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कानपुर RTO ऑफिस में फ्राॅड; नकली बाप बनाकर बेटे ने अपने नाम ट्रांसफर करा ली मृत पिता की फॉर्च्यूनर - Fraud in car transfer Kanpur

RTO कार्यालय में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने अफसरों को चौंका कर रख दिया. यहां फॉर्च्यूनर कार अपने नाम कराने के लिए बेटे ने अपने मृत पिता की जगह दूसरे व्यक्ति को कुछ देर के लिए अपना पिता बना लिया.

कानपुर में नकली पिता बनाकर फॉर्च्यूनर करवा ली अपने नाम ट्रांसफर.
कानपुर में नकली पिता बनाकर फॉर्च्यूनर करवा ली अपने नाम ट्रांसफर. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 14, 2024, 12:59 PM IST

Updated : Aug 14, 2024, 1:54 PM IST

कानपुर : RTO कार्यालय में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने अफसरों को चौंका कर रख दिया. यहां फॉर्च्यूनर कार अपने नाम कराने के लिए बेटे ने अपने मृत पिता की जगह दूसरे व्यक्ति को कुछ देर के लिए अपना पिता बना लिया. इसके बाद आसानी से कार अपने नाम करा ली. इस मामले में आरटीओ ऑफिस के कर्मचारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कैसे कार का हस्तांतरण हो गया, इसकी जांच की जाएगी. वहीं कार का पंजीयन ब्लैक लिस्टेड कर नोटिस भेजा गया है.

आरटीओ प्रशासन आलोक कुमार ने बताया कि कानपुर में रियल स्टेट कारोबारी देवेंद्र सिंह के पिता अच्छे लाल की 4 जून 2022 को मौत हो गई थी. अच्छे लाल ने दो शादियां की थीं. पहली शादी से देवेंद्र तो दूसरी शादी से जैनेंद्र सिंह उनके पुत्र हैं. एक फॉर्च्यूनर कार अच्छे लाल के नाम पर पंजीकृत थी, जिसे बड़ा बेटा देवेंद्र चला रहा था. छोटे बेटे जैनेंद्र ने कूटरचित तरीके से पिता को जिंदा बताकर दूसरे व्यक्ति को खड़ा किया और पिछले साल जुलाई में कार अपने नाम करा ली. जब देवेन्द्र को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने आरटीओ कार्यालय में शिकायत की. इससे दफ्तर में हड़कंप की स्थिति हो गई. आनन-फानन में कार का पंजीयन ब्लैक लिस्टेड करके दोनों पक्षों को नोटिस जारी कर 22 अगस्त को बुलाया गया है.

हस्तांतरण का क्या है नियम: एआरटीओ प्रशासन आलोक कुमार ने बताया कि अगर किसी वाहन मालिक की मौत हो जाती है तो नियम यह है कि उसके वारिस जिसमें पुत्र, पुत्री व पत्नी शामिल है, को तहसील से वारिस प्रमाण पत्र बनवा कर देना होता है. वहीं उसके परिवार के कई लोगों के होने पर किसी एक के नाम के ट्रांसफर करने का हलफनामा भी जमा कराया जाता है. वहीं दूसरी स्थिति में यदि वाहन मालिक किसी को रजिस्टर्ड वसीयत कर गया है तो तहसील का वारिस पत्र बनवाने की जरूरत नहीं होती है और वाहन उसी के नाम हस्तांतरित हो जाता है.

इस मामले में आरटीओ कार्यालय के कर्मचारी की संलिप्तता सामने आ रही है. आरटीओ प्रशासन आलोक कुमार ने बताया कि इसकी भी विभागीय जांच की जाएगी. अगर हस्तांरण में कर्मचारी की भूमिका सामने आती है तो कार्रवाई होगी.

यह भी पढ़ें : कानपुर में 1000 करोड़ की जमीन पर कब्जा; प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित पुलिस रिमांड पर, 9 आरोपियों पर 25-25 हजार इनाम - Kanpur land grab Scandal

कानपुर : RTO कार्यालय में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने अफसरों को चौंका कर रख दिया. यहां फॉर्च्यूनर कार अपने नाम कराने के लिए बेटे ने अपने मृत पिता की जगह दूसरे व्यक्ति को कुछ देर के लिए अपना पिता बना लिया. इसके बाद आसानी से कार अपने नाम करा ली. इस मामले में आरटीओ ऑफिस के कर्मचारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कैसे कार का हस्तांतरण हो गया, इसकी जांच की जाएगी. वहीं कार का पंजीयन ब्लैक लिस्टेड कर नोटिस भेजा गया है.

आरटीओ प्रशासन आलोक कुमार ने बताया कि कानपुर में रियल स्टेट कारोबारी देवेंद्र सिंह के पिता अच्छे लाल की 4 जून 2022 को मौत हो गई थी. अच्छे लाल ने दो शादियां की थीं. पहली शादी से देवेंद्र तो दूसरी शादी से जैनेंद्र सिंह उनके पुत्र हैं. एक फॉर्च्यूनर कार अच्छे लाल के नाम पर पंजीकृत थी, जिसे बड़ा बेटा देवेंद्र चला रहा था. छोटे बेटे जैनेंद्र ने कूटरचित तरीके से पिता को जिंदा बताकर दूसरे व्यक्ति को खड़ा किया और पिछले साल जुलाई में कार अपने नाम करा ली. जब देवेन्द्र को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने आरटीओ कार्यालय में शिकायत की. इससे दफ्तर में हड़कंप की स्थिति हो गई. आनन-फानन में कार का पंजीयन ब्लैक लिस्टेड करके दोनों पक्षों को नोटिस जारी कर 22 अगस्त को बुलाया गया है.

हस्तांतरण का क्या है नियम: एआरटीओ प्रशासन आलोक कुमार ने बताया कि अगर किसी वाहन मालिक की मौत हो जाती है तो नियम यह है कि उसके वारिस जिसमें पुत्र, पुत्री व पत्नी शामिल है, को तहसील से वारिस प्रमाण पत्र बनवा कर देना होता है. वहीं उसके परिवार के कई लोगों के होने पर किसी एक के नाम के ट्रांसफर करने का हलफनामा भी जमा कराया जाता है. वहीं दूसरी स्थिति में यदि वाहन मालिक किसी को रजिस्टर्ड वसीयत कर गया है तो तहसील का वारिस पत्र बनवाने की जरूरत नहीं होती है और वाहन उसी के नाम हस्तांतरित हो जाता है.

इस मामले में आरटीओ कार्यालय के कर्मचारी की संलिप्तता सामने आ रही है. आरटीओ प्रशासन आलोक कुमार ने बताया कि इसकी भी विभागीय जांच की जाएगी. अगर हस्तांरण में कर्मचारी की भूमिका सामने आती है तो कार्रवाई होगी.

यह भी पढ़ें : कानपुर में 1000 करोड़ की जमीन पर कब्जा; प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित पुलिस रिमांड पर, 9 आरोपियों पर 25-25 हजार इनाम - Kanpur land grab Scandal

Last Updated : Aug 14, 2024, 1:54 PM IST
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