बगहा: सरकार अस्पतालों में मरीजों के लिए बेहतर सुविधाएं देने का दावा करती है. इसके मद्देनजर अस्पताल का कायाकल्प भी किया जाता है लेकिन कर्मियों की लापरवाही से हेल्थ सिस्टम कई दफा बेपटरी हो जाता है. ऐसा ही एक मामला बिहार यूपी सीमा पर अवस्थित गंडक दियारा के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से आया है. ठकरहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ना तो मरीज दिखेंगे और ना ही किसी प्रकार की कोई सुविधा.
ठकरहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का बुरा हाल: वैसे तो बिहार में स्वास्थ्य विभाग की ओर से मरीजों को 24 घण्टे मुफ्त चिकित्सा की सुविधा का दावा किया जा रहा है लेकिन इन तमाम दावों की कलई ठकरहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में खुल गई है. सरकारी अस्पताल में कुव्यवस्था इस कदर फैली है कि मरीजों को मुफ्त मिलने वाली दवाइयां कूड़े कचरों में फेंक दी गई है. वहीं CHC के प्रभारी चिकित्सक समेत ANM व GNM तक अस्पताल से गायब रहते हैं.
JDU विधायक के औचक निरीक्षण से हड़कंप: दरअसल वाल्मीकिनगर के जेडीयू विधायक रिंकू सिंह ने ठकरहा प्रखंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान अस्पताल में कई खामियां उजागर हुईं जिसने स्वास्थ विभाग की पोल खोल कर रख दी. अस्पताल में साफ तौर पर भारी अनियमितता और लापरवाही सामने आई है. प्राइमरी हेल्थ सेंटर की बदहाल स्थिति को देखकर विधायक ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार द्वारा दी जा रही मूलभूत सुविधाएं अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं जो चिंता का विषय है.
"हैरत की बात है कि अस्पताल में बेड की कमी होने के बावजूद उसपर गेंहू रखा है. कचरे में दवाइयां, पेयजल की किल्लत, महिला पुरुष वार्ड मे गंदगी का अंबार लगा है. ऑपरेशन थियेटर को स्टोर रूम में तब्दील किया गया है.अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. इसकी शिकायत डीएम व सीएस से मिलकर करूंगा."- धीरेंद्र प्रताप उर्फ रिंकू सिंह , जेडीयू विधायक, वाल्मीकिनगर
डॉक्टर से लेकर कर्मी तक अस्पताल से गायब: ठकरहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की सारी कमियों व खामियों को देखकर अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों के अलावा स्वास्थ्य प्रबंधक व एमओ आईसी के प्रति विधायक ने नाराजगी जताई है. सत्तारूढ़ दल के वाल्मीकिनगर विधायक ने कहा है कि जांच के दौरान अस्पताल की बदहाली और कर्मियों की मनमानी उजागर हुई है. निरीक्षण में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी समेत कई कर्मी नदारद हैं, जबकि रोस्टर के अनुसार उन्हें अस्पताल में होना चाहिए था, लेकिन उनके स्थान पर दूसरे डाक्टर ड्यूटी पर थे.
कचरे के ढेर में फेंकी मिली दवाइयां: चिकित्सक परामर्श रजिस्टर भी अस्पताल में उपलब्ध नही था. मरीजों के बेड पर रोस्टर के अनुसार चादर नहीं थे, जबकि स्टोर रूम में तब्दील ऑपरेशन थियेटर में चादरों के बंडल और टूटे फूटे स्ट्रेचर, कुर्सियां अनावश्यक दवाइयां बिखरी पड़ी थीं. वहीं स्टोर रूम के बाहर कचरे के अंबार में विटामीन और फाइलेरिया आदि की दवाइयां बड़ी मात्रा में फेंकी गई थी. जिसे देखकर विधायक भड़क गए और कहा कि मरीजों को बाहर की दवाइयां लिखी जा रही है जबकि बड़ी मात्रा में दवाईया कचरे के ढेर में फेंकी गई हैं.