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कठिनाइयों के बावजूद मजदूरों को एक राज्य में सीमित नहीं रख सकते : नजमा हेपतुल्ला - मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला

मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने कहा है कि कोरोना महामारी के चलते देशभर में फंसे प्रवासी श्रमिक भले ही अपने गृह राज्य लौट रहे हैं और तकलीफें उठा रहे हैं. लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद वे फिर काम पर लौटेंगे. ऐसा तो नहीं कर सकते कि बॉर्डर पर एक स्टेट से दूसरे स्टेट में आने को मना कर दिया जाए और लोग अपने राज्य में ही रहें, वहीं पर काम करें, ऐसा तो हो नहीं सकता. ईटीवी भारत संवाददाता अनामिका रत्ना से खास बातचीत में नजमा ने अन्य कई मुद्दों पर भी अपने विचार रखे. इसी क्रम में उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर सहित नॉर्थईस्ट की महिलाओं के प्रति लोगों को अपना नजरिया बदलने की आवश्यकता है. पढ़ें विस्तृत इंटरव्यू...

manipur governor
ईटीवी भारत से बात करती नजमा हेपतुल्ला
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Published : May 23, 2020, 6:09 PM IST

Updated : May 23, 2020, 8:54 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना महामारी से भारत के 33 प्रदेश प्रभावित हैं. पूर्वोत्तर भारत में बसा मणिपुर भी इससे अछूता नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 23 मई की सुबह 8 बजे तक मणिपुर में 26 कोरोना संक्रमित लोगों की पुष्टि हो चुकी थी. पिछले दिनों पूर्वोत्तर के लोगों के साथ कोरोना संक्रमण को लेकर दुर्व्यवहार की खबरें भी सामने आई थी. कोरोना संकट के बीच ईद का त्योहार और आर्थिक समस्याओं के दृष्टिकोण से महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों के भी अहम मायने हैं. इन्हीं मुद्दों पर ईटीवी भारत ने मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से खास बातचीत की.

प्रस्तुत हैं नजमा हेपतुल्ला से बातचीत के मुख्य अंश-

सवाल : नजमा जी, हमने देखा कि आपका प्रदेश पहले कोरोना फ्री हो गया था. हालांकि अब कुछ केस सामने आ रहे हैं. क्या आपको यह विश्वास है कि आपकी सरकार राज्य को दोबारा कोरोना फ्री कर लेगी?

नजमा हेपतुल्ला : हां, कोशिश तो यही है कि एक बार फिर से हमारा प्रदेश कोरोना फ्री हो जाए और सरकार इसके लिए कोशिश कर रही है. लेकिन मुख्य बात यह है कि दूसरे राज्यों से जो लोग आ रहे हैं. वे संक्रमित हैं और अगर वे इनफेक्टेड हैं तो उनकी वजह से यहां पर लोग संक्रमित हो जाएंगे. मणिपुर के लोगों में तो संक्रमण नहीं था, मगर बाहर से आने वाले लोगों से कोरोना दोबारा राज्य में आ रहा है.

सवाल : तो क्या आप मानती हैं कि लॉकडाउन के तहत जो रियायतें दी गई हैं, उनकी वजह से कोरोना राज्य में दोबारा आ रहा है, क्योंकि शुरुआत में मणिपुर कोरोना फ्री हो चुका था?

नजमा हेपतुल्ला : हां, मणिपुर को कोरोना फ्री कर लिया गया था. लेकिन दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई से आ रहे लोगों की वजह से दोबारा यहां पर कोरोना के केस बढ़ गए हैं.

मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से खास बातचीत.

सवाल : नजमा जी, हमने देखा कि मणिपुर एक छोटा सा राज्य है और वहां की महिलाएं भी बहुत आत्मनिर्भर हैं. प्रधानमंत्री जी ने जो गमछा बांधा था, वह भी मणिपुर की महिलाओं के द्वारा बनाया गया था. यह उनकी आत्मनिर्भरता है. कोरोना संकट में उनका यह आत्मविश्वास न डगमगाए, इसके लिए आप उन्हें कोई संदेश देंगी?

नजमा हेपतुल्ला : हां, यह सच है कि हमारे यहां मणिपुर में महिलाएं बहुत ही आत्मनिर्भर हैं और सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल भी हुआ था, जिसे आपने भी देखा होगा. इस तरह से लोग खाने-पीने की सामग्री बांट रहे हैं और महिलाएं बिल्कुल सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर खड़ी हैं. यहां की महिलाएं और लोग बहुत ही समझदार हैं, इसलिए हमारे यहां कोरोना पर जल्द ही नियंत्रण पा लिया गया था. यहां के लोगों में बहुत समझदारी है, लेकिन बाहर से जो लोग आ रहे हैं. उनकी वजह से कोरोना फैल रहा है. वरना यहां के लोग काफी समझदार हैं.

सवाल : नजमा जी, आप कई राजनीतिक पदों पर भी रही हैं. आप महिलाओं के लिए एक आइडियल वूमन के रूप में देखी जाती हैं. संकट के समय में जब महिलाओं के कंधों पर भी दोहरी जिम्मेदारी आ गई है, उनका भी विश्वास कभी-कभी डगमग जाता है. ऐसे में आप खास तौर पर महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?

नजमा हेपतुल्ला : मैं यही संदेश दूंगी कि महिलाएं खुद पर विश्वास रखें. थोड़े दिनों में यह संकट का समय निकल जाएगा. मणिपुर में दुनिया की सबसे बड़ी मार्केट है, जिसे महिलाएं चलाती हैं. इसका नाम है 'एम्मा मार्केट.' इस मार्केट को लगभग 5 हजार महिलाएं चलाती हैं. इसमें महिलाएं ही काम करती हैं. यह मार्केट भी महीनों से बंद है. इससे उन महिलाओं को भी काफी नुकसान हुआ है.

सवाल : नजमा जी, हमने देखा कि मणिपुर की महिलाओं के साथ दिल्ली, गुरुग्राम और मुंबई में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें उन्हें चाइनीज बताकर काफी दुर्व्यवहार किया गया. इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. इसके लिए आप सरकार से क्या कहेंगी?

नजमा हेपतुल्ला : यह तो लोगों की बेवकूफी है कि वे हिन्दुस्तान में रहने वाले लोगों को चाइनीज बताकर उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं. यह गलत है. वे इंडियन लोग हैं, हिन्दी बोलते हैं, हिन्दुस्तान के अलग-अलग इलाकों में काम करते हैं. सरकार इसमें कोई कदम उठाए, इससे ज्यादा बेहतर है कि लोग खुद इस बात को समझें और अपना नजरिया बदलें. हम इंडियन हैं. हमें उनके प्रति अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है.

सवाल : नजमा जी, एक बात जानना चाहूंगी कि आपने अपने पूरे करियर में इस तरह का वातावरण या इससे मिलता-जुलता वातावरण इससे पहले कभी देखा था?

नजमा हेपतुल्ला : इस तरह का माहौल हमने कभी नहीं देखा. इस तरह का वायरस पहली बार दुनिया में आया है. पूरी दुनिया इससे प्रभावित है, ऐसा नजारा हमने कभी नहीं देखा.

सवाल : क्या आपको लगता है कि यह समय भारत के आत्मनिर्भर बनने और चाइना की मार्केट से अलग होने का स्वर्णिम अवसर है?

नजमा हेपतुल्ला : इसका मार्केट से कोई लेना-देना नहीं, लेकिन हां, इस बात के लिए तो मैं हमेशा से कहती हूं कि आत्मनिर्भर होना चाहिए और थोड़ी सी चीजें अपनाई जानी चाहिए. ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी चीजों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. अभी यह जरूरी है कि कोरोना का इलाज ढूंढा जा सके और किसी न किसी तरह से इसका टीका विकसित किया जाए. फिलहाल मार्केट से ज्यादा जरूरी रिसर्च की है. आत्मनिर्भरता एक अच्छी बात है और हमारे देश को आत्मनिर्भर होना ही चाहिए.

सवाल : पलायन पूरे देश में देखने को मिला है, मजदूर पलायन कर रहे हैं. क्या अब यह जरूरी नहीं है कि अलग-अलग राज्य अपने-अपने राज्यों में ही रोजगार का सृजन करें, ताकि लोगों को बाहर जाकर न कमाना पड़े?

नजमा हेपतुल्ला : यह बात ठीक है, मगर नेशनल इंटीग्रेशन को सामने रखते हुए, लोग इधर-उधर जाएंगे. किसी को हम मना नहीं कर सकते. यह एक आपदा है, जिसकी वजह से यह समस्या सामने आई और सबको बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है. मजदूर तकलीफ उठा रहे हैं. परेशानी में है, ऐसा तो नहीं कर सकते हैं कि बॉर्डर पर एक स्टेट से दूसरे स्टेट में आने को मना कर दिया जाए और लोग अपने राज्य में ही रहें और वहीं पर काम करें, ऐसा तो हो नहीं सकता. यह संभव नहीं है.

सवाल : नजमा जी, हम आपको आने वाली ईद की मुबारकबाद देते हैं. हालांकि, इस बार ईद काफी फीकी होगी, ऐसा नजारा कभी देखा नहीं गया. अलविदा जुमे की नमाज पढ़ते हुए दिल्ली के शाही इमाम जामा मस्जिद में फूट-फूटकर रोए. अलविदा नमाज के समय जिस जामा मस्जिद में मेले जैसा माहौल होता था, वहां इस बार सन्नाटा पसरा था. लोगों ने इस तरह की ईद पहले कभी नहीं देखी होगी. दिल में अजीब से सवाल उठ रहे होंगे शायद. आपको क्या लगता है?

नजमा हेपतुल्ला : सारे ही त्यौहार ऐसे ही निकलते जा रहे हैं. ईद भी ऐसे ही निकल जाएगी, मगर क्या किया जाए. यह मुश्किल वक्त है और लोगों की हिफाजत के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. लोगों ने बढ़-चढ़कर सरकार का साथ दिया है. चाहे वह आम लोग हों या धार्मिक नेता हों, सबने यह कहा है कि लोग अपने घर में ही ईद की नमाज पढ़ें. ईद जिस भी तरीके से मनाएं, घर के अंदर मनाएं. इंशाअल्लाह, यह वक्त भी निकल जाएगा.

नई दिल्ली : कोरोना महामारी से भारत के 33 प्रदेश प्रभावित हैं. पूर्वोत्तर भारत में बसा मणिपुर भी इससे अछूता नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 23 मई की सुबह 8 बजे तक मणिपुर में 26 कोरोना संक्रमित लोगों की पुष्टि हो चुकी थी. पिछले दिनों पूर्वोत्तर के लोगों के साथ कोरोना संक्रमण को लेकर दुर्व्यवहार की खबरें भी सामने आई थी. कोरोना संकट के बीच ईद का त्योहार और आर्थिक समस्याओं के दृष्टिकोण से महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों के भी अहम मायने हैं. इन्हीं मुद्दों पर ईटीवी भारत ने मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से खास बातचीत की.

प्रस्तुत हैं नजमा हेपतुल्ला से बातचीत के मुख्य अंश-

सवाल : नजमा जी, हमने देखा कि आपका प्रदेश पहले कोरोना फ्री हो गया था. हालांकि अब कुछ केस सामने आ रहे हैं. क्या आपको यह विश्वास है कि आपकी सरकार राज्य को दोबारा कोरोना फ्री कर लेगी?

नजमा हेपतुल्ला : हां, कोशिश तो यही है कि एक बार फिर से हमारा प्रदेश कोरोना फ्री हो जाए और सरकार इसके लिए कोशिश कर रही है. लेकिन मुख्य बात यह है कि दूसरे राज्यों से जो लोग आ रहे हैं. वे संक्रमित हैं और अगर वे इनफेक्टेड हैं तो उनकी वजह से यहां पर लोग संक्रमित हो जाएंगे. मणिपुर के लोगों में तो संक्रमण नहीं था, मगर बाहर से आने वाले लोगों से कोरोना दोबारा राज्य में आ रहा है.

सवाल : तो क्या आप मानती हैं कि लॉकडाउन के तहत जो रियायतें दी गई हैं, उनकी वजह से कोरोना राज्य में दोबारा आ रहा है, क्योंकि शुरुआत में मणिपुर कोरोना फ्री हो चुका था?

नजमा हेपतुल्ला : हां, मणिपुर को कोरोना फ्री कर लिया गया था. लेकिन दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई से आ रहे लोगों की वजह से दोबारा यहां पर कोरोना के केस बढ़ गए हैं.

मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से खास बातचीत.

सवाल : नजमा जी, हमने देखा कि मणिपुर एक छोटा सा राज्य है और वहां की महिलाएं भी बहुत आत्मनिर्भर हैं. प्रधानमंत्री जी ने जो गमछा बांधा था, वह भी मणिपुर की महिलाओं के द्वारा बनाया गया था. यह उनकी आत्मनिर्भरता है. कोरोना संकट में उनका यह आत्मविश्वास न डगमगाए, इसके लिए आप उन्हें कोई संदेश देंगी?

नजमा हेपतुल्ला : हां, यह सच है कि हमारे यहां मणिपुर में महिलाएं बहुत ही आत्मनिर्भर हैं और सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल भी हुआ था, जिसे आपने भी देखा होगा. इस तरह से लोग खाने-पीने की सामग्री बांट रहे हैं और महिलाएं बिल्कुल सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर खड़ी हैं. यहां की महिलाएं और लोग बहुत ही समझदार हैं, इसलिए हमारे यहां कोरोना पर जल्द ही नियंत्रण पा लिया गया था. यहां के लोगों में बहुत समझदारी है, लेकिन बाहर से जो लोग आ रहे हैं. उनकी वजह से कोरोना फैल रहा है. वरना यहां के लोग काफी समझदार हैं.

सवाल : नजमा जी, आप कई राजनीतिक पदों पर भी रही हैं. आप महिलाओं के लिए एक आइडियल वूमन के रूप में देखी जाती हैं. संकट के समय में जब महिलाओं के कंधों पर भी दोहरी जिम्मेदारी आ गई है, उनका भी विश्वास कभी-कभी डगमग जाता है. ऐसे में आप खास तौर पर महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?

नजमा हेपतुल्ला : मैं यही संदेश दूंगी कि महिलाएं खुद पर विश्वास रखें. थोड़े दिनों में यह संकट का समय निकल जाएगा. मणिपुर में दुनिया की सबसे बड़ी मार्केट है, जिसे महिलाएं चलाती हैं. इसका नाम है 'एम्मा मार्केट.' इस मार्केट को लगभग 5 हजार महिलाएं चलाती हैं. इसमें महिलाएं ही काम करती हैं. यह मार्केट भी महीनों से बंद है. इससे उन महिलाओं को भी काफी नुकसान हुआ है.

सवाल : नजमा जी, हमने देखा कि मणिपुर की महिलाओं के साथ दिल्ली, गुरुग्राम और मुंबई में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें उन्हें चाइनीज बताकर काफी दुर्व्यवहार किया गया. इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. इसके लिए आप सरकार से क्या कहेंगी?

नजमा हेपतुल्ला : यह तो लोगों की बेवकूफी है कि वे हिन्दुस्तान में रहने वाले लोगों को चाइनीज बताकर उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं. यह गलत है. वे इंडियन लोग हैं, हिन्दी बोलते हैं, हिन्दुस्तान के अलग-अलग इलाकों में काम करते हैं. सरकार इसमें कोई कदम उठाए, इससे ज्यादा बेहतर है कि लोग खुद इस बात को समझें और अपना नजरिया बदलें. हम इंडियन हैं. हमें उनके प्रति अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है.

सवाल : नजमा जी, एक बात जानना चाहूंगी कि आपने अपने पूरे करियर में इस तरह का वातावरण या इससे मिलता-जुलता वातावरण इससे पहले कभी देखा था?

नजमा हेपतुल्ला : इस तरह का माहौल हमने कभी नहीं देखा. इस तरह का वायरस पहली बार दुनिया में आया है. पूरी दुनिया इससे प्रभावित है, ऐसा नजारा हमने कभी नहीं देखा.

सवाल : क्या आपको लगता है कि यह समय भारत के आत्मनिर्भर बनने और चाइना की मार्केट से अलग होने का स्वर्णिम अवसर है?

नजमा हेपतुल्ला : इसका मार्केट से कोई लेना-देना नहीं, लेकिन हां, इस बात के लिए तो मैं हमेशा से कहती हूं कि आत्मनिर्भर होना चाहिए और थोड़ी सी चीजें अपनाई जानी चाहिए. ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी चीजों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. अभी यह जरूरी है कि कोरोना का इलाज ढूंढा जा सके और किसी न किसी तरह से इसका टीका विकसित किया जाए. फिलहाल मार्केट से ज्यादा जरूरी रिसर्च की है. आत्मनिर्भरता एक अच्छी बात है और हमारे देश को आत्मनिर्भर होना ही चाहिए.

सवाल : पलायन पूरे देश में देखने को मिला है, मजदूर पलायन कर रहे हैं. क्या अब यह जरूरी नहीं है कि अलग-अलग राज्य अपने-अपने राज्यों में ही रोजगार का सृजन करें, ताकि लोगों को बाहर जाकर न कमाना पड़े?

नजमा हेपतुल्ला : यह बात ठीक है, मगर नेशनल इंटीग्रेशन को सामने रखते हुए, लोग इधर-उधर जाएंगे. किसी को हम मना नहीं कर सकते. यह एक आपदा है, जिसकी वजह से यह समस्या सामने आई और सबको बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है. मजदूर तकलीफ उठा रहे हैं. परेशानी में है, ऐसा तो नहीं कर सकते हैं कि बॉर्डर पर एक स्टेट से दूसरे स्टेट में आने को मना कर दिया जाए और लोग अपने राज्य में ही रहें और वहीं पर काम करें, ऐसा तो हो नहीं सकता. यह संभव नहीं है.

सवाल : नजमा जी, हम आपको आने वाली ईद की मुबारकबाद देते हैं. हालांकि, इस बार ईद काफी फीकी होगी, ऐसा नजारा कभी देखा नहीं गया. अलविदा जुमे की नमाज पढ़ते हुए दिल्ली के शाही इमाम जामा मस्जिद में फूट-फूटकर रोए. अलविदा नमाज के समय जिस जामा मस्जिद में मेले जैसा माहौल होता था, वहां इस बार सन्नाटा पसरा था. लोगों ने इस तरह की ईद पहले कभी नहीं देखी होगी. दिल में अजीब से सवाल उठ रहे होंगे शायद. आपको क्या लगता है?

नजमा हेपतुल्ला : सारे ही त्यौहार ऐसे ही निकलते जा रहे हैं. ईद भी ऐसे ही निकल जाएगी, मगर क्या किया जाए. यह मुश्किल वक्त है और लोगों की हिफाजत के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. लोगों ने बढ़-चढ़कर सरकार का साथ दिया है. चाहे वह आम लोग हों या धार्मिक नेता हों, सबने यह कहा है कि लोग अपने घर में ही ईद की नमाज पढ़ें. ईद जिस भी तरीके से मनाएं, घर के अंदर मनाएं. इंशाअल्लाह, यह वक्त भी निकल जाएगा.

Last Updated : May 23, 2020, 8:54 PM IST
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