रायपुर: छत्तीसगढ़ में पहली बार नॉन हीलिंग वर्टेब्रल कम्प्रेशन फ्रैक्चर (रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर) का सफल इलाज किया गया है. पंडित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और मेकाहारा स्थित रेडियोलॉजी विभाग ने मिलकर 79 वर्षीय बुजुर्ग महिला की वेसलप्लास्टी कर रीढ़ की हड्डी के तकलीफ और दर्द से निज़ात दिलाई. मरीज को पिछले कई महीनों से दवा लेने के बाद भी आराम नहीं मिल रहा था.
छत्तीसगढ़ में पहली बार पिन होल तकनीक से रीढ़ के फ्रैक्चर का इलाज: इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. (प्रो.) विवेक पात्रे के नेतृत्व में किये गये इस उपचार प्रक्रिया में सुई की एक छेद के जरिये बोन फिलिंग बैलून कंटेनर सिस्टम के माध्यम से रीढ़ के हड्डी के अंदर बोन सीमेंट इंजेक्ट कर वर्टिब्रल कम्प्रेशन फ्रैक्चर से राहत दी गई. यह राज्य का पहला वेसल प्लास्टी है जिसमें पिन होल तकनीक से बीमारी का उपचार किया गया. इसकी जानकारी बुधवार को मीडिया को दी गई.
मेकाहारा के डॉ. विवेक पात्रे ने बताया "वेसलप्लास्टी की सुविधा इससे पहले केवल महानगरों के बड़े अस्पतालों में ही होती थी लेकिन यह पहली बार है जब छत्तीसगढ़ के किसी अस्पताल में इस प्रकार की नई तकनीक से वेसलप्लास्टी की गई है. महिला को डी (डॉर्सल)12 वर्टेब्रल फ्रेैक्चर था जिसके कारण पिछले 9 महीने से असहनीय दर्द के कारण परेशान थी. एक महीने से मरीज बैठ नहीं पाती थी. सुई की छेद से की गई पूरी प्रक्रिया के बाद महिला आधे घंटे के बाद बैठने में समर्थ हो गई और उसे उसी दिन डिस्चार्ज कर दिया गया."
पात्रे ने आगे कहा-" इतने अधिक उम्र के मरीजों में कोई भी प्रक्रिया काफी जोखिम भरा रहता है फिर भी रिस्क लेते हुए हमारी टीम ने इस प्रक्रिया के लिए तैयारी की. हमारे पास इस प्रक्रिया के लिए बीच के तीन मिनट बेहद अहम होते हैं जब पॉलीमेथिल मेथाक्रिलेट यानी बोन सीमेंट को तैयार कर तीन मिनट के भीतर ही इंजेक्ट करना रहता है क्योंकि यदि इसमें देरी की गई तो बोन सीमेंट बाहर के वातावरण में तुरंत ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है और जिस स्थान पर है वहीं जम जाता है. इसीलिए बोन सीमेंट को प्रोसीजर से पहले फ्रिज के अंदर बेहद कम तापमान में रखा गया. जिससे कि बॉडी में इंजेक्ट करने के दौरान वह देरी से जमे."
क्या है वर्टिब्रल कम्प्रेशन फ्रैक्चर: वर्टिब्रल कम्प्रेशन फ्रैक्चर में रीढ़ की हड्डी एक तरह से टूट जाती है या संपीडित (दब) हो जाती है. स्पाइन के कैंसर की बीमारी में भी कंप्रेशन फ्रैक्चर हो जाता है. आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, तब हल्कR सी चोट से भी यह दिक्कत हो जाती है. यह बीमारी या समस्या ज्यादा दिन तक रहने पर स्पाइनल कैनाल के अंदर स्थित स्पाइनल कॉड को दबा देती है जिससे कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर देता है और मरीज को लकवा हो जाता है.
डॉ. विवेक पात्रे ने बताया "वेसलप्लास्टी एक इमेज गाइडेड प्रक्रिया है जो वर्टिब्रल कम्प्रेशन फ्रैक्चर के उपचार में मदद करता है. इसके लिए सबसे पहले जिस जगह पर वेसलप्लास्टी किया जाता है उस जगह को सुन्न किया जाता है. उसके बाद वहां मोटी सुई के अंदर से मेनुअल ड्रिल के जरिये वर्टिब्रल बॉडी में निश्चित स्थान पर जगह बनाकर बोन सीमेंट (अस्थि सीमेंट) को नीडल की सहायता से बैलून कंटेनर के अंदर इंजेक्ट किया जाता है. बैलून छिद्रयुक्त होता है जिसके कारण अस्थि सीमेंट की एक छोटी सी मात्रा इसकी दीवार से होकर गुजरती है और वर्टिब्रल बॉडी के अंदर छिद्रों के माध्यम से स्थापित हो जाती है. बैलून के छिद्रयुक्त संरचना के कारण ही वर्टिब्रल बॉडी से सीमेंट का रिसाव एवं फैलाव नहीं होता है. जिसके कारण यह स्पाइनल कैनाल या फेफड़े में नहीं फैलता और जटिलता की संभावना नहीं रहती है."
वेसलप्लास्टी उपचार की नई तकनीक: वेसलप्लास्टी एकदम नई तकनीक है. इस तकनीक से पहले वर्टेब्रोप्लास्टी करते थे जिसमें पैडीकल के द्वारा वर्टिब्रल बॉडी में पहुंचकर बॉडी के अंदर बोन सीमेंट डालते थे, इस दौरान बोन सीमेंट डालने से कई बार स्पाइनल कैनाल में रिसाव की संभावना रहती थी. यदि गलती से सीमेंट स्पाइन की शिरा(वेन) के द्वारा लंग्स में चला जाये तो पल्मोनरी एम्बोलिज्म होने की संभावना रहती है. इसके बाद में काइफोप्लास्टी आया. काइफोप्लास्टी में बॉडी के अंदर बैलून डालकर जगह बनाते थे और उस जगह में बोन सीमेंट डालते थे. इसमें भी वही खतरा था लेकिन वर्टेब्रोप्लास्टी की तुलना में कम था. वेसलप्लास्टी लेटेस्ट तकनीक है और इसकी सुविधा अब तक सिर्फ महानगरों में ही उपलब्ध थी.
डॉ. विवेक पात्रे के साथ उपचार करने वाली टीम में डीकेएस हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष टावरी, एनेस्थेटिस्ट डॉ. प्रतिभा जैन, डॉ. वृतिका, रेजिडेंट डॉ. पूजा कोमरे, डॉ. मनोज मंडल, डॉ. प्रसंग श्रीवास्तव, डॉ. घनश्याम वर्मा, डॉ. लीना साहू, डॉ. नवीन कोठारे, डॉ. सौम्या, डॉ. अंबर, रेडियोग्राफर नरेश साहू, जितेंद्र प्रधान, नर्सिंग स्टाफ ऋचा और यश शामिल रहे.