दुर्ग : नगरीय निकाय चुनाव के ऐलान के बाद दुर्ग में राजनीतिक दल से जुड़े कार्यकर्ता निकाय चुनाव में अपनी-अपनी दावेदारी ठोकने में जुटे हैं.दुर्ग की बात करें तो यहां पर महापौर का पद महिला के लिए आरक्षित है.जिसके बाद इस पद के लिए बीजेपी और कांग्रेस में मंथन का दौर शुरु हो चुका है. दोनों ही राजनीतिक दलों में नए के साथ पुराने चेहरे सामने आ रहे हैं.
साहू समाज से हो सकता है प्रत्याशी : बीजेपी ओबीसी वर्ग के सबसे बड़ी संख्या वाले साहू समाज में महापौर प्रत्याशी के लिए संभावनाओं की तलाश कर रही है. इसका सबसे बड़ा कारण बीजेपी संगठन में दुर्ग संगठन में हाल ही में हुए मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष की नियुक्ति है.वहीं संगठन का ढांचा देखें तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि दुर्ग सांसद और एक विधायक कुर्मी और यादव समाज से है.ऐसे में साहू समाज को साधने के लिए महापौर के लिए साहू समाज से प्रत्याशी का ऐलान किया जा सकता है.
बीजेपी की ओर से कौन बन सकता है चेहरा ?: साहू समाज से जुड़ी प्रभावशाली नेत्रियों में बीजेपी की ओर से प्रत्याशियों में डॉ. भारती साहू का नाम तेजी से सामने आ रहा है. छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाली डॉ. भारती साहू समाज सेवा के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है. पीएचडी की उच्च स्तरीय डिग्री लेकर शिक्षाविद के रूप में कॉलेज संचालिका होने के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता के अभियानों का लंबा अनुभव उनके पास है.यही नहीं साहू समाज में महिला प्रकोष्ठ की संभाग अध्यक्ष के रूप में समाज में मजबूत आधार भी है.अन्य साहू समाज वाले दावेदारों में प्रत्याशी सविता पोषण साहू हैं, लेकिन सविता पोषण साहू ने वार्ड पार्षद के लिए भी दावेदारी की है.बीजेपी से जुड़ी शहर की समाज सेविका और चिकित्सक डॉ. गनेशिया देवी साहू और पूर्व सांसद सरोज पांडेय के निज सहायक रहे दौलत साहू की पत्नी चंपा साहू भी महापौर की रेस में हैं.
इस बार बीजेपी निकाय चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करके डबल नहीं ट्रिपल इंजन की सरकार चलाएगी.जातिगत समीकरण तो अलग बात है,लेकिन सबसे पहले दावेदार को पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता होना पड़ेगा.जिसकी पहुंच अंतिम छोर के व्यक्ति तक हो.बीजेपी एक संगठनात्मक पार्टी है,जिसका निर्णय संगठन ही लेगा.लेकिन इस बार का चुनाव बीजेपी के पक्ष में रहेगा - सुरेन्द्र कौशिक , अध्यक्ष, जिला बीजेपी
कांग्रेस ने किया अपनी जीत का दावा : वहीं कांग्रेस पार्टी की बात करें तो अभी भी वहां से कई नाम सामने आ रहे हैं. पहले विधानसभा और उसके बाद लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस अब नगरीय निकाय के लिए पुरजोर मंथन में जुटी है.क्योंकि इस बार ओबीसी वर्ग ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया.साहू वोट बैंक भी दोनों ही चुनाव में काम ना आया. इसलिए संभवत इस बार निकाय चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पसंदीदा उम्मीदवार को ही पार्टी अपना चेहरा बना सकती है.साथ ही साथ विधायक देवेंद्र यादव के जेल जाने के बाद उनके प्रति सहानुभूति को देखते हुए कांग्रेस यादव समाज से भी अपना प्रत्याशी चुन सकती है.
कांग्रेस एक बार फिर दुर्ग निगम में अपना कब्जा जमाएगी.हमने शहर में पिछले 5 साल जो काम किए हैं यदि उसकी तुलना विष्णुदेव साय सरकार की सरकार के काम से करें तो चीजें साफ हो जाएंगी.निगम के शासन में पेयजल की पुरानी समस्याओं का अंत हुआ है.18 नई टंकियां बनीं जिनसे पानी सप्लाई हो रहा है.वहीं बीजेपी तो अपनी महतारी वंदन योजना का लाभ भी पूरी महिलाओं को नहीं दे सके.उनके कहने और करने में फर्क है- अरुण वोरा, पूर्व कांग्रेस विधायक
किन पर दाव खेल सकती है कांग्रेस ?: कांग्रेस पार्टी में कुर्मी समाज से पूर्व महापौर आर एन वर्मा की पत्नी एमआईसी मेम्बर सत्यवती वर्मा मजबूत दावेदार है. वहीं दूसरे नंबर पर इसी समाज से शहर महिला कांग्रेस के अध्यक्ष रही कल्पना देशमुख का नाम आगे है. तो तीसरे नंबर पर रामकली यादव का नाम उभर के सामने आया है. वहीं अन्य पार्टी की बात करें तो आम आदमी पार्टी शहर में सक्रिय जरूर है लेकिन उसकी ओर से कोई भी गंभीर प्रत्याशी नहीं है जो चुनाव में बड़ा उलटफेर कर सकता है.
बहरहाल दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रमुख नेता दुर्ग महापौर सीट पर कब्जा जमाने के लिए सामाजिक समीकरण के आधार पर अलग-अलग स्तरों पर प्रत्याशियों की छानबीन भी कर रहे हैं. वैसे इसमें कोई संदेह नहीं है कि सामाजिक समीकरण के आधार पर प्रत्याशी चुना जाना जीत का आधार बन सकता है.