रांची: झारखंड के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मजदूरों, कामगारों और छात्रों को बेहतर परिवहन सेवा उपलब्ध कराने के लिए ग्राम गाड़ी योजना शुरू की गई है. वर्तमान मुख्यमंत्री चंपई सोरेन जब हेमंत सरकार में परिवहन मंत्री हुआ करते थे, तब वे कई बार कई मंचों पर इस योजना की तारीफ करते दिखे थे. इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सस्ती दरों पर परिवहन सेवाएं प्रदान करना था. लेकिन, पूरे झारखंड के ग्रामीणों को इसका लाभ देने का वादा करने वाली सरकार राजधानी रांची में ही इस योजना को ठीक से लागू नहीं कर पायी है.
मालवाहक वाहनों में लटककर सफर करते हैं लोग
दरअसल, राजधानी रांची में ऐसी कई तस्वीरें देखने को मिल रही हैं, जिससे पता चलता है कि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों से आने वाले मजदूरों तक इस योजना का लाभ नहीं पहुंच पाया है. पहले की तरह आज भी वे अपनी जान जोखिम में डालकर शहर का सफर तय कर रहे हैं. ये लोग रोजाना मालवाहक वाहनों में लटककर शहर आते हैं और फिर काम के बाद जान जोखिम में डालकर देर शाम इसी तरह घर के लिए निकल जाते हैं.
रांची समेत गोला, रामगढ़, इटकी, मांडर, चान्हो, अंगरहा, बुंडू, तमाड़ जैसे ग्रामीण इलाकों से हर दिन हजारों मजदूर शहर में काम करने आते हैं ताकि वे अपने परिवार के लिए दो वक्त के भोजन की व्यवस्था कर सकें. लेकिन, गांव से शहर आने वाले मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मालवाहक वाहनों से इस तरह लटकना जाहिर तौर पर कभी भी उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है. लेकिन उनकी भी अपनी समस्याएं हैं.
मजदूरों का दर्द
रांची के सिकिदरी इलाके के एक मजदूर ने बताया कि उनके गांवों में किसी भी तरह की कोई ग्रामीण गाड़ी नहीं चलती है. इसलिए वे मालवाहक वाहनों से आने को मजबूर हैं. हुंडरू गांव से आ रहे एक मजदूर ने बताया कि रांची आने वाली बसों में उन्हें किराये के रूप में बड़ी रकम चुकानी पड़ती है, इसलिए मालवाहक वाहन उनके लिए सस्ता है. इसलिए सभी मजदूर मालवाहक वाहन से यात्रा करते हैं.
गौरतलब है कि सरकार ने ग्राम गाड़ी योजना के जरिए भरोसा दिलाया था कि दूरदराज और ग्रामीण इलाकों से आने वाले मजदूरों को सस्ती और सुरक्षित यात्रा की सुविधा मुहैया कराई जाएगी. लेकिन शहर में दिखी तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है.
ट्रैफिक विभाग भी बेसुध
वहीं यातायात विभाग भी शहर में चल रहे ऐसे अवैध लोडिंग पर रोक नहीं लगा पा रहा है, आए दिन शहर के विभिन्न चौराहों पर ऐसी तस्वीरें देखने को मिलती रहती है. ऐसे में यह बड़ा सवाल बन गया है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही कितनी योजनाएं धरातल पर उतर रही हैं.
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