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Rajasthan: स्फटिक श्रीयंत्र से पाएं आर्थिक उन्नति, आय में वृद्धि व व्यवसाय में सफलता, ऐसे करें स्थापित

स्फटिक श्रीयंत्र देवी लक्ष्मी का अमोघ फलदायक यंत्र है. श्रीयंत्र में लक्ष्मीजी का वास है. इसे अपनाने से समस्त सुख व समृद्धि प्राप्त होती है.

Sphatik Sriyantra On Diwali
दीवाली पर स्फटिक श्रीयंत्र की करें पूजा (Photo ETV Bharat Bikaner)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

बीकानेर: स्फटिक श्रीयंत्र ऐश्वर्यदाता और लक्ष्मीप्रदाता है. इस यंत्र को समस्त यंत्रों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है. यह यंत्र आय में वृद्धि कारक व व्यवसाय में सफलता दिलाने वाला होता है. प्रसिद्ध वास्तुविद राजेश व्यास ने स्फटिक श्रीयंत्र का महत्व बताते हुए कहा कि जीवन में आर्थिक उन्नति और स्थायी धन की इच्छा पूरी करने के लिए स्फटिक श्रीयंत्र की पूजा का महत्व है.

व्यास ने कहा कि आज के समय में अधिकतर व्यक्ति कितना भी कमाए, लेकिन धन का संचय कर पाना कठिन काम हो जाता है. वे कहते हैं कि इस दिवाली घर पर स्फटिक श्रीयंत्र लाकर उसकी पूजा करें. स्फटिक श्रीयंत्र स्थायी धन प्राप्ति का अचूक उपाय बनता है. इसके साथ देवी लक्ष्मी, शुक्र देव और कुबेरजी की पूजा का विधान तुरंत असरदायक होता है, जहां देवी लक्ष्मी जी ऐश्वर्य देती हैं वहीं, शुक्र देव की अनुकूलता से सुख वैभव भोगने का सामर्थ्य मिलता है. साथ ही कुबेर धन का संचय कराते हैं और वैभव प्रदान करते हैं. इन तीनों की पूजा संयुक्त रुप से श्रीयंत्र के समक्ष की जाए तो अवश्य ही संपन्नता व समृद्धि बनी रहती है.

पढ़ें: यहां प्रसाद में मिलते हैं नोट और गहने, दिवाली की पूजा के बाद, जानिए भारत के वो प्रसिद्ध लक्ष्मी मंदिर जहां दर्शनों की है बड़ी मान्यता

पौराणिक ग्रंथों में है उल्लेख: उन्होंने बताया कि स्फटिक श्रीयंत्र साधना को पौराणिक ग्रंथों में भी महत्वपूर्ण बताया गया है. मां लक्ष्मी और ऐश्वर्यप्रदाता शुक्र की उपासना के लिए श्रीयंत्र की पूजा की जानी चाहिए. स्फटिक यंत्र में धनदात्री माता महालक्ष्मी व शुक्र का आशीर्वाद समाहित होता है. इसकी साधना से भक्ति, मुक्ति, ऐश्वर्य सभी प्रकार के वैभव की प्राप्ति होती है.

स्फटिक श्री यंत्र पूजा विधि: इस यंत्र को स्थिर लग्न में यथाविधि द्वारा पूजना चाहिए. इस यंत्र को गंगाजल व पंचामृत से शुद्ध किया जाता है. यंत्र को विग्रह में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें और यथाविधि पंचोपचार व षडोशोपचार पूजन करें व मंत्र जाप करें. सर्वप्रथम श्रीगणेशजी का स्मरण करें और फिर मां लक्ष्मी के मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री ॐ महालक्ष्म्यै नम:” का जाप करना चाहिए. माता लक्ष्मी के जाप के उपरांत शुक्र ग्रह के मंत्र ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नम: का जाप करना चाहिए. अंत में धनपति कुबेर जी का स्मरण व मंत्र पूजन 'ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा' का ध्यान करना चाहिए.

यह भी पढ़ें: मराठाकालीन लक्ष्मी माता का मंदिर जहां सदियों से दीपोत्सव की परंपरा, लगता है खीर का भोग

पूजन के बाद रखें तिजोरी में: स्फटिक श्रीयंत्र को व्यवसाय स्थल अथवा तिजोरी में रखा जा सकता है. स्फटिक श्रीयंत्र को नित्य धूप व दीप से पूजन व जप करें. मान्यता है कि विधि के अनुसार पूजा व जप करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. आपके पास धन का आगमन बना रहेगा.

स्फटिक श्रीयंत्र महत्व: स्फटिक श्रीयंत्र को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है यह शुद्धता व पवित्रता का प्रतीक होता है.यह यंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.स्फटिक यंत्र से घर व कार्य स्थल में समृद्धि बनी रहती है. यह विकास का मार्ग प्रशस्त करता है. यह यंत्र त्रिमूर्ति का स्वरुप भी माना जाता है. वास्तु दोषों के निवारण करके शांति व ऐश्वर्य स्थापित करने के लिए यह श्रेष्ठतम है.

बीकानेर: स्फटिक श्रीयंत्र ऐश्वर्यदाता और लक्ष्मीप्रदाता है. इस यंत्र को समस्त यंत्रों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है. यह यंत्र आय में वृद्धि कारक व व्यवसाय में सफलता दिलाने वाला होता है. प्रसिद्ध वास्तुविद राजेश व्यास ने स्फटिक श्रीयंत्र का महत्व बताते हुए कहा कि जीवन में आर्थिक उन्नति और स्थायी धन की इच्छा पूरी करने के लिए स्फटिक श्रीयंत्र की पूजा का महत्व है.

व्यास ने कहा कि आज के समय में अधिकतर व्यक्ति कितना भी कमाए, लेकिन धन का संचय कर पाना कठिन काम हो जाता है. वे कहते हैं कि इस दिवाली घर पर स्फटिक श्रीयंत्र लाकर उसकी पूजा करें. स्फटिक श्रीयंत्र स्थायी धन प्राप्ति का अचूक उपाय बनता है. इसके साथ देवी लक्ष्मी, शुक्र देव और कुबेरजी की पूजा का विधान तुरंत असरदायक होता है, जहां देवी लक्ष्मी जी ऐश्वर्य देती हैं वहीं, शुक्र देव की अनुकूलता से सुख वैभव भोगने का सामर्थ्य मिलता है. साथ ही कुबेर धन का संचय कराते हैं और वैभव प्रदान करते हैं. इन तीनों की पूजा संयुक्त रुप से श्रीयंत्र के समक्ष की जाए तो अवश्य ही संपन्नता व समृद्धि बनी रहती है.

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पौराणिक ग्रंथों में है उल्लेख: उन्होंने बताया कि स्फटिक श्रीयंत्र साधना को पौराणिक ग्रंथों में भी महत्वपूर्ण बताया गया है. मां लक्ष्मी और ऐश्वर्यप्रदाता शुक्र की उपासना के लिए श्रीयंत्र की पूजा की जानी चाहिए. स्फटिक यंत्र में धनदात्री माता महालक्ष्मी व शुक्र का आशीर्वाद समाहित होता है. इसकी साधना से भक्ति, मुक्ति, ऐश्वर्य सभी प्रकार के वैभव की प्राप्ति होती है.

स्फटिक श्री यंत्र पूजा विधि: इस यंत्र को स्थिर लग्न में यथाविधि द्वारा पूजना चाहिए. इस यंत्र को गंगाजल व पंचामृत से शुद्ध किया जाता है. यंत्र को विग्रह में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें और यथाविधि पंचोपचार व षडोशोपचार पूजन करें व मंत्र जाप करें. सर्वप्रथम श्रीगणेशजी का स्मरण करें और फिर मां लक्ष्मी के मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री ॐ महालक्ष्म्यै नम:” का जाप करना चाहिए. माता लक्ष्मी के जाप के उपरांत शुक्र ग्रह के मंत्र ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नम: का जाप करना चाहिए. अंत में धनपति कुबेर जी का स्मरण व मंत्र पूजन 'ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा' का ध्यान करना चाहिए.

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पूजन के बाद रखें तिजोरी में: स्फटिक श्रीयंत्र को व्यवसाय स्थल अथवा तिजोरी में रखा जा सकता है. स्फटिक श्रीयंत्र को नित्य धूप व दीप से पूजन व जप करें. मान्यता है कि विधि के अनुसार पूजा व जप करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. आपके पास धन का आगमन बना रहेगा.

स्फटिक श्रीयंत्र महत्व: स्फटिक श्रीयंत्र को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है यह शुद्धता व पवित्रता का प्रतीक होता है.यह यंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.स्फटिक यंत्र से घर व कार्य स्थल में समृद्धि बनी रहती है. यह विकास का मार्ग प्रशस्त करता है. यह यंत्र त्रिमूर्ति का स्वरुप भी माना जाता है. वास्तु दोषों के निवारण करके शांति व ऐश्वर्य स्थापित करने के लिए यह श्रेष्ठतम है.

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