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लखनऊ में मृत 140 सुअरों में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की पुष्टि

लखनऊ में कुछ दिन पहले 140 सुअरों की मौत हो गयी थी. जांच में पता चला है कि उनकी मौत का कारण अफ्रीकन स्वाइन फ्लू था. फैजुल्लागंज में मंगलवार रात जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार से लेकर जिला प्रशासन की टीम ने निरीक्षण किया.

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अफ्रीकन स्वाइन फ्लू
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Published : Jul 20, 2022, 7:22 PM IST

लखनऊ: फैजुल्लागंज में मृत सुअरों में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है. भोपाल के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल लैब में सैंपल भेजे गए थे. इसकी रिपोर्ट मंगलवार को आई. इलाके में अब तक करीब 140 से ज्यादा सुअरों की मौत हो चुकी है. इसकी वजह से इलाके के लोग परेशान थे. यहां तक की कई लोगों ने इलाका छोड़कर, दूसरी जगह जाने की बात तक कही थी. इलाके में सुअरों के मरने से बड़ी आबादी के बीच महामारी का खतरा एक बार फिर बढ़ गया है.

इस इलाके में जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम ने सक्रियता बढ़ा दी है. मंगलवार रात जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार से लेकर जिला प्रशासन की टीम ने यहां का निरीक्षण किया. इसके पहले नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह भी यहां का निरीक्षण कर चुके हैं.

क्या है अफ्रीकन स्वाइन फ्लू: अफ्रीकन स्वाइन फ्लू अत्याधिक संक्रामक पशु रोग है. यह घरेलू और जंगली सुअरों को संक्रमित करता है. इससे संक्रमित सुअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित होते हैं. इस बीमारी को पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था. इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है. इस बुखार का अभी तक कोई इलाज नहीं है. इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है. वहीं जो लोग इस बीमारी से ग्रसित सूअरों के मांस का सेवन करते हैं उनमें तेज बुखार, अवसाद सहित कई गंभीर समस्याएं शुरू हो जाती हैं.



नार्थ ईस्ट में दिखाया तांडव: अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के मामले बीते दिनों नॉर्थईस्ट कि राज्यों में देखने को मिल चुका है. यहां झूम के शुरुआती सप्ताह में हजारों की संख्या में सूअरों की मौत हुई थी. मीडिया रिपोर्ट में यहां 37000 सूअर की मृत्यु होने की पुष्टि की गई थी.

ये भी पढ़ें- बच्ची को गर्म चाकू से 17 जगह दागा, स्कूल न जाने पर दी सज़ा


यह व्यवस्थाएं की गई: जिला प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया कि उनकी टीम प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर सर्वे करें और बीमारियों से बचने के उपायों से आम जन मानस को अवगत कराएं. साथ ही यदि कोई व्यक्ति बुखार या श्वास फूलने जैसी बीमारी से ग्रसित पाया जाए, तो उसको दवा उपलब्ध कराते हुए आवश्यकता पड़ने पर निकटस्थ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भिजवाना सुनिश्चित करें. सभी व्यक्ति रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें. जो व्यक्ति शूकर बाड़ों के आस-पास रह रहे हैं, वह भी किसी भी प्रकार के सम्भावित संक्रमण से बचने के लिए विशेष सावधानी बरते. साथ ही यदि कोई शूकर बीमार होता है, तो तत्काल शूकर पालक व आस-पास के लोग पशुपालन विभाग के कण्ट्रोल नंबर 9450195814 पर तत्काल सूचित करें.

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लखनऊ: फैजुल्लागंज में मृत सुअरों में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है. भोपाल के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल लैब में सैंपल भेजे गए थे. इसकी रिपोर्ट मंगलवार को आई. इलाके में अब तक करीब 140 से ज्यादा सुअरों की मौत हो चुकी है. इसकी वजह से इलाके के लोग परेशान थे. यहां तक की कई लोगों ने इलाका छोड़कर, दूसरी जगह जाने की बात तक कही थी. इलाके में सुअरों के मरने से बड़ी आबादी के बीच महामारी का खतरा एक बार फिर बढ़ गया है.

इस इलाके में जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम ने सक्रियता बढ़ा दी है. मंगलवार रात जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार से लेकर जिला प्रशासन की टीम ने यहां का निरीक्षण किया. इसके पहले नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह भी यहां का निरीक्षण कर चुके हैं.

क्या है अफ्रीकन स्वाइन फ्लू: अफ्रीकन स्वाइन फ्लू अत्याधिक संक्रामक पशु रोग है. यह घरेलू और जंगली सुअरों को संक्रमित करता है. इससे संक्रमित सुअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित होते हैं. इस बीमारी को पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था. इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है. इस बुखार का अभी तक कोई इलाज नहीं है. इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है. वहीं जो लोग इस बीमारी से ग्रसित सूअरों के मांस का सेवन करते हैं उनमें तेज बुखार, अवसाद सहित कई गंभीर समस्याएं शुरू हो जाती हैं.



नार्थ ईस्ट में दिखाया तांडव: अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के मामले बीते दिनों नॉर्थईस्ट कि राज्यों में देखने को मिल चुका है. यहां झूम के शुरुआती सप्ताह में हजारों की संख्या में सूअरों की मौत हुई थी. मीडिया रिपोर्ट में यहां 37000 सूअर की मृत्यु होने की पुष्टि की गई थी.

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यह व्यवस्थाएं की गई: जिला प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया कि उनकी टीम प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर सर्वे करें और बीमारियों से बचने के उपायों से आम जन मानस को अवगत कराएं. साथ ही यदि कोई व्यक्ति बुखार या श्वास फूलने जैसी बीमारी से ग्रसित पाया जाए, तो उसको दवा उपलब्ध कराते हुए आवश्यकता पड़ने पर निकटस्थ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भिजवाना सुनिश्चित करें. सभी व्यक्ति रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें. जो व्यक्ति शूकर बाड़ों के आस-पास रह रहे हैं, वह भी किसी भी प्रकार के सम्भावित संक्रमण से बचने के लिए विशेष सावधानी बरते. साथ ही यदि कोई शूकर बीमार होता है, तो तत्काल शूकर पालक व आस-पास के लोग पशुपालन विभाग के कण्ट्रोल नंबर 9450195814 पर तत्काल सूचित करें.

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