नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र में मां काली के पूजन का विशेष महात्मय है. देशभर में दुर्गाअष्टमी की तैयारियां जोरों पर हैं. राजधानी दिल्ली के मंदिर मार्ग पर स्थित कालीबाड़ी मंदिर में महाष्टमी के दिन विशेष धूम देखने को मिलती है. मंदिर में देवी काली की प्रतिमा को कोलकाता के प्रमुख कालीघाट काली मंदिर की प्रतिमा के समान बनाया गया है.
काली मंदिर का अष्टमी पूजन बेहद खास : दुर्गा पूजा के दौरान यहां पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. यहां अष्टमी पूजन बेहद अलग होता है. 30 वर्षों से यहां कोलकाता से एक विशेष मंडली आती है, जो काली पूजन पर सांस्कृतिक ढोल नगाड़े बजाती है. मंदिर का इतिहास, मान्यता, पूजन भंडारण आदि जानकारियों के लिए 'ETV भारत' ने मंदिर के पुजारी से विशेष बातचीत की. आइए, जानते हैं उन्होंने क्या बताया?
मंदिर के पीपल के पेड़ में लोगों की असीम आस्था : पहले भक्तों को पंडाल में बैठा कर भंडारा खिलाया जाता था. इसलिए इस बार थाली सिस्टम की तरह भंडार वितरण किया जाएगा. काली बाड़ी मंदिर की मान्यता बहुत है. मंदिर के अंदर ही एक विशाल पीपल का पेड़ है. भक्तगण इस पेड़ को पवित्र मानते हैं और इस पर लाल धागा बांध कर मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करते हैं.
कैसे पहुंचें काली बाड़ी : यह मंदिर नई दिल्ली के मंदिर मार्ग पर प्रसिद्ध बिड़ला मंदिर के करीब है. यह कनॉट प्लेस से लगभग 2 किमी पश्चिम में स्थित है. निकटतम दिल्ली मेट्रो स्टेशन रामकृष्ण आश्रम मार्ग, दिल्ली है. लद्दाख बौद्ध विहार भी कालीबाड़ी के समान दिशा में स्थित है. आसपास के क्षेत्र गोल मार्केट, काली बाड़ी मार्ग, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, रानी झांसी मार्ग, झंडेवालान आदि हैं. बस से पहुंचने के लिए करीबी स्टॉप बिरला मंदिर है.
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