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सरगुजा की महिलाएं बनीं लखपति,बकरी पालन की नई ट्रिक ने बदली जिंदगी - Womens are become millionaires - WOMENS ARE BECOME MILLIONAIRES

Womens are become millionaires from goat rearing सरगुजा की महिलाओं ने बकरी पालन करके अपनी किस्मत चमका ली है. भले ही केंद्र सरकार देश में लखपति दीदी बनाने की योजना लाने वाली है,लेकिन इस योजना से पहले ही प्रदेश की कई महिलाएं लखपति हो चुकी हैं.आईए जानते हैं किसने इन महिलाओं को बनाया है आत्मनिर्भर

Womens are become millionaires from goat rearing in surguja
बकरी पालन से महिला बनी रही लखपति (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 16, 2024, 7:52 AM IST

सरगुजा : सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहनें वाली ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाने के उद्देश्य से लखपति दीदी योजना शुरू की है. लेकिन सरगुजा में पहले से ही कुछ महिलाएं लखपति बन चुकी हैं.ये महिलाएं अपने परिवार का भरण पोषण करने में भी पूरी तरह से सक्षम हैं.इन महिलाओं ने बकरी पालन करके अपने सपनों को सच किया है. अब महिलाएं AI तकनीक की मदद से उन्नत नस्ल के बकरे भी तैयार किए जा रहे हैं.

सरगुजा की महिला ने पाया मुकाम : सरगुजा के जोगी बांध में रहने वाली रंजीता राजवाड़े आज बकरी पालन करके अपने पैरों पर खुद खड़ी हैं. रंजीता किसी पर आश्रित नही है बल्कि खुद आत्मनिर्भर बनकर अपने जीवन को खुशहाल बनाया है. ऐसी हजारों महिलाओं ने बकरी पालन से अपना जीवन बेहतर किया है.रंजीता की माने तो पहले उनकी आर्थिक हालत काफी खराब थी.लेकिन बकरी पालन करके वो अच्छी कमाई कर रही हैं.

बकरी पालन की नई ट्रिक ने बदली जिंदगी (ETV Bharat Chhattisgarh)


''पहले अर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. लेकिन अब वो खुद कमाकर परिवार का खर्च उठा रही हूं.बकरी पालन के अलावा कृषि पशु सखी का भी काम करती हूं. मेरे पास 15 बकरे थे जिनमें से 2 बेच चुकी हैं. एक बकरा करीब 7 से 8 हजार में बिकता है"- रंजीता राजवाड़े, बकरी पालक


ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग के बाद दिया गया लोन : गांव की पशु सखी करमातो राजवाड़े के मुताबिक बकरियों का वैक्सीन उनके पास रहता है. इस टीकाकरण से बकरियां बीमार नहीं पड़ती और उनका वजन अच्छा बना रहता है. वहीं सीआरपी सोनम राजवाड़े के मुताबिक सबसे पहले तो दीदी लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है. पहले डीवार्मिंग टीकाकरण नहीं होता था. हम लोगों ने पहले डी वार्मिंग कराया. फिर टीकाकरण किया. जिससे बकरियां स्वस्थ रहती है. फिर AI के जरिये उन्नत नस्ल की फार्मिंग शुरू कराई है.

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बकरी पालन से महिलाएं बनी रही लखपति (ETV Bharat Chhattisgarh)

''समूह के माध्यम से दीदी लोगों को लोन दिलाया गया, पहले आजीविका चलाने के लिए दीदी लोगों के पास पैसा नहीं था. 30 हजार का लोन लेकर दीदी लोगों ने अपना काम शुरु किया.मुनाफा होने पर ज्यादा लोन लेकर काम कर रही है.अब बकरी और बकरे का वजन पहले से ज्यादा जा रहा है.''- सोनम राजवाड़े ,पीआरपी

बकरी पालन करने वाली महिलाओं की माने तो AI तकनीक से फॉर्मिंग करने पर ज्यादा फायदा होता है. बकरों का वजन 15 से 20 किलो तक जा रहा है.एक बकरा औसत 8 हजार में बिकता है.लिहाजा किसी ने 20 बकरे बेचे तो उसे 1 लाख 60 हजार की आमदनी होगी.वहीं बकरियों से मिलने वाले दूध से आमदनी अलग होगी.

कितनी महिलाएं पाल रहीं हैं बकरी : सरगुजा जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM ) के तहत करीब 3550 महिला बकरी पालन कर रही हैं. इन सबको टेक्निकल सहयोग देने के लिये जिले में 555 पशु सखी काम कर रही हैं. जिले भर में इस योजना के तहत 12 हजार 427 बकरा-बकरी महिलाओं ने पाले हैं. विभाग ने इस काम के लिए 2.90 लाख रुपये का लोन महिलाओं को दिलाया है.

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सरगुजा : सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहनें वाली ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाने के उद्देश्य से लखपति दीदी योजना शुरू की है. लेकिन सरगुजा में पहले से ही कुछ महिलाएं लखपति बन चुकी हैं.ये महिलाएं अपने परिवार का भरण पोषण करने में भी पूरी तरह से सक्षम हैं.इन महिलाओं ने बकरी पालन करके अपने सपनों को सच किया है. अब महिलाएं AI तकनीक की मदद से उन्नत नस्ल के बकरे भी तैयार किए जा रहे हैं.

सरगुजा की महिला ने पाया मुकाम : सरगुजा के जोगी बांध में रहने वाली रंजीता राजवाड़े आज बकरी पालन करके अपने पैरों पर खुद खड़ी हैं. रंजीता किसी पर आश्रित नही है बल्कि खुद आत्मनिर्भर बनकर अपने जीवन को खुशहाल बनाया है. ऐसी हजारों महिलाओं ने बकरी पालन से अपना जीवन बेहतर किया है.रंजीता की माने तो पहले उनकी आर्थिक हालत काफी खराब थी.लेकिन बकरी पालन करके वो अच्छी कमाई कर रही हैं.

बकरी पालन की नई ट्रिक ने बदली जिंदगी (ETV Bharat Chhattisgarh)


''पहले अर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. लेकिन अब वो खुद कमाकर परिवार का खर्च उठा रही हूं.बकरी पालन के अलावा कृषि पशु सखी का भी काम करती हूं. मेरे पास 15 बकरे थे जिनमें से 2 बेच चुकी हैं. एक बकरा करीब 7 से 8 हजार में बिकता है"- रंजीता राजवाड़े, बकरी पालक


ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग के बाद दिया गया लोन : गांव की पशु सखी करमातो राजवाड़े के मुताबिक बकरियों का वैक्सीन उनके पास रहता है. इस टीकाकरण से बकरियां बीमार नहीं पड़ती और उनका वजन अच्छा बना रहता है. वहीं सीआरपी सोनम राजवाड़े के मुताबिक सबसे पहले तो दीदी लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है. पहले डीवार्मिंग टीकाकरण नहीं होता था. हम लोगों ने पहले डी वार्मिंग कराया. फिर टीकाकरण किया. जिससे बकरियां स्वस्थ रहती है. फिर AI के जरिये उन्नत नस्ल की फार्मिंग शुरू कराई है.

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बकरी पालन से महिलाएं बनी रही लखपति (ETV Bharat Chhattisgarh)

''समूह के माध्यम से दीदी लोगों को लोन दिलाया गया, पहले आजीविका चलाने के लिए दीदी लोगों के पास पैसा नहीं था. 30 हजार का लोन लेकर दीदी लोगों ने अपना काम शुरु किया.मुनाफा होने पर ज्यादा लोन लेकर काम कर रही है.अब बकरी और बकरे का वजन पहले से ज्यादा जा रहा है.''- सोनम राजवाड़े ,पीआरपी

बकरी पालन करने वाली महिलाओं की माने तो AI तकनीक से फॉर्मिंग करने पर ज्यादा फायदा होता है. बकरों का वजन 15 से 20 किलो तक जा रहा है.एक बकरा औसत 8 हजार में बिकता है.लिहाजा किसी ने 20 बकरे बेचे तो उसे 1 लाख 60 हजार की आमदनी होगी.वहीं बकरियों से मिलने वाले दूध से आमदनी अलग होगी.

कितनी महिलाएं पाल रहीं हैं बकरी : सरगुजा जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM ) के तहत करीब 3550 महिला बकरी पालन कर रही हैं. इन सबको टेक्निकल सहयोग देने के लिये जिले में 555 पशु सखी काम कर रही हैं. जिले भर में इस योजना के तहत 12 हजार 427 बकरा-बकरी महिलाओं ने पाले हैं. विभाग ने इस काम के लिए 2.90 लाख रुपये का लोन महिलाओं को दिलाया है.

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