मेरठ: आज दुनिया भर में वर्ल्ड अस्थमा दिवस मनाया जा रहा है. हर साल मई माह के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है. बड़े और बुजुर्ग जनों के मुकाबले भारत में बच्चों में भी अस्थमा तेजी से पनप रहा है. अस्थमा या दमा अगर किसी को हो जाता है, तो उससे जीवन में काफी कठिनाई हो जाती है. आज के समय में तो अनियमित दिनचर्या और भागदौड़ भरी लाइफस्टाईल में तो यह अस्थमा लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इसी बारे में ईटीवी भारत ने पश्चिमी यूपी के प्रसिद्ध छाती रोग विशेषज्ञ से खास बातचीत की.
डॉक्टर विरोत्तम तोमर बताते हैं, कि पूरे विश्व में लगभग 36 करोड़ लोग दमा रोग से पीड़ित है. जबकि लगभग 4 करोड़ लोग भारत में दमा रोग से पीड़ित हैं. 60 फिसदी लोग इसका इलाज ही नहीं करा रहे हैं.जो लोग उपचार ले भी रहे हैं, उनमें से 15 से 20 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं, जिन्हें ठीक से यह जानकारी भी नहीं है कि कौन सा इन्हेलर लेना है और उनके लिए क्या सही है. डॉक्टर विरोत्तम बताते हैं, कि अधिकतर लोग तत्काल आराम देने वाला इन्हेलर इस्तेमाल इस्तेमाल करते है क्यों कि वह सस्ता होता है. ऐसा करने से बचे.
अगरबत्ती-धूपबत्ती से भी स्वस्थ मनुष्य को दमा हो सकता है: वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ विरोत्तम तोमर कहते हैं, कुछ लोग घरों में प्रोफेशन लाइट कवर्ड पौधे रख लेते हैं. यह पौधे भी दमे का कारण बन सकते हैं. ऐसे लोगों को कवर्ड घरों में पौधे लगाने से बचना चाहिए. इसी तरह अगर घर में सीलन है, तो सीलन से भी दम हो सकता है. पहले घरों में हवन होता था, पूजन होता था. अभी भी घरों में यह होता है, इससे न सिर्फ वातावरण शुद्ध होता है. बल्कि, मानसिक शुद्धि भी होती है. लेकिन यदि क्योंकि कवर्ड घर में अगर हवन करेंगे, तो समस्या हो सकती है. वहीं, घर में स्थान का चयन भी सोच विचार से करना चाहिए. डॉक्टर विरोत्तम तोमर कहते हैं, कि सैकड़ों वर्षो से हवन पद्धति चली आ रही है. लेकिन, अब अगरबत्ती धूपबत्ती की खूब धड़ल्ले से बिक्री हो रही है. जबकि, इनमें तमाम तरह की हानिकारक गैस निकलती हैं, जो कि दमा पैदा करती हैं. इनसे बचना चाहिए. इसी तरह अगर घर में पावर बैकअप को उचित स्थान पर नहीं रखेंगे, जहां वेंटीलेशन की पर्याप्त व्यवस्था हो तो बैट्रियों से निकलने वाली खतरनाक गैस भी दमे से ग्रसित कर सकती हैं.
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बदलती जीवनशैली, बढ़ता प्रदूषण स्तर और एलर्जी भी है अस्थमा के कारक
अस्थमा एवं एलर्जी के लक्षण: एलर्जिक रायनाइटिस- इससे रोगियों को जुकाम,खासी, नाक बंद होना, आंख से पानी आना, गले में खुजली इत्यादि लक्षण दिखते है.फूड एलर्जी- इसमें विशेष किसी खाद्य पदार्थ का सेवन करने से मुंह एवं होटों पर खुजली एवं सूजन, गले में खुजली, शरीर पर चकत्ते, उल्टी एवं जी मिचलाने जैसे लक्षण दिखते है. दवाइओं की एलर्जी- इसमें एलर्जी के लक्षण किसी विशेष दवाई से एलर्जिक रोगियों को विशेष दवा के सेवन से हो सकते है. एलर्जिक कंजक्टिवाटिस- इसमें आंख में सूजन एवं लाल होना, आंख में गढ़न, आंख से पानी आना इत्यादि हो सकता है.अस्थमा- इसमें खांसी, सांस फूलना, छाती में सीटी बजना, जकड़ा होना इत्यादि लक्षण दिख सकते है.
एलर्जी एवं अस्थमा का निदान:स्किन प्रिक टेस्ट Skin Prick Test (SPT)- इसमें विभिन्न प्रकार के एलर्जी के तत्व सुई के माध्यम से शरीर में लगाकर उससे होने वाली एलर्जी के लक्षण को देखा जाता है. खूंन जांच - इओसिनोफिलिया, ओए आईजीई (Eosinophilia ,oa IgE) की जांच से एलर्जी के बारें में पता लगाया जाता है.फेफड़े की जांच - इसमें देखा जाता है कि फेफड़े किस प्रकार से काम कर रहे है.मेडिकल डायरी में एलर्जी के लक्षणों को लिखकर ध्यानपूर्वक नोट करने से भी एलर्जी के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकती है, जो कि इलाज में मील का पत्थर साबित हो सकती है.
एलर्जी अस्थमा का इलाज:एलर्जी करने वाला तत्व अगर ज्ञात हो सके तो उससे दूर रहे. डॉक्टर की सलाह से एन्टी एलर्जी एवं स्टेराॅयड के सेवन से एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है. इन्हेलर के समुचित तरह से सेवन से अस्थमा को कारगर तरह से नियंत्रित किया जा सकता है. एलर्जी के बारे मे जागरुकता फैलाकर एलर्जी को रोका जा सकता है.विभिन्न प्रकार के प्रदूषण को नियंत्रित करके एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है.इम्यूनोथेरेपी- यह आज की तारीख में एलर्जी का सबसे एडवांस इलाज है परन्तु यह महंगा है और विशेष परिथितियों में ही इसका इस्तेमाल किया जाता है.
केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने आयोजित किया कॉन्क्लेव-2024: डॉ. वेद प्रकाश ने बताया, कि पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग एलर्जी एवं अस्थमा के क्षेत्र में समुचित निदान एवं इलाज के लिए प्रतिबद्ध है. विभाग में इसके निदान एवं इलाज की परिपूर्ण व्यवस्था उपलब्ध है. यहां पर अत्याधिक कुशल चिकित्सकों एवं स्टाफ की टीम है जो अस्थमा एवं एलर्जी के सम्पूर्ण इलाज के लिये प्रशिक्षित एवं प्रतिबद्ध है. यहां एडवान्स फेफड़े की जांच, स्किन प्रिक टेस्ट (एसपीटी), इम्यूनोथेरेपी, बायोलॉजिक्स इत्यादि उपलब्ध है जो इस विभाग को एलर्जी एवं अस्थमा के समुचित इलाज के लिये स्टेट-आफ-आर्ट का दर्जा देती है. पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग विश्व अस्थमा दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय कार्यक्रम एलर्जी अस्थमा कॉन्क्लेव-2024 का आयोजन हो रहा है. जिसमें अस्थमा दिवस पर पूरे प्रदेश एवं देश के एलर्जी एवं अस्थमा के विशेषज्ञ आकर संस्थान में आयोजित चिकित्सकों को अपना अनुभव साझा करेंगे. एवं उन्हें वर्कशाप के माध्यम से दो दिवस तक एलर्जी एवं अस्थमा के निदान एवं इलाज के लिये प्रशिक्षित करेंगें.
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