नई दिल्ली : अफगान सिख सांसद (Afghan Sikh Parliamentarian) नरिंदर सिंह खालसा (Narinder Singh Khalsa) ने कहा कि अफगानिस्तान में पिछले 40 वर्षों से संघर्ष और युद्ध चल रहा है और जैसे-जैसे तालिबान अफगानिस्तान में जीत की ओर बढ़ रहा है, वहां स्थिति और बदलेगी.
ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा कि वहां अभी भी अनिश्चितता है और चूंकि स्थिति अस्थिर थी, इसलिए मुझे अपना देश छोड़ना पड़ा.खालसा ने कहा, 'मैं तालिबान नेताओं से व्यक्तिगत रूप से मिला हूं और उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वे सिख और हिंदू अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों (rights of the Sikh and Hindu minority communities) की रक्षा करेंगे. चाहे कोई भी सरकार सत्ता में आए, हम अपने समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे.'
अफगान सिख सांसद ने ईटीवी भारत को बताया अफगानिस्तान में कानून के शासन के तहत हमारे पास पूर्ण अधिकार हैं. कोई हमारा अधिकार नहीं छीन सकता क्योंकि, हम अफगानिस्तान के नागरिक (citizens of Afghanistan) हैं और दशकों से अफगानिस्तान में रह रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'मैं दोनों पक्षों से शांतिपूर्वक समझौता करने का आग्रह करता हूं और आशा करता हूं कि जल्द से जल्द अफगानिस्तान में सरकार बने.' उन्होंने कहा कि तालिबान ने उन्हें कभी भी देश छोड़ने के लिए नहीं कहा और यह सुनिश्चित किया कि सभी अल्पसंख्यक समुदायों की रक्षा की जाएगी.
सिंह ने कहा, 'उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि सिख या हिंदू अल्पसंख्यक की सुरक्षा (safety and security of Sikh) उनकी जिम्मेदारी है.' मैंने अफगानिस्तान में अपनी सारी संपत्ति, जमीन, नौकरी, व्यवसाय और सब कुछ छोड़ दिया है.'
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उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि एक दिन अफगानिस्तान में स्थिति बेहतर होगी और मैं वहां वापस सकता हूं, क्योंकि वह मेरा अपना देश है. मुझे अपने देश से प्यार है. हमने अपने जीवन के भयानक दिनों को देखा है.'
सिंह ने कहा कि अभी भी 150 अफगान सिख (150 Afghan Sikhs) हैं, जो अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं.
बता दें कि सिंह 72 अफगान सिखों और हिंदुओं के समूह में अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले दो सांसदों में से एक थे.
भारत ने हाल ही में काबुल से एक IAF विमान में 168 लोगों को निकाला, जिनमें से 107 भारतीय नागरिक थे, जिनमें अफगान हिंदू और सिख शामिल थे.