नई दिल्ली: प्रतिवर्ष 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है. कैंसर पूरे विश्व के लिए एक चुनौतीपूर्ण बीमारी है, जिसके कारण हर साल दुनिया भर में लाखों लोग काल के गाल में समा जाते हैं. कई तरह के कैंसर का इलाज भी मेडिकल साइंस की मदद से खोज लिया गया है. लेकिन उसे इलाज के सहारे कुछ साल तक ही कैंसर के मरीज सरवाइव कर पाते हैं, हालांकि डॉक्टर अभिषेक का कहना है कि अगर पहले और दूसरी स्टेज में ही समय पर कैंसर का पता चल जाए और उच्च इलाज मिल जाए तो कैंसर को जड़ से भी खत्म किया जा सकता है. विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि हमारे देश में कैंसर के प्रति जागरूकता की बहुत कमी है, इस वजह से अधिकतर मरीजों में कैंसर की बीमारी का पता तीसरे और चौथे स्टेज में ही चल पाता है.
तीसरे और चौथी स्टेज में कैंसर के पहुंचने के बाद मरीज का जीवन साल 2 साल का ही रह जाता है. वह भी कैंसर के महंगे इलाज के कारण एक-दो साल समय बढ़ भी जाए, लेकिन तीसरे और चौथे चरण के कैंसर को जड़ से खत्म करना अभी तक संभव नहीं हो पाया है. इसलिए कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 4 फरवरी का दिन वर्ल्ड कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है. विश्व कैंसर दिवस का प्राथमिक लक्ष्य कैंसर और बीमारी के कारण होने वाली मौतों को कम करना है. बहुत से लोग कैंसर को दूर करने के लिए आध्यात्मिकता का भी सहारा लेते हैं.
कैंसर के प्रति जागरूकता: धर्मशिला नारायण अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर सृजन एवं स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ डॉक्टर अंशुमन कुमार ने बताया कि 1933 में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया था. यह दिवस कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने, लोगों को शिक्षित करने, इस रोग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को समझाने तथा हर साल लाखों लोगों को मरने से बचाने के लिए मनाया जाता है. 2014 में इसे विश्व कैंसर घोषणा के लक्ष्य 5 पर केंद्रित किया गया है जो कैंसर के कलंक को कम और मिथकों को दूर करने से संबंधित है.
76 लाख लोग कैंसर से मर जाते हैं: डॉक्टर अंशुमान ने बताया कि वर्तमान में दुनिया भर में हर साल 76 लाख लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं, जिनमें से 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु वर्ग में) मर जाते हैं. इसलिए समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ कैंसर से निपटने की व्यावहारिक रणनीति विकसित करना है. उन्होंने बताया कि डबल्यूएचओ के अनुसार इस साल यानी 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों के बढ़कर प्रति वर्ष 60 लाख होने का अनुमान है. यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों में 25 प्रतिशत कमी के लक्ष्य को हासिल किया जाए तो हर साल 15 लाख जीवन बचाए जा सकते हैं.
कैंसर को लेकर डॉक्टर की सलाह: वर्ल्ड कैंसर डे के अवसर पर कैलाश दीपक अस्पताल में कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर पल्लवी रेडू ने बताया कि एक कैंसर स्टडी के अनुसार यह बात सामने आई है कि वर्ष 2040 तक पूरी दुनिया में कुल मरीजों की संख्या में 50% मैरिज कैंसर के हो जाएंगे, इसलिए कि कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इन पर रोक लगाने के लिए कैंसर के प्रति जागरूकता होना, जागरूक होना बहुत जरूरी है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि कैंसर के लक्षणों को पहचानने की जरूरत है. हर व्यक्ति को इन लक्षणों की जानकारी होनी चाहिए. कैंसर के जो रिस्क फैक्टर हैं, उनका ध्यान रखना चाहिए. कैंसर के रिस्क में स्मोकिंग और अल्कोहल का इस्तेमाल जैसी चीज शामिल है. इसके अलावा हम लोग एक्सरसाइज से दूर होते जा रहे हैं. एक्सरसाइज नहीं करते हैं. फिट रहने के लिए एक्सरसाइज करना भी जरूरी है. कम से कम सप्ताह में 5 दिन जरूर एक्सरसाइज करें. व्यायाम को अपने दिनचर्या में शामिल करें.
#WATCH दिल्ली: विश्व कैंसर दिवस पर डॉ. पीयूषा कुलश्रेष्ठ ने कहा, " ...मैं आपको बस इतना बताना चाहती हूं कि pm आयुष्मान भारत कैंसर रोगियों को गुणवत्तापूर्ण और समय पर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में एक बड़ा बदलाव है। कैंसर में, समय बहुत महत्वपूर्ण है। अगर किसी व्यक्ति को कैंसर का पता… pic.twitter.com/sybOL0aoUF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 4, 2025
कैंसर के लक्षण और अर्ली साइन: अगर किसी के मुंह में अल्सर है और काफी दिनों से ठीक नहीं हो रहा है तो उसको डॉक्टर को जरूर दिखाएं. अगर बिना कुछ करे आपका वजन कम हो रहा है. अगर 3 महीने में 10% वजन कम हो गया है तो उसको अनदेखा ना करें. डॉक्टर को जरूर दिखाएं. भूख कम लगना या कहीं से भी ब्लीडिंग होना. बच्चेदानी के रास्ते से भी ब्लीडिंग होना इन चीजों को अनदेखा न करें. तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
उन्होंने कहा कि शरीर में कहीं भी घाट महसूस होती है या महिलाओं को ब्रेस्ट में गांड महसूस होती है तो उसको बिल्कुल भी अनदेखा न करें तुरंत तो दिखा कर उसकी जांच कराएं. 50 साल से अधिक उम्र की महिलाएं हैं तो उनको मैमोग्राफी जांच साल में एक बार जरूर करा लेनी चाहिए. सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपी वैक्सीन लगवानी चाहिए 9 से 16 साल तक की बच्चियों के लिए या 45 साल तक की महिलाओं के लिए एक कारगर होती है उनको जरूर लगवानी चाहिए.
दिल्ली के अस्पतालों में कैंसर के मरीजों की भीड़: वरिष्ठ कैंसर सर्जन एवं स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ डॉक्टर अंशुमान ने बताया कि दिल्ली में देश के कई बड़े सरकारी अस्पताल हैं, जिनमें कैंसर का इलाज उपलब्ध है. इसलिए देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में हर महीने हजारों मरीज इन अस्पतालों में इलाज के लिए आते हैं. दिल्ली में एम्स, सफदरजंग, लेडी हार्डिंग, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान जैसे सरकारी अस्पताल हैं जहां कैंसर का निःशुल्क इलाज होता है. निजी अस्पतालौं में राजीव गांधी, मैक्स, फोर्टिस और अपोलो जैसे बड़े अस्पताल हैं, जिनमे कैंसर का इलाज होता है.
भारत में डे केयर की सुविधा उपलब्ध: सरकार ने बजट में जिला स्तर पर कैंसर मरीजों के लिए डे केयर खोलने की घोषणा की है. बता दें कि 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में पूरे देश में जिला स्तर पर कैंसर के मरीजों के लिए डे केयर की सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है. इसको लेकर डॉक्टर अंशुमान कुमार ने कहा कि यह कदम बहुत ही स्वागतयोग्य है. लेकिन, सरकार इसको जमीन पर उतारेगी तभी इसके परिणाम देखने को मिलेंगे.
नई दिल्ली या बड़े शहरों में इलाज: डॉक्टर अंशुमान ने बताया कि डे केयर का मतलब होता है कीमोथेरेपी की सुविधा मिलना. कैंसर के अधिकांश मरीजों को कीमोथेरेपी की आवश्यकता पड़ती है. इसलिए मरीज को गर जिला स्तर पर कीमोथेरेपी मिल जाएगी तो उसको कैंसर के इलाज के लिए नई दिल्ली में या दूसरे बड़े शहरों में इलाज के लिए धक्के नहीं खाने पड़ेंगे. इससे मरीज के पैसे और समय दोनों की बचत होगी. कैंसर, शरीर में कोशिकाओं की असामान्य और अनियंत्रित वृद्धि की स्थिति है. कैंसर की वजह से शरीर के अंगों में ट्यूमर बन जाते हैं. कैंसर के कई प्रकार होते हैं. कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी, रेडिएशन, और सर्जरी से किया जाता है.
वर्ल्ड कैंसर डे पर डॉक्टर का इंटरव्यू
सवाल | जवाब |
| भारत में कई प्रकार के कैंसर पाए जा रहे हैं. अगर 2026 नियंत्रण नहीं हुआ तो भारत कैंसर के मामले में पूरे विश्व की राजधानी हो जाएगा. अब 2026 तक नियंत्रण होना भी मुश्किल है क्योंकि 2025 चल रहा है. भारत में सबसे ज्यादा फेंफड़े का कैंसर उसके बाद मुंह, गले, बच्चेदानी का कैंसर, स्तन और प्रोस्टेट का कैंसर भी मिलने लगा है. पहले प्रोस्टेट का कैंसर भारत में बहुत कम पाया जाता था, अब यह भी मिलने लगा है. |
2. भारत में कैंसर के तेजी से बढ़ने के क्या कारण हैं? | भारत में कैंसर के तेजी से बढ़ने का प्रमुख कारण दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होना है. आबादी ज्यादा होने की वजह से स्वास्थ्य सुविधाएं उस स्तर की नहीं हो पा रही हैं कि कैंसर का जल्दी पता चल सके. इसके अलावा लोगों ने पाश्चात्य जीवनशैली को भी अपनाना शुरू कर दिया है. शराब और तंबाकू का सेवन बढ़ना, प्रदूषण, खाद्य पदार्थों में मिलावट, सब्जियों में जहरीलापन, प्लास्टिक का अधिक इस्तेमाल भी कैंसर बढ़ने का कारण है. |
3. दिल्ली में देशभर से कैंसर के इलाज के लिए मरीज आते हैं. मरीजों का ज्यादा लोड होने की वजह से समय पर इलाज नहीं मिल पाता. इस पर क्या कहेंगे? | दिल्ली में तो फिर भी अस्पताल हैं. पूरे देश में कैंसर का जितना लोड है. उसके हिसाब से सभी को इलाज देने के लिए देश में उतने डॉक्टर, उतने बेड, उतने ओंकोलॉजिस्ट नहीं हैं. 10 लाख कैंसर के मरीजों पर सिर्फ दो हजार ओंकोलॉजिस्ट हैं. इसलिए कैंसर के सभी मरीजों को इलाज मिलना मुश्किल है. इसके समाधान का सबसे कारगर तरीका एक ही है जल्दी से जल्दी कैंसर की पहचान करना. |
4. कैंसर की जल्दी से जल्दी पहचान हो इसके लिए क्या करने की जरूरत है? | इसके लिए सरकार को कैंसर की रोकथाम के लिए नीति लानी होगी. इसमें वायु प्रदूषण से लेकर सारी चीजों पर काम करना होगा. वर्ल्ड कैंसर डे का थीम भी चल रहा है, क्लोज द केयर गैप. इसके लिए कम्युनिटी हेल्थ सेंटर और प्राइमरी हेल्थ सेंटर तक सुविधाएं उपलब्ध करानी पड़ेंगी और ये किया जा सकता है. एक एमबीबीएस और बीडीस का डॉक्टर भी ये कर सकता है. |
5. कैंसर के इलाज की सुविधाओं को आसानी से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए क्या करने की जरूरत है? | इसके लिए कैंसर के इलाज की सुविधाओं का विकेंद्रीयकरण करने की जरूरत है. कोविड के समय आपने देखा होगा कि कैंसर के इलाज के लिए बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से लोग दिल्ली नहीं आ पाए और उनका इलाज नहीं हो पाया. इसलिए हर जगह हर राज्य में कैंसर के इलाज की सुविधा बढ़ाने के लिए सरकार को नीति लानी होगी. जिससे हर कोई मरीज इलाज के लिए दिल्ली न भागे. |
6. सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए सरकार ने बजट में टीकाकरण के लिए घोषणा की है. इसे कैसे देखते हैं? | अंतरिम बजट में सरकार ने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए नौ से 14 वर्ष की बच्चियों के टीकाकरण की घोषणा की है. यह अच्छी पहल है इसी तरह की और पहल करने की जरूरत है. अगर कैंसर पर आपने कंट्रोल कर लिया तो इलाज में आपका जितना पैसा खर्च हो रहा है वह नहीं होगा. |
7. कुछ डॉक्टर कहते हैं कि कैंसर कभी ठीक नहीं होता सिर्फ कंट्रोल होता है. उसके दोबारा उभरने की संभावना रहती ही है. इस पर क्या कहेंगे? | यह बिल्कुल गलत बात है. प्राथमिक स्तर (अर्ली स्टेज) का कैंसर हमेशा ठीक हो जाता है. जो डॉक्टर ये बात कहते हैं वे कैंसर के डॉक्टर नहीं होंगे. हां, अगर कैंसर चौथे चरण का है. शरीर में हर तरफ फैल चुका है तो वह ठीक नहीं होता है. ऐसी स्थिति में यह कोशिश रहती है कि कैंसर को कंट्रोल करें और मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाएं. मरीज का ये चौथे चरण के बाद का जो समय है वह कष्ट में ना बीते. |
8. कौन-कौन से कैंसर को कंट्रोल करने के लिए वैक्सीन उलब्ध है? | सबसे उपयुक्त और महत्वपूर्ण वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर का है. सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के कारण होता है. इसकी वैक्सीन उपलब्ध है. दूसरा हिपेटाइटिस बी एक लिवर का इन्फेक्शन है. जिसके कारण पीलिया होता है. अगर उसका टीका लगा लिया जाए तो हिपेटाइटिस नहीं होगा. हिपेटाइटिस हो जाने वाले कुछ लोगों में लिवर कैंसर का चांस होता है. इस तरह कह सकते हैं कि लिवर कैंसर से बचने के लिए हिपेटाइटिस का टीका लगवा सकते हैं. लेकिन, सीधे तौर पर अभी सर्वाइकल कैंसर का टीका उपलब्ध है. |
क्या है कैंसर की बीमारी: कैंसर, शरीर में कोशिकाओं की असामान्य और अनियंत्रित वृद्धि की स्थिति है. कैंसर की वजह से शरीर के अंगों में ट्यूमर बन जाते हैं. कैंसर के कई प्रकार होते हैं. कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी, रेडिएशन, और सर्जरी से किया जाता है. बता दें कि कैंसर एक प्रकार की बीमारी है जो नॉर्मल सेल का ग्रुप होता है उसके अंदर चेंज होने शुरू हो जाते हैं. इन सेल के वर्गीकृत किया गया है कार्सिनोमा, सार्कोमा, लिंफोमा, ल्यूकेमिया और ब्रेन एंड स्पाइनकॉर्ड कैंसर.
क्या हैं कैंसर के लक्षण: कैंसर के लक्षण की बात करें तो अगर कहीं शरीर में गांठ बन रही हो और उसका साइज बढ़ रहा हो तो सावधान होना चाहिए. हमेशा खांसने में, सांस लेने में दिक्कत होना भी कैंसर का लक्षण हो सकता है. जब हम सुबह नित्य क्रिया करने जाते हैं उनमें कोई अचानक बदलाव हो रहा हो तो हमें सावधान हो जाना चाहिए. शरीर के किसी हिस्से से अचानक ब्लीडिंग होने लगे तो तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए. ब्रेन में अनएक्सपेक्टेड चेंज हो रहा हो तो सावधान होना चाहिए. भूख एकदम से बंद हो जाए और वजन कम होने लगे तो हमें अपने डॉक्टर को जरूर दिखा देना चाहिए. कैंसर एंटीजन टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट जिसमें अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, पेट स्कैन शामिल हैं. इनसे कैंसर का पता लग जाता है और ट्रीटमेंट की बात करें तो आजकल अगर जल्दी पता लग जाए तो शुरुआती चरण में सर्जरी से इस में काफी फायदा हो सकता है.