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पहली बार खदान के रेस्क्यू टीम में शामिल होंगी महिला कर्मचारी - WOMEN IN MINE RESCUE TEAM

खदान में दुर्घटना होने पर अक्सर लोग फंस जाते हैं. जिन्हें निकालने और मदद पहुंचाने के लिए एक रेस्क्यू टीम होती है.

WOMEN IN MINE RESCUE TEAM
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 3, 2025, 10:26 AM IST

कोरबा: कोयला खदान में दुर्घटना के बाद रेस्क्यू कर जीवन बचाने की जिम्मेदारी अब तक पुरुष ही निभाते आ रहे हैं. लेकिन अब इस रेस्क्यू टीम में महिलाएं भी शामिल होंगी. एसईसीएल पहली बार महिलाओं को माइन रेस्क्यू की की जिम्मेदारी देने जा रहा है.

माइन रेस्क्यू टीम में महिलाएं: उत्खनन कार्य के दौरान कोयला खदानों में कई बार दुर्घटनाएं होती हैं. इसमें रेस्क्यू दल को बचाव कार्य करने के लिए भेजा जाता है. अब तक बचाव दल में पुरुष कर्मचारी ही शामिल रहते हैं. लेकिन अब महिलाओं को भी रेस्क्यू की ट्रेनिंग दी जाएगी. जल्द ही खदान में महिलाओं की ट्रेनिंग शुरू होगी. ट्रेनिंग पूरी करने पर महिला कर्मी भी खदान में दुर्घटना होने पर जीवन बचाने की जिम्मेदारी निभाएगी. कोयला खदानों में सुरक्षा व बचाव कार्य में कुशल महिला कर्मियों को महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा जाएगा.

women in mine rescue team
खदान बचाव दल में महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)

रेस्क्यू में मिलेगी अहम जिम्मेदारी: कोल इंडिया लिमिटेड की सबसे बड़ी कंपनी एसईसीएल की मेगा प्रोजेक्ट दीपका, गेवरा और कुसमुंडा कोरबा जिले में संचालित है. यहां देश की भी सबसे बड़ी कोयला खदाने हैं. आए दिन यहां दुर्घटनाएं होती हैं और रेस्क्यू टीम को खदान में बचाव कार्य के लिए उतारा जाता है. इसके लिए अब एसईसीएल ने महिला साक्षक्तिकरण को बढ़ावा देने वाला अहम कदम उठाया है. जरूर पड़ने पर महिलाएं अब रेस्क्यू करने के लिए खदान में उतरेंगी. हर तरह के बचाव कार्यों में महिलाओं का सहयोग लिया जाएगा. अब तक महिलाओं को खदान में होने वाले जोखिम भरे कार्यों से दूर रखा जाता रहा है, लेकिन अब हर तरह के बचाव कार्य में महिला कर्मचारियों के भी भागीदारी होगी.

खदान रेस्क्यू टीम में शामिल महिलाओं को मिलेगी ट्रेनिंग: एसईसीएल ने पहले रेस्क्यू टीम में शामिल महिलाओं की ट्रेनिंग की योजना बनाई है. रेस्क्यू के पहले ट्रेनिंग का बेहद अहम रोल होता है. जिन महिलाओं को खदान में रेस्क्यू के लिए उतारा जाएगा. फिलहाल उनकी ट्रेनिंग की तैयारी की जा रही है. हाल ही में वित्तीय वर्ष 2024–25 के दौरान 414 भू विस्थापित महिलाओं को भी एसईसीएल में नौकरी मिली है. संभवत: इन महिला कर्मचारियों को भी रेस्क्यू दल में शामिल किया जा सकता है.

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माइन रेस्क्यू टीम में महिलाएं: उत्खनन कार्य के दौरान कोयला खदानों में कई बार दुर्घटनाएं होती हैं. इसमें रेस्क्यू दल को बचाव कार्य करने के लिए भेजा जाता है. अब तक बचाव दल में पुरुष कर्मचारी ही शामिल रहते हैं. लेकिन अब महिलाओं को भी रेस्क्यू की ट्रेनिंग दी जाएगी. जल्द ही खदान में महिलाओं की ट्रेनिंग शुरू होगी. ट्रेनिंग पूरी करने पर महिला कर्मी भी खदान में दुर्घटना होने पर जीवन बचाने की जिम्मेदारी निभाएगी. कोयला खदानों में सुरक्षा व बचाव कार्य में कुशल महिला कर्मियों को महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा जाएगा.

women in mine rescue team
खदान बचाव दल में महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)

रेस्क्यू में मिलेगी अहम जिम्मेदारी: कोल इंडिया लिमिटेड की सबसे बड़ी कंपनी एसईसीएल की मेगा प्रोजेक्ट दीपका, गेवरा और कुसमुंडा कोरबा जिले में संचालित है. यहां देश की भी सबसे बड़ी कोयला खदाने हैं. आए दिन यहां दुर्घटनाएं होती हैं और रेस्क्यू टीम को खदान में बचाव कार्य के लिए उतारा जाता है. इसके लिए अब एसईसीएल ने महिला साक्षक्तिकरण को बढ़ावा देने वाला अहम कदम उठाया है. जरूर पड़ने पर महिलाएं अब रेस्क्यू करने के लिए खदान में उतरेंगी. हर तरह के बचाव कार्यों में महिलाओं का सहयोग लिया जाएगा. अब तक महिलाओं को खदान में होने वाले जोखिम भरे कार्यों से दूर रखा जाता रहा है, लेकिन अब हर तरह के बचाव कार्य में महिला कर्मचारियों के भी भागीदारी होगी.

खदान रेस्क्यू टीम में शामिल महिलाओं को मिलेगी ट्रेनिंग: एसईसीएल ने पहले रेस्क्यू टीम में शामिल महिलाओं की ट्रेनिंग की योजना बनाई है. रेस्क्यू के पहले ट्रेनिंग का बेहद अहम रोल होता है. जिन महिलाओं को खदान में रेस्क्यू के लिए उतारा जाएगा. फिलहाल उनकी ट्रेनिंग की तैयारी की जा रही है. हाल ही में वित्तीय वर्ष 2024–25 के दौरान 414 भू विस्थापित महिलाओं को भी एसईसीएल में नौकरी मिली है. संभवत: इन महिला कर्मचारियों को भी रेस्क्यू दल में शामिल किया जा सकता है.

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