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मुरैलगढ़ पहाड़ पर छिपा है सबसे बड़ा खजाना, रहस्य और रोमांच का यहां बेजोड़ मेल - MYSTERY OF MURAILGARH MOUNTAIN

भरतपुर के घने जंगलों में मुरैलगढ़ का पहाड़ है. पहाड़ से जुड़े इतने रहस्य हैं जिनको आज तक कोई सुलझा नहीं पाया.

MYSTERY OF MURAILGARH MOUNTAIN
मुरैलगढ़ पहाड़ में छिपा है खजाना (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 1, 2024, 5:15 PM IST

Updated : Nov 2, 2024, 4:10 PM IST

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: मुरैलगढ़ का ऐतिहासिक पहाड़ पूरे छत्तीसगढ़ में अपने रहस्य और रोमांच को लेकर प्रसिद्ध है. कहते हैं यहां पर दुनिया का बससे बड़ा खजाना पहाड़ के भीतर छुपा है. खजाने के साथ साथ रहस्य और रोमांचक कहानियों से भी मुरैलगढ़ पहाड़ का बड़ा वास्ता है रहा है. धार्मिक रुप से भी पहाड़ को लेकर लोगों में बड़ी आस्था है. मान्यता है कि पहाड़ की रक्षा खुद यहां सिद्ध बाबा करते हैं. दिन भर यहां कोई भी आए जाए रुके कोई फर्क नहीं पड़ता. रात के वक्त यहां कोई नहीं रुक सकता है. यहां पंडे पुजारी भी रात को नहीं रुक सकते हैं.

मुरैलगढ़ पहाड़ में छिपा है खजाना: इलाके को लोगों का कहना है कि यहां पहाड़ में कहीं पर बड़ा खजाना छिपा हुआ है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि पहाड़ और खजाने की रक्षा यहां की अदृश्य शक्तियां करती हैं. लोगों का दावा है कि यहां छिपे खजाने तक कोई भी नहीं पहुंच पाया है. मुरैलगढ़ पहाड़ में कई प्राचीन गुफाओं और मंदिरों के अस्तित्व हैं. हजारों साल पुराने मंदिरों के यहां अवशेष होने का दावा भी स्थानीय लोग करते हैं. पहाड़ पर कई चित्र और मूर्तियों की तस्वीरें बनी हुई हैं. सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का मुरैलगढ़ पहाड़ हमेशा से केंद्र रहा है.

मुरैलगढ़ पहाड़ में छिपा है खजाना (ETV Bharat)

यहां पर सिद्ध बाबा रहते हैं. रात के वक्त यहां पंडे पुजारी भी नहीं रुक सकते हैं. जो भी रात में यहां रुकने की कोशिश करता है उसे सिद्ध बाबा भगा देते हैं. :लोकनाथ, स्थानीय निवासी

यहां पर बहुत बड़ा खजाना छिपा है. इतना बड़ा खजाना है कि तीन दिनों तक पूरी दुनिया को खिलाया जा सकता है. :सुबेलाल, भक्त

घने जंगल से घिरा है पूरा इलाका: मुरैलगढ़ पहाड़ पर आने के लिए लोगों को घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है. मुरैलगढ़ पहाड़ पर पहुंचने के दौरान रास्ते में लोगों को कई जंगली जीव जंतु भी मिलते हैं. लेकिन कभी किसी को ये जीव जंतु नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. एडवेंचर की तलाश में भी यहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक हर साल आते हैं. दीपावली के त्योहार के बाद लोग यहां पूजा करने जरुर पहुंचते हैं. मान्यता है कि यहां मांगी गई इच्छा पूरी होती है. इच्छा पूरी होने के बाद भक्त दोबारा सिद्ध बाबा को धन्यवाद देने आते हैं. हर साल यहां पर एक धार्मिक मेले का भी आयोजन किया जाता है.

इस स्थान की विशेषता है कि यहां कोई रात में नहीं रुकता. लोग इस पहाड़ पर रात बिताने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन कोई भी रात नहीं बीता पाया है. लोककथाओं के मुताबिक यहां पहाड़ में कई शक्तियां जो उन्हें रात में रुकने की अनुमति नहीं देती. :राम लखन बैगा, स्थानीय निवासी

सिद्ध बाबा का है धाम: मुरैलगढ़ पहाड़ को यहां के स्थानीय लोग सिद्ध बाबा का धाम मानते हैं. दीपावली के बाद सिद्ध बाबा धाम में दीप जलाने के लिए लोग बड़ी संख्या में आते हैं. मान्यता है कि यहां के रहस्यों से भरे मंदिरों और गुफाओं में पूजा करने से मन्नत मांगने से भक्त की इच्छाएं पूरी होती हैं. आस्था के इस दरबार में सालों साल लोगों के आने की संख्या बढ़ती जा रही है.

रात में कोई नहीं रुक पाता यहां: स्थानीय लोगों का दावा है कि यहां रात के वक्त कोई नहीं रुक पाता. दिन में जो भी यहां आए जाए लेकिन रात के वक्त यहां कोई नहीं रुक सकता. कहते हैं कि बाबा खुद रात में जो रुकना चाहता है उसे यहां से बाहर कर देते हैं. स्थानीय लोगों का दावा है कि कई लोगों ने यहां पर रात गुजारने की कोशिश की मगर वो रात को यहां नहीं टिक पाया. यहां की स्थानीय लोककथाओं में भी ये जिक्र है कि यहां रात को रुकने की अनुमति किसी को नहीं है. स्थानीय लोगों का ऐसा दावा है. बढ़ते भीड़ के चलते पर्यावरण की रक्षा के लिहाज से भी यहां पर गांव वालों ने एक कमिटी बनाकर पर्यावरण संरक्षण का काम शुरु किया है.

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मुरैलगढ़ पहाड़ में छिपा है खजाना: इलाके को लोगों का कहना है कि यहां पहाड़ में कहीं पर बड़ा खजाना छिपा हुआ है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि पहाड़ और खजाने की रक्षा यहां की अदृश्य शक्तियां करती हैं. लोगों का दावा है कि यहां छिपे खजाने तक कोई भी नहीं पहुंच पाया है. मुरैलगढ़ पहाड़ में कई प्राचीन गुफाओं और मंदिरों के अस्तित्व हैं. हजारों साल पुराने मंदिरों के यहां अवशेष होने का दावा भी स्थानीय लोग करते हैं. पहाड़ पर कई चित्र और मूर्तियों की तस्वीरें बनी हुई हैं. सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का मुरैलगढ़ पहाड़ हमेशा से केंद्र रहा है.

मुरैलगढ़ पहाड़ में छिपा है खजाना (ETV Bharat)

यहां पर सिद्ध बाबा रहते हैं. रात के वक्त यहां पंडे पुजारी भी नहीं रुक सकते हैं. जो भी रात में यहां रुकने की कोशिश करता है उसे सिद्ध बाबा भगा देते हैं. :लोकनाथ, स्थानीय निवासी

यहां पर बहुत बड़ा खजाना छिपा है. इतना बड़ा खजाना है कि तीन दिनों तक पूरी दुनिया को खिलाया जा सकता है. :सुबेलाल, भक्त

घने जंगल से घिरा है पूरा इलाका: मुरैलगढ़ पहाड़ पर आने के लिए लोगों को घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है. मुरैलगढ़ पहाड़ पर पहुंचने के दौरान रास्ते में लोगों को कई जंगली जीव जंतु भी मिलते हैं. लेकिन कभी किसी को ये जीव जंतु नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. एडवेंचर की तलाश में भी यहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक हर साल आते हैं. दीपावली के त्योहार के बाद लोग यहां पूजा करने जरुर पहुंचते हैं. मान्यता है कि यहां मांगी गई इच्छा पूरी होती है. इच्छा पूरी होने के बाद भक्त दोबारा सिद्ध बाबा को धन्यवाद देने आते हैं. हर साल यहां पर एक धार्मिक मेले का भी आयोजन किया जाता है.

इस स्थान की विशेषता है कि यहां कोई रात में नहीं रुकता. लोग इस पहाड़ पर रात बिताने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन कोई भी रात नहीं बीता पाया है. लोककथाओं के मुताबिक यहां पहाड़ में कई शक्तियां जो उन्हें रात में रुकने की अनुमति नहीं देती. :राम लखन बैगा, स्थानीय निवासी

सिद्ध बाबा का है धाम: मुरैलगढ़ पहाड़ को यहां के स्थानीय लोग सिद्ध बाबा का धाम मानते हैं. दीपावली के बाद सिद्ध बाबा धाम में दीप जलाने के लिए लोग बड़ी संख्या में आते हैं. मान्यता है कि यहां के रहस्यों से भरे मंदिरों और गुफाओं में पूजा करने से मन्नत मांगने से भक्त की इच्छाएं पूरी होती हैं. आस्था के इस दरबार में सालों साल लोगों के आने की संख्या बढ़ती जा रही है.

रात में कोई नहीं रुक पाता यहां: स्थानीय लोगों का दावा है कि यहां रात के वक्त कोई नहीं रुक पाता. दिन में जो भी यहां आए जाए लेकिन रात के वक्त यहां कोई नहीं रुक सकता. कहते हैं कि बाबा खुद रात में जो रुकना चाहता है उसे यहां से बाहर कर देते हैं. स्थानीय लोगों का दावा है कि कई लोगों ने यहां पर रात गुजारने की कोशिश की मगर वो रात को यहां नहीं टिक पाया. यहां की स्थानीय लोककथाओं में भी ये जिक्र है कि यहां रात को रुकने की अनुमति किसी को नहीं है. स्थानीय लोगों का ऐसा दावा है. बढ़ते भीड़ के चलते पर्यावरण की रक्षा के लिहाज से भी यहां पर गांव वालों ने एक कमिटी बनाकर पर्यावरण संरक्षण का काम शुरु किया है.

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Last Updated : Nov 2, 2024, 4:10 PM IST
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