हैदराबाद: भारत अपने स्पेस मिशन यानी अंतरिक्ष को एक्सप्लोर करने की दिशा में एक नया कीर्तिमान रचने वाला है. दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज रात 10:00 बजे IST पर Space Docking Experiment (SpaDeX) लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. इस मिशन का पिछले कई महीनों से इंतजार किया जा रहा था और आज यह यानी स्पेडेक्स श्रीहरीकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-C60 रॉकेट के साथ उड़ान भरेगा. यह अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियों और अपार क्षमताओं को दिखाता है.
पहले SpaDeX को लॉन्च करने के लिए 9:58 PM का समय निर्धारित किया गया था, लेकिन अब इसे करीब दो मिनट 15 सेकेंड बढ़ा दिया गया है. अब इस मिशन को आज रात 10:00:15 बजे लॉन्च किया जाएगा.
SpaDeX मिशन दो सैटेलाइट्स के ऑटोनोमस डॉकिंग और अंडॉकिंग को प्रदर्शित करेगा, जो भविष्य में स्पेस को एक्सप्लोर करने के लिए एक खास टेक्नोलॉजी होगी. इस टेक्नोलॉजी से भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Indian Space Station) का विकास, मानव चांद मिशन (Human Lunar Missions) और एडवांस इंटरप्लेंटेरी प्रोजेक्ट्स में मदद मिलेगी.
SpaDeX क्या है?
SpaDeX को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (Space Docking Experiment) के नाम से भी जाना जाता है. यह एक ऐसा प्रयोग है, जिसमें दो छोटे उपग्रहों (सैटेलाइट्स) को अंतरिक्ष (low Earth orbit) में एक दूसरे से जोड़ने और अलग करने का परीक्षण किया जाएगा। इसे सरल भाषा में ऐसे समझा जा सकता है:
डॉकिंग: जब एक सैटेलाइट (चेज़र) अंतरिक्ष में दूसरे सैटेलाइट (टारगेट) से जुड़ता है, तो उसे डॉकिंग कहते हैं. यह जुड़ाव ऐसे होता है जैसे दो गाड़ियों को जोड़कर एक ट्रेन बनाई जा रही हो.
अनडॉकिंग: जब ये दोनों उपग्रह अलग होते हैं, तो उसे अनडॉकिंग कहते हैं, जैसे ट्रेन के दो डब्बों को अलग कर दिया जाए.
इस टेक्नोलॉजी की मदद से हम भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रमा मिशन और अन्य बड़े अंतरिक्ष प्रोजेक्ट्स में सफल हो सकते हैं. यह दिखाता है कि भारत अब इतनी एडवांस टेक्नोलॉजी भी अपने दम पर बना सकता है. इन सुविधाओं का इस्तेमाल स्पेस में घूमने वाले सैटेलाइट्स को रिसोर्सेज़ पहुंचाने या ट्रांसफर करने जैसे इन-ऑर्बिट में फ्यूल भरने आदि. ऐसी सुविधाएं लंबे समय तक स्पेस में जाने वाले मिशन के दौरान काफी उपयोगी होती हैं.
SpaDeX में दो छोटे सैटेलाइट्स शामिल हैं, SDX01 (Chaser) और SDX02 (Target), जिनका वजन लगभग 220 किलोग्राम है. इन सैटेलाइट्स को 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक सर्कुलर ऑर्बिट में प्लेस किया जाएगा. उसके बाद ये सैटेलाइट्स इनमें मौजूद अत्याधुनिक सेंसर और एल्गोरिदम का उपयोग करके एक-दूसरे सैटेलाइट्स की पहचान करेंगे, एलाइंग करेंगे और डॉक करेंगे. यह एक ऐसी उपलब्धि होगी, जिसे अभी तक सिर्फ कुछ चुनिंदा देशों ने ही हासिल किया है.
SpaDeX पर विशेषज्ञों की राय
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक सुरंदर पाल ने ईटीवी भारत को इस मिशन के बारे में बताते हुए कहा कि,
"30 दिसंबर 2024, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम (Indian Space Program) के लिए एक सुनहरा दिन होगा. हम 2024 को एक ऐतिहासिक घटना के साथ समाप्त कर रहे हैं और 2025 में अपार उम्मीदों के साथ प्रवेश कर रहे हैं. यह मिशन पहली बार है जब पूरे सैटेलाइट सिस्टम को इंडस्ट्री द्वारा एक साथ जोड़ा गया है, जो ISRO और प्राइवेट प्लेयर्स के बीच एक महत्वपूर्ण कॉलेबरेशन को दर्शाता है."
उन्होंने आगे कहा कि, "यह मिशन कई नए इनोवेटिव टेक्नोलॉजी का परीक्षण करेगा, जैसे कि ऑप्टिकल और लेजर सेंसर, ऑटोनोमस सिस्टम्स और इन-ऑर्बिटिंग सर्विसिंग. चेज़र और टारगेट सैटेलाइट्स के लॉन्च के बाद, ये दोनों 10-15 किलोमीटर की दूरी पर होंगे. उसके बाद सटीक संचालन के जरिए वो इस दूरी को धीरे-धीरे कम करेंगे. इस प्रयोग को करने के बाद भारत, अमेरिका के नासा (NASA), रूस, चीन और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) जैसे देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जो ऑटोनोमस डॉकिंग करने में सक्षम हैं. इन सभी टेक्नोलॉजी को स्वदेशी रूप से डेवलप किया गया है, जो भारत की स्पेस इनोवेशन में लगातार बढ़ती जा रही विशेषज्ञता को साबित करता है."
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