लखनऊ : आंखों का स्वस्थ होना व्यक्ति के खानपान और उसकी जीवनशैली पर निर्भर करता है. आमतौर पर देखा जाता है कि लोग अपनी सेहत का विशेष ख्याल नहीं रखते हैं. मोबाइल स्क्रीन पर काफी समय बिताते हैं. बाहर भी इतना प्रदूषण है कि आंखों के नमी गायब हो जाती है. जिसके कारण व्यक्ति की आंखें कमजोर हो जाती हैं. आंखों में जलन और लालिमा होने लगती है. नजदीक की चीजें नहीं दिखाई देती और दूर की चीज समझ नहीं आती. ऐसी तमाम समस्याओं से अनेक लोग जूझ रहे हैं.
केजीएमयू के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि इस बार विश्व दृष्टि दिवस का दिवस का उद्देश्य माता-पिता, शिक्षकों और वयस्कों की भूमिका का, बच्चों की आंखों की देखभाल में निर्धारण करना है. जीवन के सभी चरणों में अलग-अलग तरीके से आंखों के ख्याल को विभाजित किया गया है. उन्होंने कहा कि शिशुकाल, किशोरावस्था, वयस्क और वृद्धावस्था में आंखों की देखभाल आवश्यक है. शारीरिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में आंखों की देखभाल को घर, कार्यस्थल और बाहरी क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिए.
डाॅ. अरुण कुमार शर्मा के मुताबिक अगर बाहर निकल रहे हैं तो आंखों को बचाने के लिए चश्मा का इस्तेमाल कर सकते हैं. स्क्रीन से बचने के लिए स्क्रीन प्रोटेक्शन चश्मे का इस्तेमाल कर सकते हैं. व्यक्ति अपनी आंखों के लिए स्वयं सतर्क रहना होगा. ओपीडी में इस तरह के मरीज आते हैं, जो छह वर्ष, सात वर्ष का बच्चा है और उसकी आंखें कमजोर है यह निर्भर करता है कि व्यक्ति का खान-पान कैसा है उसके दिनचर्या कैसी हैं. ऐसा तो नहीं है कि कहीं बच्चा स्क्रीन टाइम अधिक बीता रहा है.
आंखों की राहत के लिए अपनाएं ये टिप्स
डाॅ. अरुण कुमार शर्मा मुताबिक जब भी आप कहीं बाहर से आते हैं तो सबसे पहले मुंह हाथ धोकर तुरंत आंखों पर पानी से छिट्टा मारिए या फिर एक बाल्टी में बिल्कुल साफ पानी लें और आंखें खोलकर बाल्टी में सिर डालें. इसके बाद बार-बार अपनी आंखों को खोले बंद करें. इससे आंखों में गए कण बाहर आ जाते हैं और आंखों को राहत मिलती है. विशेषज्ञ के द्वारा लिखी गई आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें. बगैर विशेषज्ञ के परामर्श के किसी भी तरह का कोई भी आई ड्रॉप आंखों में न डालें.
प्रारंभिक आयु के लिए
-जन्म के समय आंखों की जांच किसी सक्षम नेत्र रोग विशेषज्ञ से करानी चाहिए.
-किसी भी प्रकार का पानी आना, सफेद पुतली, दर्द, स्राव, आंखें खोलने में असमर्थता, इनमें से किसी को भी नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
-उचित संतुलित आहार और नियमित कृमि मुक्ति के माध्यम से पोषण का रखरखाव.
प्री स्कूल और स्कूली बच्चों में
- दृष्टि रिकॉर्ड और भेंगापन के लिए आंखों की जांच की जानी चाहिए.
- निर्धारित चश्मा नियमित रूप से पहनना चाहिए.
- दृष्टि में धुंधलापन, आंखों में खुजली, सिरदर्द के लक्षणों पर चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए.
- निकट कार्य करने के लिए पर्याप्त रोशनी और स्क्रीन पर समय प्रबंधन महत्वपूर्ण है.
- यदि आप स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताते हैं, तो हर 20 मिनट में कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखकर ब्रेक लें.
वयस्कों के लिए
- मधुमेह और उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में रखें.
- सक्रिय और निष्क्रिय धूम्रपान से बचें.
- ड्राइविंग, वेल्डिंग जैसे व्यवसायों में बाहरी गतिविधियों के दौरान सुरक्षात्मक चश्मा पहनना सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
- आंखों की नियमित जांच करानी चाहिए.
- मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ग्लूकोमा, कैंसर रोगियों के परिवार के अन्य सदस्यों को नियमित रूप से नेत्र रोग की जांच करानी चाहिए.
यह भी पढ़ें : सावधानी से ही नेत्र विकारों से बचाव संभव : विश्व दृष्टि दिवस
यह भी पढ़ें : लाॅकडाउन में मोबाइल का अधिकाधिक उपयोग कहीं आपके लाडलों को कर ना दे बीमार