हैदराबाद: भारत की स्पेस एजेंसी यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बड़े अमेरिकन कम्यूनिकेशन्स सैटेलाइट्स को लॉन्च करने के लिए तैयार है, जिसके जरिए अंतरिक्ष में मौजूद डायरेक्ट कनेक्टिविटी का इस्तेमाल करके फोन कॉल्स की जा सकेंगी. इसरो द्वारा लॉन्च की जाने वाली अमेरिकन कम्यूनिकेशन्स सैटेलाइट्स काफी इनोवेटिव और मौजूदा टेलीफोन सर्विस टेक्नोलॉजी की तुलना में काफी मॉर्डन है.
इसे आसान भाषा में समझे तो इस अमेरिकन सैटेलाइट को लॉन्च करने के बाद फोन कॉल्स करने के लिए टॉवर्स का होना अनिवार्य नहीं होगा. फोन टॉवर्स के बिना भी अंतरिक्ष में मौजूद कम्यूनिकेशन सैटेलाइट के जरिए डायरेक्ट फोन कॉल कनेक्ट हो जाएगी. इस टेक्नोलॉजी के जरिए पहाड़ी, जंगल या किसी दूर-दराज इलाके में रहने वाले आम लोग भी अपने साधारण फोन से किसी को भी कॉल कर पाएंगे.
अमेरिकन कंपनी द्वारा बनाए गए इस बहुत बड़े सैटेलाइट को इसरो के रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. ऐसा पहली बार होगा, जब एक अमेरिकन कंपनी अपने एक विशाल कम्यूनिकेशन सैटेलाइट को भारत से इसरो द्वारा तैयार किए गए एक इंडियन रॉकेट के जरिए लॉन्च करेगी. अभी तक, भारत ने अमेरिकन कंपनी द्वारा बनाए गए छोटे सैटेलाइट्स को ही लॉन्च किया है, लेकिन अब पहली बार इसरो अमेरिका के एक बड़े कम्यूनिकेशन सैटेलाइट को लॉन्च करने जा रहा है.
इसरो लॉन्च करेगा अमेरिकन सैटेलाइट
एनडीटीवी की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक भारत के साइंस मिनिस्टर डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने इस बात का खुलासा किया है कि, "फरवरी या मार्च में, हम मोबाइल कम्यूनिकेशन के लिए यूएस सैटेलाइट को लॉन्च करेंगे, जो मोबाइल फोन के जरिए स्पेस से वॉयस कॉल की सुविधा को शुरू करेगा. यह एक रोचक मिशन होगा."
हालांकि, अमेरिकन सैटेलाइट ऑपरेटर कौन होगा, इसकी पुष्टि अभी तक ना ही साइंस मिनिस्टर ने की है और ना ही इंडियन स्पेस एजेंसी इसरो ने की है, लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक टेक्स्स बेस्ड कंपनी AST SpaceMobile ही अमेरिकन सैटेलाइट ऑपरेटर हो सकते हैं, जो श्रीहरिकोटा से इस बड़े कम्यूनिकेशन सैटेलाइट को लॉन्च कर सकते हैं.
अमेरिकी कंपनी ने यह दावा किया है कि, इस कम्यूनिकेशन सैटेलाइट के लॉन्च होने के बाद कोई भी व्यक्ति अपने किसी भी स्मार्टफोन से स्पेस कनेक्टिविटी के जरिए सीधे वॉयस कॉल कर सकता है. बता दें कि अभी तक अन्य सैटेलाइट-बेस्ड इंटरनेट और वॉयस कॉलिंग प्रोवाइडर्स की सर्विस इस्तेमाल करने के लिए यूज़र्स को एक खास हैंडसेट खरीदने या टर्मिनल की जरूरत होती है, जैसा कि स्टारलिंक में होता है.
आधे फुटबॉल फील्ड जितना बड़ा सैटेलाइट
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, AST SpaceMobile के सीईओ एबेल एवेलन ने पिछले साल एक इन्वेस्टर कॉल में इस बात को कंफर्म किया था कि Geo-synchronous Satellite Launch Vehicle (GSLV) का यूज़ करके Bluebird सैटेलाइट का एक Block 2 लॉन्च करेंगे.
हरेक ब्लूबर्ड सैटेलाइट के पास 64 स्क्वायर मीटर की साइज का एक एंटीना होगा. ब्लूबर्ड सैटेलाइट के इस एंटीना का साइज आधे फुटबॉल फील्ड के बराबर है, जिसका वजन लगभग 6000 किलोग्राम है और भारत का रॉकेट इसे लो अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit) तक लेकर जाएगा.
एबेल एवेलन ने अपने एक पुराने स्टेटमेंट में कहा था कि, उन्होंने एक ऐसी टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया है जो सैटेलाइट्स को डायरेक्ट किसी साधारण मोबाइल फोन से कनेक्ट करेगी और लो अर्थ ऑर्बिट में अब तक के सबसे बड़े कमर्शियल फेज़ एरे के जरिए ब्रॉडबैंड इंटरनेट की सुविधा भी प्रदान करेगी.
स्पेस से होगा डायरेक्ट मोबाइल कम्यूनिकेशन
AST SpaceMobile के मिशन के बारे में एबेल एवेलन ने कहा कि इसका उद्देश्य ग्लोबल कनेक्टिविटी अंतर को समाप्त करना और देशों को डिजिटल रूप से ट्रांसफोर्म करना है, जिससे "स्पेस से सस्ती 5G ब्रॉडबैंड सर्विस दुनियाभर के अरबों लोगों के स्मार्टफोन तक रोज डायरेक्ट पहुंच सके.
ISRO के एक विशेषज्ञ ने कहा कि यह सैटेलाइट "मोबाइल से डायरेक्ट कम्यूनिकेशन" की सुविधा प्रदान करेगा और कंपनी इस इनोवेटिव टेक्नोलॉजी को पॉवर देने के लिए पृथ्वी की ओर्बिट में कुछ बड़े सैटेलाइट्स को प्लेस करेंगे.
रिपोर्ट के अनुसार इसरो एक्सपर्ट्स ने कंफर्म किया है कि AST SpaceMobile ने ब्लूबर्ड सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए भारत के बाहुबली रॉकेट Launch Vehicle Mark-3 की सर्विस ली है. यह इसरो के लिए एक बड़ी कामयाबी और गर्व की बात है क्योंकि पहली बार कोई अमेरिकन कंपनी भारत के LVM'3 पर भरोसा जता रही है, जिसकी सफलता का रिकॉर्ड 100% है.
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