक समारोह में हिस्सा लिया. पीएम मोदी ने इस अवसर पर संबोधन किया. उन्होंने बुद्ध पूर्णिमा और वेसाक उत्सव की शुभकामना देते हुए कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे पूरी दुनिया के हेल्थ वर्कर्स और दूसरे सेवा-कर्मियों नमन के पात्र हैं. जो दिन-रात, हर समय मानवता की सेवा में जुटे रहते हैं, वही बुद्ध के सच्चे अनुयायी हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण दुनिया में पैदा हुई उथल-पुथल और निराशा के बीच भगवान बुद्ध की सीख को पहले से भी अधिक प्रासंगिक बताते हुए कहा कि थक कर रुक जाना, कोई विकल्प नहीं होता और विजय के लिये निरंतर प्रयास जरूरी है.

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 'वेसाक वैश्विक समारोह' को वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, भारत नि:स्वार्थ भाव से, बिना कोई भेदभाव किए देश और पूरे विश्व में... संकट में घिरे लोगों के साथ पूरी मज़बूती से खड़ा है.'

पीएम मोदी का संबोधन

कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है, कई बार दुःख-निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती है.

प्रधानमंत्री के संबोधन का बिंदुवार विवरण-

आप सभी को और विश्वभर में फैले भगवान बुद्ध के अनुयायियों को बुद्ध पूर्णिमा की, वेसाक उत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. भगवान बुद्ध का वचन है-मनो पुब्बं-गमा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया, यानी, धम्म मन से ही होता है, मन ही प्रधान है, सारी प्रवृत्तियों का अगुवा है. इस मुश्किल परिस्थिति में आप अपना, अपने परिवार का, जिस भी देश में आप हैं, वहां का ध्यान रखें, अपनी रक्षा करें और यथा-संभव दूसरों की भी मदद करें.

लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर के अलावा श्रीलंका के श्री अनुराधापुर स्तूप और वास्कडुवा मंदिर में हो रहे समारोहों का इस तरह एकीकरण, बहुत ही सुंदर है. हर जगह हो रहे पूजा कार्यक्रमों का ऑनलाइन प्रसारण होना अपने आप में अद्भुत अनुभव है.

आपने इस समारोह को कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे पूरी दुनिया के हेल्थ वर्कर्स और दूसरे सेवा-कर्मियों के लिए प्रार्थना सप्ताह के रुप में मनाने का संकल्प लिया है. करुणा से भरी आपकी इस पहल के लिए मैं आपकी सराहना करता हूं.

प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारत की सभ्यता को संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है. भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति को और समृद्ध किया है. वो अपना दीपक स्वयं बनें और अपनी जीवन यात्रा से. दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित कर दिया.

बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं,किसी एक प्रसंग तक सीमित नहीं हैं. सिद्धार्थ के जन्म, सिद्धार्थ के गौतम होने से पहले और उसके बाद, इतनी शताब्दियों में समय का चक्र अनेक स्थितियों, परिस्थितियों को समेटते हुए निरंतर चल रहा है.

समय बदला, स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश हमारे जीवन में निरंतर प्रवाहमान रहा है. ये सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि एक पवित्र विचार भी. बुद्ध, त्याग और तपस्या की सीमा है. बुद्ध,सेवा और समर्पण का पर्याय है. बुद्ध मजबूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा है.

ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है, कई बार दुःख- निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती. वो कहते थे कि मानव को निरंतर ये प्रयास करना चाहिए कि वो कठिन स्थितियों पर विजय प्राप्त करे,उनसे बाहर निकले. थक कर रुक जाना,कोई विकल्प नहीं होता.आज हम सब भी एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए, निरंतर जुटे हुए हैं,साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

भगवान बुद्ध के बताए चार सत्य यानी दया, करुणा, सुख-दुख के प्रति समभाव और जो जैसा है उसको उसी रूप में स्वीकारना, ये सत्य निरंतर भारत भूमि की प्रेरणा बने हुए हैं.

पढ़ें : विशाखापट्टनम के एक कंपनी में जहरीली गैस लीक, एक बच्चे समेत आठ लोगों की मौत

पीएम मोदी ने कहा कि आज आप भी देख रहे हैं कि भारत निस्वार्थ भाव से, बिना किसी भेद के, अपने यहां भी और पूरे विश्व में, कहीं भी संकट में घिरे व्यक्ति के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है. आपके बीच आना बहुत खुशी की बात होती, लेकिन अभी हालात ऐसे नहीं हैं. इसलिए दूर से ही टेक्नोलॉजी के माध्यम से आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया, इसका मुझे संतोष है.

भारत आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास तो कर ही रहा है,अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन कर रहा है.

बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध,दोनों का प्रतीक हैं. इसी आत्मबोध के साथ,भारत निरंतर पूरी मानवता के लिए, पूरे विश्व के हित में काम कर रहा है और करता रहेगा,भारत की प्रगति,हमेशा, विश्व की प्रगति में सहायक होगी.

सुप्प बुद्धं पबुज्झन्ति,सदा गोतम सावका यानी जो दिन-रात,हर समय मानवता की सेवा में जुटे रहते हैं, वही बुद्ध के सच्चे अनुयायी हैं.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर ऑनलाइन वेसाक वैश्विक समारोह में हिस्सा लिया. पीएम मोदी ने इस अवसर पर संबोधन किया. उन्होंने बुद्ध पूर्णिमा और वेसाक उत्सव की शुभकामना देते हुए कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे पूरी दुनिया के हेल्थ वर्कर्स और दूसरे सेवा-कर्मियों नमन के पात्र हैं. जो दिन-रात, हर समय मानवता की सेवा में जुटे रहते हैं, वही बुद्ध के सच्चे अनुयायी हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण दुनिया में पैदा हुई उथल-पुथल और निराशा के बीच भगवान बुद्ध की सीख को पहले से भी अधिक प्रासंगिक बताते हुए कहा कि थक कर रुक जाना, कोई विकल्प नहीं होता और विजय के लिये निरंतर प्रयास जरूरी है.

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 'वेसाक वैश्विक समारोह' को वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, भारत नि:स्वार्थ भाव से, बिना कोई भेदभाव किए देश और पूरे विश्व में... संकट में घिरे लोगों के साथ पूरी मज़बूती से खड़ा है.'

पीएम मोदी का संबोधन

कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है, कई बार दुःख-निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती है.

प्रधानमंत्री के संबोधन का बिंदुवार विवरण-

आप सभी को और विश्वभर में फैले भगवान बुद्ध के अनुयायियों को बुद्ध पूर्णिमा की, वेसाक उत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. भगवान बुद्ध का वचन है-मनो पुब्बं-गमा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया, यानी, धम्म मन से ही होता है, मन ही प्रधान है, सारी प्रवृत्तियों का अगुवा है. इस मुश्किल परिस्थिति में आप अपना, अपने परिवार का, जिस भी देश में आप हैं, वहां का ध्यान रखें, अपनी रक्षा करें और यथा-संभव दूसरों की भी मदद करें.

लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर के अलावा श्रीलंका के श्री अनुराधापुर स्तूप और वास्कडुवा मंदिर में हो रहे समारोहों का इस तरह एकीकरण, बहुत ही सुंदर है. हर जगह हो रहे पूजा कार्यक्रमों का ऑनलाइन प्रसारण होना अपने आप में अद्भुत अनुभव है.

आपने इस समारोह को कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे पूरी दुनिया के हेल्थ वर्कर्स और दूसरे सेवा-कर्मियों के लिए प्रार्थना सप्ताह के रुप में मनाने का संकल्प लिया है. करुणा से भरी आपकी इस पहल के लिए मैं आपकी सराहना करता हूं.

प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारत की सभ्यता को संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है. भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति को और समृद्ध किया है. वो अपना दीपक स्वयं बनें और अपनी जीवन यात्रा से. दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित कर दिया.

बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं,किसी एक प्रसंग तक सीमित नहीं हैं. सिद्धार्थ के जन्म, सिद्धार्थ के गौतम होने से पहले और उसके बाद, इतनी शताब्दियों में समय का चक्र अनेक स्थितियों, परिस्थितियों को समेटते हुए निरंतर चल रहा है.

समय बदला, स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश हमारे जीवन में निरंतर प्रवाहमान रहा है. ये सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि एक पवित्र विचार भी. बुद्ध, त्याग और तपस्या की सीमा है. बुद्ध,सेवा और समर्पण का पर्याय है. बुद्ध मजबूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा है.

ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है, कई बार दुःख- निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती. वो कहते थे कि मानव को निरंतर ये प्रयास करना चाहिए कि वो कठिन स्थितियों पर विजय प्राप्त करे,उनसे बाहर निकले. थक कर रुक जाना,कोई विकल्प नहीं होता.आज हम सब भी एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए, निरंतर जुटे हुए हैं,साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

भगवान बुद्ध के बताए चार सत्य यानी दया, करुणा, सुख-दुख के प्रति समभाव और जो जैसा है उसको उसी रूप में स्वीकारना, ये सत्य निरंतर भारत भूमि की प्रेरणा बने हुए हैं.

पढ़ें : विशाखापट्टनम के एक कंपनी में जहरीली गैस लीक, एक बच्चे समेत आठ लोगों की मौत

पीएम मोदी ने कहा कि आज आप भी देख रहे हैं कि भारत निस्वार्थ भाव से, बिना किसी भेद के, अपने यहां भी और पूरे विश्व में, कहीं भी संकट में घिरे व्यक्ति के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है. आपके बीच आना बहुत खुशी की बात होती, लेकिन अभी हालात ऐसे नहीं हैं. इसलिए दूर से ही टेक्नोलॉजी के माध्यम से आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया, इसका मुझे संतोष है.

भारत आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास तो कर ही रहा है,अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन कर रहा है.

बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध,दोनों का प्रतीक हैं. इसी आत्मबोध के साथ,भारत निरंतर पूरी मानवता के लिए, पूरे विश्व के हित में काम कर रहा है और करता रहेगा,भारत की प्रगति,हमेशा, विश्व की प्रगति में सहायक होगी.

सुप्प बुद्धं पबुज्झन्ति,सदा गोतम सावका यानी जो दिन-रात,हर समय मानवता की सेवा में जुटे रहते हैं, वही बुद्ध के सच्चे अनुयायी हैं.

Last Updated : May 7, 2020, 10:57 AM IST
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