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जानें कैसे होगी दिपावली इस बार इको फ्रेंडली पटाखों से गुलजार

केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली में शनिवार को हरित पटाखे जारी किए. साथ ही उन्होंने कहा कि इन पटाखों की खासियत यह है कि इनमें परंपरागत पटाखों को बनाने में इस्तेमाल होने वाला बेरियम नाइट्रेट नहीं है और यह पर्यावरण के अनुकूल है. जानें क्या कुछ कहा डॉ. हर्षवर्धन ने......

डॉ. हर्षवर्धन
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Published : Oct 6, 2019, 10:28 AM IST

Updated : Oct 7, 2019, 1:18 PM IST

नई दिल्लीः खुशियों का त्योहार दिपावली इस बार पर्यावरण के अनुकूल पटाखों से रोशन होगा क्योंकि केंद्र सरकार ने दिल्ली समेत पूरे देश को वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए बाजारों में ग्रीन (हरित) पटाखे उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी व स्वास्थ मंत्री एंव परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शनिवार को हरित पाटेख जारी किए हैं.

डॉ. हर्षवर्धन ने जारी किए ग्रीन हरित पटाखे

डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में पटाखों पर रोक लगा दी थी. इसके बाद ही पर्यावरण के अनुकूल पटाखों के बारे में सोचा गया था. साथ ही उन्होंने कहा कि इसी दिशा में काम करते हुए वैज्ञानिक एंव औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने हरित पटाखों के विकास में अहम भूमिका निभाई है. इस चुनौतीपूर्ण कार्य में सीएसआईआर की आठ सहयोगी प्रयोगशालाओं ने सहयोग दिया है.

उन्होंन कहा कि सीएसआईआर की मदद से परंपरागत पटाखों अनार, फुलझड़ी, हंटर, सुतली बम और चकरी राकेट का इको फ्रेंडली वर्जन और नए पटाखों की शृंखला जारी की है.

उन्होंन कहा कि पटाखा उत्पादकों से सीएसआईआर की तरफ से सुझाए गए फार्मुलेशन के आधार पर पटाखे बनाने और बाजार में उतारे जाने से पहले इनकी जांच तथा उत्सर्जन स्तर की सीएसआईआर-राष्ट्रीय इंजीनियरिंग एवं पर्यावरण शोध संस्थान (एनईईआरआई) की मान्यता प्राप्त एनएबीएल प्रयोगशालाओं में जांच कराने का आग्रह भी किया. इन पटाखों में अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी और सुतली बम आदि हैं.

हर्षवर्धन ने कहा कि सीएसआईआर के पटाखों के फार्मूलेशन के बाद पटाखा उत्पादकों ने इसी आधार पर पटाखे बनाए हैं. पटाखा उत्पादकों के साथ लगभग 230 आपसी सहमति पत्रों और 165 नॉन डिसक्लोजर एग्रीमेंट्स(एनडीए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

ये भी पढ़ेंः जानें शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन किस देवी की होती है पूजा

इन पटाखों को क्यूआर कोड और ग्रीन लोगो से लैस करके जारी किया गया है. कोड को स्कैन करते ही पटाखे की सभी विशेषताएं सामने आएंगी. उन्होंने कहा नए पटाखों का उत्पादन और उपलब्धता शुरू हो गई है. परंपरागत पटाखों की स्वीकृति के लिए 22 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट की तारीख का इंतजार है.

हर्षवर्धन ने कहा कि दिल्ली समेत पूरे देश में प्रदूषण के लिहाज से यह एक सार्थक कोशिश है. इन पटाखों की खासियत यह है कि इनमें परंपरागत पटाखों को बनाने में इस्तेमाल होने वाला बेरियम नाइट्रेट नहीं है.

नई दिल्लीः खुशियों का त्योहार दिपावली इस बार पर्यावरण के अनुकूल पटाखों से रोशन होगा क्योंकि केंद्र सरकार ने दिल्ली समेत पूरे देश को वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए बाजारों में ग्रीन (हरित) पटाखे उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी व स्वास्थ मंत्री एंव परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शनिवार को हरित पाटेख जारी किए हैं.

डॉ. हर्षवर्धन ने जारी किए ग्रीन हरित पटाखे

डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में पटाखों पर रोक लगा दी थी. इसके बाद ही पर्यावरण के अनुकूल पटाखों के बारे में सोचा गया था. साथ ही उन्होंने कहा कि इसी दिशा में काम करते हुए वैज्ञानिक एंव औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने हरित पटाखों के विकास में अहम भूमिका निभाई है. इस चुनौतीपूर्ण कार्य में सीएसआईआर की आठ सहयोगी प्रयोगशालाओं ने सहयोग दिया है.

उन्होंन कहा कि सीएसआईआर की मदद से परंपरागत पटाखों अनार, फुलझड़ी, हंटर, सुतली बम और चकरी राकेट का इको फ्रेंडली वर्जन और नए पटाखों की शृंखला जारी की है.

उन्होंन कहा कि पटाखा उत्पादकों से सीएसआईआर की तरफ से सुझाए गए फार्मुलेशन के आधार पर पटाखे बनाने और बाजार में उतारे जाने से पहले इनकी जांच तथा उत्सर्जन स्तर की सीएसआईआर-राष्ट्रीय इंजीनियरिंग एवं पर्यावरण शोध संस्थान (एनईईआरआई) की मान्यता प्राप्त एनएबीएल प्रयोगशालाओं में जांच कराने का आग्रह भी किया. इन पटाखों में अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी और सुतली बम आदि हैं.

हर्षवर्धन ने कहा कि सीएसआईआर के पटाखों के फार्मूलेशन के बाद पटाखा उत्पादकों ने इसी आधार पर पटाखे बनाए हैं. पटाखा उत्पादकों के साथ लगभग 230 आपसी सहमति पत्रों और 165 नॉन डिसक्लोजर एग्रीमेंट्स(एनडीए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

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इन पटाखों को क्यूआर कोड और ग्रीन लोगो से लैस करके जारी किया गया है. कोड को स्कैन करते ही पटाखे की सभी विशेषताएं सामने आएंगी. उन्होंने कहा नए पटाखों का उत्पादन और उपलब्धता शुरू हो गई है. परंपरागत पटाखों की स्वीकृति के लिए 22 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट की तारीख का इंतजार है.

हर्षवर्धन ने कहा कि दिल्ली समेत पूरे देश में प्रदूषण के लिहाज से यह एक सार्थक कोशिश है. इन पटाखों की खासियत यह है कि इनमें परंपरागत पटाखों को बनाने में इस्तेमाल होने वाला बेरियम नाइट्रेट नहीं है.

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Last Updated : Oct 7, 2019, 1:18 PM IST
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