नई दिल्ली/पटना: बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बयान से जनता दल यू में 'खलबली' मच गई है. राबड़ी ने दावा किया है कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनना चाहते थे. वे यह भी चाहते थे कि बिहार में तेजस्वी यादव सीएम बनें.
राष्ट्रीय जनता दल नेता राबडी़ देवी के 'कथित' खुलासे से बिहार की राजनीति में बयानबाजी तेज हो गई है. जदयू नेता प्रशांत किशोर ने इससे पूरी तरह इनकार किया है. ईटीवी भारत को दिए गए इंटरव्यू में भी राबड़ी ने इसकी पुष्टि की है.
राबड़ी देवी ने दावा किया कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने उनके पति लालू प्रसाद से भेंट करके यह प्रस्ताव रखा था कि राजद और नीतीश कुमार के जद(यू) का विलय हो जाए और इस प्रकार बनने वाले नए दल को चुनावों से पहले अपना 'प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार' घोषित करना चाहिए.
पूर्व सीएम ने कहा कि अगर इस तरह के प्रस्ताव की बात से पीके इनकार करते हैं, तो वह सफेद झूठ बोल रहे हैं.
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले लालू यादव ने भी दावा किया था कि नीतीश कुमार महागठबंधन में फिर से शामिल होना चाहते थे, लेकिन उन्हें भरोसा नहीं रह गया है, लिहाजा इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया.
राजद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राबड़ी देवी ने कहा, 'मैं इससे बहुत नाराज हो गई और उनसे निकल जाने को कहा क्योंकि नीतीश के धोखा देने के बाद मुझे उन पर भरोसा नहीं रहा.'
राबड़ी देवी ने कहा कि हमारे सभी कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी इस बात के गवाह हैं कि उन्होंने हमसे कम से कम पांच बार मुलाकात की. मुलाकात मुख्य रूप से 10 सर्कुलर रोड पर हुई. तेजस्वी यादव से भी इस मुद्दे पर बातचीत की गई थी.
उन्होंने कहा, 'किशोर को नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव के साथ भेजा था - 'दोनों दलों का विलय कर देते हैं और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करते हैं.' वह दिन के उजाले में आए थे न कि रात में.'
कुमार के इस दावे, कि राजद सुप्रीमो जेल से ही किशोर से बात करते रहे हैं, पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, 'यहां तक कि हम (परिवार के सदस्य) लोगों को भी उनसे (लालू प्रसाद) फोन पर बात करने का मौका नहीं मिलता है और अनंत सिंह के दावे का क्या जो कहते हैं कि उनके जेल में रहने के दौरान ललन सिंह (मंत्री) नीतीश से टेलीफोन पर बातचीत करवाते थे.'
माफिया डॉन से राजनीतिज्ञ बने मोकामा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले अनंत सिंह पहले कुमार के निकट थे पर 2015 के चुनाव से पहले उनके रिश्ते खराब हो गए.
आपको बता दें कि 2017 में नीतीश कुमार राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में शामिल हो गए थे.
बीते साल सितम्बर में जद(यू) के पूर्ण सदस्य बने किशोर ने प्रसाद के इस दावे के बाद ट्विटर पर स्वीकार किया था कि उन्होंने जद(यू) की सदस्यता लेने से पूर्व प्रसाद से कई बार मुलाकात की थी. हालांकि, किशोर ने यह भी कहा कि अगर वह यह बताएंगे कि किस बात पर चर्चा हुई थी तो उन्हें (प्रसाद को) शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है.
नीतीश कुमार और लालू यादव लंबे समय तक राजनीति एक साथ करते रहे हैं. लालू को सीएम बनवाने में भी नीतीश की अहम भूमिका रही है. उन्हें लालू का चाणक्य तक कहा जाता था. हालांकि, बाद में दोनों के बीच मनमुटाव हो गया. दोनों की राहें जुदा हो गईं.