मेरठ: योगाभ्यास और प्राणायाम के माध्यम से जहां आम से खास तक सभी लोग जुड़कर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं, वहीं इनको नियमित अपने जीवन में शामिल करने से बड़े बदलाव भी मानव जीवन में देखने को मिल रहे हैं. आज कल तो जून का महीना है. दिन निकलते ही आसमान से सूर्य की तपीश हर किसी को परेशान किए हुए है.
ऐसे में यह भी जानना बेहद उपयोगी है कि इस तपती गर्मी के सीजन में दिन निकलते ही आसमान से बरसने वाली आफत से सुरक्षित रखने के लिए भी विभिन्न ऐसे आसन हैं, जिनको लेकर यह दावा किया जाता है कि ये गर्मी में सुरक्षा कर सकते हैं. बशर्ते, इन क्रियाओं को दिनचर्या में शामिल किया जाए.
प्रसिद्ध योगाचार्य अमरपाल आर्य बताते हैं कि बहुत ज्यादा गर्मी और प्यास लगती है तो इसे नियंत्रित करने के लिए कई ऐसे प्राणायाम हैं जिन्हें करके गर्मी में राहत पाई जा सकती है. शीतली शीतकारी में मुंह से सांस लेने पर जीभ के द्वारा ठंडी हवा अंदर जाती है. इससे शरीर को ठंडक मिलती है.
गर्मी में शरीर को ठंडा रखने वाले योगासन और प्राणायाम को लेकर वह बताते हैं कि योग में प्राणायाम और आसनों का विशेष महत्व होता है. अब क्योंकि गर्मी काफी हो रही है, दिन निकलते ही तेज धूप इंसान के मन मस्तिष्क तक को प्रभावित करने लगती है. ऐसे में गर्मी से बचाव के लिए भी खास प्राणायाम हैं जिनके करने से रहत मिल सकती है.
योगाचार्य अमरपाल आर्य बताते हैं कि शीतली प्राणायाम खासकर गर्मियों में करना बेहद ही उपयोगी है. आखिर किस प्रकार इसे करना चाहिए, इसके लिए वह पूरी प्रक्रिया बताते हैं. शीतली प्राणायाम में सबसे पहले दांतों को हल्के से जोड़ लेते हैं. इसके बाद दांतों के पीछे जीभ लगाकर गहरी लंबी सांस लेते हैं. यहां यह भी ध्यान रहे कि सांस मुंह से लेनी है और नाक से छोड़ें. इस तरह से इस विधि को अपनाते हुए इसे किया जा सकता है.
अमरपाल आर्य बताते हैं कि गर्मियों में अक्सर जहां तापमान परेशान करता है वहीं यह भी देखने में आता है कि होंठ भी सूख जाते हैं. बार-बार प्यास लगती है. ऐसे में शीतकारी प्राणायाम बेहद ही उपयोगी और गुणकारी होता है.
शीतकारी प्राणायाम के विषय में वह बताते हैं कि इसमें मुंह खुला रखकर जीभ बाहर निकालते हैं. उसके बाद होंठों को इस प्रकार घुमाते हैं कि 'ओ' का आकार बन जाए. उसके बाद फिर मुंह से सांस लेंगे और नाक से सांस को छोड़ेंगे. इस प्रकार मुंह से सांस लेने पर जीभ के द्वारा ठंडी हवा अंदर शरीर में प्रवेश करती है. यह शीतली और शीतकारी प्राणायाम गर्मी के मौसम में ही करना अधिक उपयोगी है. क्योंकि शीत ऋतु में करने से सर्दी-जुकाम होने की संभावना रहती है.
इन क्रियाओं को दिन में किसी भी समय किया जा सकता है. अगर होंठ सूख जाते हों तो शुरुआत में पांच से छह बार करना चाहिए. इन योग से फायदा यह होगा कि शरीर के तापमान को कम और नियंत्रित करने के साथ ही यह मस्तिष्क को भी ठंडा रखते हैं.
इसी प्रकार चंद्रभेदी प्राणायाम भी बेहद ही उपयोगी और महत्वपूर्ण है. बढ़ती गर्मी में तनाव करने लगे हैं तो आपको चंद्रभेदन प्राणायाम के बारे में जरूर जानना चाहिए यह बेहद ही लाभकारी है. पेट की गर्मी, पित्त रोगों में इससे आराम मिलता है. खट्टी डकार और मुंह के छाले भी समाप्त करने में यह उपयोगी साबित होता है. रक्त को प्यूरीफाई भी यह करता है. साथ ही यह प्राणायाम त्वचा के रोगों में भी लाभकारी है.
उच्च रक्तचाप, चिड़चिड़ेपन, अनिद्रा व तनाव से दूर करने के लिए भी इसे किया जा सकता है. इसके साथ ही यह मन शांत रखने में भी उपयोगी है और नई एनर्जी देता है. शरीर की गर्मी दूर करता है. इनके अतिरिक्त भ्रामरी प्राणायाम के विषय में भी बताते हैं कि मस्तिष्क ठंडा रखने में यह बेहद ही उपयोगी है.
फिलहाल यहां यह भी जानना बेहद जरूरी है कि किसी कुशल योग प्रशिक्षक या योगाचार्य की देखरेख में ही हमें योगाभ्यास और प्राणायाम करना चाहिए. साथ ही जो नियम इन क्रियाओं को करने के लिए बने हैं उन्हें फॉलो करना भी बेहद ही आवश्यक है.
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