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परंपरा का दंश झेल रहा परिवार, विधवा महिला और उसके बच्चे को किया बेघर

धनबाद में एक विधवा महिला अपने बेटे के साथ दर-दर भटक रही है. वजह उसका खुद का परिवार ही है.

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कालूबथान ओपी थाना में बैठी बच्चे के साथ पीड़िता (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

धनबाद: वैसे तो आदिवासी समाज में कई परंपराएं हैं. ऐसा ही एक परंपरा जमीन दान की है. जिसमें किसी की मृत्यु के उपरांत अगर उसके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने वाला कोई नहीं है तो ऐसे में जो शख्स पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देता है, उसे जमीन दान में दी जाती है. आदिवासी समाज इस परंपरा को भलीभांति जानते हैं, लेकिन एक विधवा और उसके बेटे को दान में दी गई जमीन को पाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. क्योंकि जिन्हें मुखाग्नि दी थी, उसके अन्य परिजन अब उस दान की जमीन पर रहने नहीं दे रहे हैं.

पंचायत की बात भी यह परिवार नहीं मान रहा है. भुक्तभोगी महिला और उसके बेटे ने थाना पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई है. पंचायत भी भुक्तभोगी विधवा महिला के पक्ष में खड़ा है. यह मामला कालूबथान ओपी थाना क्षेत्र का है, चिरुडीह बस्ती की रहने वाली विधवा महिला रवीना बास्की अपने बेटे और जनप्रतिनिधि के साथ थाना पहुंची. रवीना के बेटे राहुल बास्की को जमीन दान में दी गई थी. आदिवासी समाज में जमीन दान की परंपरा के तहत ही उसे जमीन परिवार के लोगों ने दी थी. लेकिन आज इस जमीन से उसे बेदखल करने की कोशिश में लगे हुए हैं.

जानकारी देते पीड़िता व अन्य लोग (ईटीवी भारत)


आखिर क्या है मामला

रवीना बास्की के पिता का नाम कार्तिक मरांडी है. कार्तिक मरांडी की बहन सामोनी मरांडी की 15 साल पहले मौत हो गई थी. सामोनी की अपनी कोई संतान नहीं थी. एक बेटी थी तो उसकी मौत बहुत पहले ही हो चुकी थी. अपनी संतान नहीं होने के कारण सामोनी की मृत्यु के उपरांत उसे मुखाग्नि देने वाला कोई नहीं था. जिसके बाद पंच के निर्णय के फलस्वरूप रवीना के बेटे राहुल को मुखाग्नि देने के लिए राजी किया गया. आदिवासी परंपरा के अनुसार पंच से उसे जमीन का एक अंश दान देने पर भी सहमति बनी. चिरूडीह में ही दान की जमीन का अंश तय हुआ. जमीन दान के उसी अंश पर रवीना और उसका परिवार रह रहा था.

वर्षों से दान की जमीन पर रह रहे रवीना को अब उसके मायके वाले रहने नहीं दे रहें हैं. रवीना के पिता कार्तिक मरांडी और रवीना के चचेरे भाई ही दान की जमीन से उसे बेदखल कर रहे हैं. रवीना के चचेरे भाई राहुल मरांडी का कहना है कि सामोनी का जहां ससुराल है, वह वहां दान की जमीन के लिए अधिकार जताए. हमारी जमीन पर उसका कोई भी अधिकार नहीं है.

वहीं पंचायत के उप मुखिया और वार्ड के सदस्यों का कहना है कि आदिवासी समाज में परंपरा है कि अपनी संतान नहीं रहने पर मुखाग्नि देने वाले को जमीन का कुछ अंश दान में दिया जाता है. इसके लिए पंचायत में निर्णय हुआ था. जिसके बाद सामोनी की मृत्यु के उपरांत उसे मुखाग्नि देने वाले रवीना के बेटे राहुल को जमीन दी गई थी. रवीना दान की जमीन पर रह रही थी. लेकिन अब उसे परिवार के लोग हटा दिए हैं. यह बिल्कुल गलत है. तीन बार गांव में पंचायत कर चुके हैं. लेकिन पंचायत का फैसला परिवार वाले मानने को तैयार नहीं है.

इस मामले को लेकर कालूबथान ओपी प्रभारी नीरज कुमार मिश्रा ने कहा कि दोनों पक्षों को समझौता कराने का आश्वासन दिया गया है. जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा.


ये भी पढ़ें- दबंगों नें एक परिवार का घर तोड़ सदस्यों को किया बेदखल, मिलने पहुंची अन्नपूर्णा देवी ने अंग्रेजी हूकूमत से की तुलना

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धनबाद: वैसे तो आदिवासी समाज में कई परंपराएं हैं. ऐसा ही एक परंपरा जमीन दान की है. जिसमें किसी की मृत्यु के उपरांत अगर उसके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने वाला कोई नहीं है तो ऐसे में जो शख्स पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देता है, उसे जमीन दान में दी जाती है. आदिवासी समाज इस परंपरा को भलीभांति जानते हैं, लेकिन एक विधवा और उसके बेटे को दान में दी गई जमीन को पाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. क्योंकि जिन्हें मुखाग्नि दी थी, उसके अन्य परिजन अब उस दान की जमीन पर रहने नहीं दे रहे हैं.

पंचायत की बात भी यह परिवार नहीं मान रहा है. भुक्तभोगी महिला और उसके बेटे ने थाना पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई है. पंचायत भी भुक्तभोगी विधवा महिला के पक्ष में खड़ा है. यह मामला कालूबथान ओपी थाना क्षेत्र का है, चिरुडीह बस्ती की रहने वाली विधवा महिला रवीना बास्की अपने बेटे और जनप्रतिनिधि के साथ थाना पहुंची. रवीना के बेटे राहुल बास्की को जमीन दान में दी गई थी. आदिवासी समाज में जमीन दान की परंपरा के तहत ही उसे जमीन परिवार के लोगों ने दी थी. लेकिन आज इस जमीन से उसे बेदखल करने की कोशिश में लगे हुए हैं.

जानकारी देते पीड़िता व अन्य लोग (ईटीवी भारत)


आखिर क्या है मामला

रवीना बास्की के पिता का नाम कार्तिक मरांडी है. कार्तिक मरांडी की बहन सामोनी मरांडी की 15 साल पहले मौत हो गई थी. सामोनी की अपनी कोई संतान नहीं थी. एक बेटी थी तो उसकी मौत बहुत पहले ही हो चुकी थी. अपनी संतान नहीं होने के कारण सामोनी की मृत्यु के उपरांत उसे मुखाग्नि देने वाला कोई नहीं था. जिसके बाद पंच के निर्णय के फलस्वरूप रवीना के बेटे राहुल को मुखाग्नि देने के लिए राजी किया गया. आदिवासी परंपरा के अनुसार पंच से उसे जमीन का एक अंश दान देने पर भी सहमति बनी. चिरूडीह में ही दान की जमीन का अंश तय हुआ. जमीन दान के उसी अंश पर रवीना और उसका परिवार रह रहा था.

वर्षों से दान की जमीन पर रह रहे रवीना को अब उसके मायके वाले रहने नहीं दे रहें हैं. रवीना के पिता कार्तिक मरांडी और रवीना के चचेरे भाई ही दान की जमीन से उसे बेदखल कर रहे हैं. रवीना के चचेरे भाई राहुल मरांडी का कहना है कि सामोनी का जहां ससुराल है, वह वहां दान की जमीन के लिए अधिकार जताए. हमारी जमीन पर उसका कोई भी अधिकार नहीं है.

वहीं पंचायत के उप मुखिया और वार्ड के सदस्यों का कहना है कि आदिवासी समाज में परंपरा है कि अपनी संतान नहीं रहने पर मुखाग्नि देने वाले को जमीन का कुछ अंश दान में दिया जाता है. इसके लिए पंचायत में निर्णय हुआ था. जिसके बाद सामोनी की मृत्यु के उपरांत उसे मुखाग्नि देने वाले रवीना के बेटे राहुल को जमीन दी गई थी. रवीना दान की जमीन पर रह रही थी. लेकिन अब उसे परिवार के लोग हटा दिए हैं. यह बिल्कुल गलत है. तीन बार गांव में पंचायत कर चुके हैं. लेकिन पंचायत का फैसला परिवार वाले मानने को तैयार नहीं है.

इस मामले को लेकर कालूबथान ओपी प्रभारी नीरज कुमार मिश्रा ने कहा कि दोनों पक्षों को समझौता कराने का आश्वासन दिया गया है. जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा.


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