शिमला: आज विश्व फोटोग्राफी दिवस है. इस दिन हम आपको हिमाचल के खूबसूरत जगहों के फोटो भी दिखाएंगे और उनके बारे में कुछ जानकारी भी देंगे. हिमाचल प्रदेश में बर्फ से ढके पहाड़, घाटियां इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती है.यहां की शांत वादियां, तीर्थ स्थल, रीति रिवाज लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. हिमाचल में स्थित हिमालय में चंद्रताल, सूरजताल, दीपकताल जैसे खूबसूरत झीलें अलग ही मनमोहक नजारा पेश करती हैं. यहां पर फोटग्राफी करना किसी सपने से कम नहीं है.
हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियां, जलवायु, रीति-रिवाज हैं. ये हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक, भौगोलिक विविधता को दर्शाती हैं. इसके साथ ही हिमाचल धार्मिक पर्यटन के लिए भी जाना जाता है. चलिए देखते हैं हिमाचल प्रदेश में स्थित कुछ खूबसूरत स्थानों की तस्वीरें.
कालका शिमला रेलवे ट्रैक
कालका-शिमला रेल मार्ग विश्व धरोहर में शामिल ऐतिहासिक रेलवे ट्रैक है. 9 नवंबर, 1903 को कालका-शिमला रेलमार्ग की शुरुआत हुई थी. देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इस रेल मार्ग पर टॉय ट्रेन में सफर का आनंद लेते हैं. 1896 में इस रेल मार्ग को बनाने का काम दिल्ली-अंबाला कंपनी को सौंपा गया था. 96 किमी लंबे रेलमार्ग पर 18 स्टेशन हैं. इस ट्रैक पर 103 रेल टनल और 869 छोटे-बड़े पुल हैं.
लुहणू मैदान
बिलासपुर में गोबिंद सागर झील के किनारे बना लुहणू क्रिकेट मैदान का नजारा बहुत खूबसूरत है. ये स्टेडियम एचपीसीए के तहत आता है. यहां कई रणजी और प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेले जा चुके हैं. मैदान के साथ लगती गोबिंद सागर झील इसकी खूबसूरती को कई गुणा बढ़ा देती है.
विश्वभर में प्रसिद्ध है कुल्लू का हथकरघा उद्योग
कुल्लू का हथकरघा उद्योग मशीनी युग में भी फल फूल रहा है. यहां की कुल्लवी शॉल, टोपी और पोशाकों को विश्वस्तरीय पहचान मिली है. भुट्टिको जैसी संस्थाओं के साथ आज भी कई बुनकर जुड़े हुए हैं. भुट्टिको कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी को देश-प्रदेश में कई सम्मान मिल चुके हैं.
शिमला का रिज मैदान
शिमला का रिज मैदान शहर का मुख्य आकर्षण है. यहां पूरे साल सुबह से लेकर शाम तक पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. यहां पर सैर का अपना ही आनंद है. रिज के साथ बना अंग्रेजों के जमान का चर्च पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है. यहां पर कई सेल्फी प्वाइंट भी हैं और नेचुरल सीनरी को कैमरे में उतारने का अवसर फोटो प्रेमियों को जरूर मिलता है.
शिमला स्थित टाउन हॉल
राजधानी शिमला में स्थित ब्रिटिश शासनकाल के दौरान साल 1908 में बनी टाउन हॉल की इमारत बेहद खूबसूरत है. इसका डिजाइन स्कॉटलैंड के आर्किटेक्ट जेम्स रेंजैम ने बनाया था. टाउन हॉल की इमारत ट्यूडर शैली में बनी हैं. इसमें पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. लकड़ी की बनी लंबी चौड़ी खिड़कियां इसके आकर्षण का केंद्र हैं. 2014 में इसका जीर्णोद्धार करने का फैसला लिया गया था.
रोहतांग दर्रा
रोहतांग दर्रा मनाली में स्थित हैं. इसे रितांका जोत के नाम से भी जाना जाता है. ये पीरपंजाल श्रेणी पर स्थित है. यह लाहौल-स्पीति घाटी का प्रवेश द्वारा है. 3980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह पूरा साल भर बर्फ से ढका रहता है. बर्फबारी के सीजन में यह पूरी तरह से बंद हो जाता है. रोहतांग दर्रे पर पहुँचने वाले पहले अंग्रेज व्यक्ति विलियम मूरक्राफ्ट था. अत्याधिक ठंडा होने के कारण रोहतांग दर्रे को 'लाशों का ढेर' भी कहा जाता है.
गोबिंद सागर झील
बिलासपुर में स्थित गोबिंद सागर झील बेहद ही सुंदर है. सतलुज नदी पर भाखड़ा नंगल डैम के बनने के बाद इसका निर्माण हुआ था. यह कृत्रिम झील है. यहां कई वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी भी होती हैं. ये झील मछली उत्पादन के लिए भी जानी जाती है.
गद्दी जनजाति
गद्दी जनजाति चंबा में पाई जाती है. ये भेड़ पालक होते हैं. सर्दियों में ये अपनी भेड़ बकरियों के साथ चंबा से उतरकर हिमाचल के मैदानी इलाकों में आ जाते हैं. इन्हें सरकार की ओर से परमिट भी जारी किया जाता है. गर्मियों के मौसम में ये वापस अपने घर लौट जाते हैं. भ्रमण के दौरान गद्दी अपना सामान घोड़ों पर लेकर चलते हैं.
चिनाब नदी
चिनाब नदी को चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है. ये चंद्रा और भागा नदियों का तांदी में संगम होने के बाद अस्तित्व में आती है. चंद्रा और भगा हिमाचल प्रदेश में लाहौल-स्पीति घाटी में स्थित बारालाचा दर्रे से निकलती हैं. चिनाब नदी चंबा से होते हुए जम्मू कश्मीर में प्रवेश करती है और पाकिस्तान से बहते हुए झेलम के साथ मिलती है और उसके बाद सिंधू नदी में जा मिलती है. ऋग्वेद में चिनाब नदी को असिकनी कहा गया है.
खुंडी झील
खुंडी झील चंबा जिले के चुराह तहसील में 3750 मीटर की ऊंचाई पर है. यहां तक पहुंचने के लिए कठिन रास्ता तय करना पड़ता है. ट्रैकिंग के लिए ये बढ़िया विकल्प है. रास्ते में वाटरफॉल और ग्लेशियर भी आएंगे ये झील 2 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है. इस झील को महाकाली झील के नाम से भी जाना जाता है. इसके साथ खुला मैदान भी है.
पराशर झील
पराशर झील मंडी जिले में धौलाधार रेंज में स्थित है. पराशर झील में तैरने वाला एक टापू है. इसका स्वच्छ पानी इस सुंदर स्थान के आकर्षण में जोड़ता है. मंडी क्षेत्र के संरक्षक देवता ऋषि पराशर को समर्पित प्राचीन पैगोडा शैली का मंदिर झील के किनारे स्थित है. इस मंदिर का निर्माण राजा बान सेन ने 13-14वीं शताब्दी में करवाया था, जिसमें ऋषि पिंडी (पत्थर) के रूप में मौजूद हैं.
एडवांस स्टडी
शिमला में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज को वाइसरीगल लॉज के नाम से भी जाना जाता है. यह इमारत 6 दशकों तक वायसरॉय और गवर्नर जनरल का आवास रही. लॉर्ड डफरिन के समय 1886 में स्थल पर निर्माण शुरू हुआ और लेडी डफरिन ने 23 जुलाई 1888 को लॉर्ड डफरिन इस भवन में रहने वाले पहले व्यक्ति थे. इस भवन के लिए चाबा से बिजली की व्यवस्था की गई थी. आजादी के बाद इमारत को राष्ट्रपति आवास बनाया गया. इसके बाद 1965 में इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी बना दिया गया.
अटल टनल
अटल टनल मनाली में स्थित है. यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. इसे वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने दुनिया की सबसे लंबी यातायात टनल का खिताब दिया है. इस टनल की लंबाई 9.02 किलोमीटर है. भारत के पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने 2002 में इसके निर्माण की घोषणा की थी. यूपीए सरकार के समय में इसका नींव पत्थर रखा गया था. इस टनल के बनने के बाद मनाली और लेह की दूरी 45 किलोमीटर कम हुई है. ये टनल यातायात के लिए 12 महीने खुली रहती है. टनल के अंदर 4G क्नेक्टेविटी भी मिलती है. 3 अक्तूबर 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घटान किया था.