लखनऊ: मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने एक अहम फैसला लिया है, जिससे बड़ी संख्या में बिजली का कनेक्शन चाहने वाले आवेदकों को सहूलियत मिलेगी. एमडी भवानी सिंह खंगारोत ने आदेश जारी किया है कि यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि नए कनेक्शन के लिए आवेदन करने वाले हर आवेदक का एस्टीमेट बनाकर ही उसे कनेक्शन दिया जाए. अगर परिसर से निकटतम स्थापित विद्युत लाइन से एक्सटेंशन के लिए न्यूनतम एस्टीमेट जारी कर संयोजन निर्गत करना संभव है तो यह किया जाए.
उन्होंने आदेश दिया है कि बिजली लाइन के निर्माण के लिए चाहे पूर्व में किसी निजी आवेदक ने जमा योजना में धनराशि जमा कराई हो, इसके बावजूद उक्त निर्मित लाइन अब डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसी की संपत्ति है. डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसी उससे किसी को भी विद्युत कनेक्शन दे सकता है. इलेक्ट्रिसिटी कोड में इसके लिए मूल जमाकर्ता का कंसेंट लेने का कोई प्रावधान नहीं है, क्योंकि राइट ऑफ वे मूल्यवान है और लिमिटेड है, उसका अनुकूलतम प्रयोग करना डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसी की जिम्मेदारी है. विकसित हो रहे क्षेत्र में नए आवेदन के हर कनेक्शन के लिए अलग-अलग लाइन नहीं बनाई जा सकेगी. ऐसे में निकटतम लाइन से न्यूनतम एस्टीमेट के आधार पर नया संयोजन निर्गत किया जाए. एमडी के इस आदेश के बाद हजारों की संख्या में ऐसे कनेक्शन चाहने वाले आवेदकों को लाभ मिल सकेगा जो भारी भरकम एस्टीमेट की वजह से कनेक्शन ही नहीं ले पाते थे और उनके घर बिजली ही नहीं पहुंच पाती थी.
इसके अलावा प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत ने बिजली विभाग के स्टोर्स में सामग्री की कमी के चलते कनेक्शन देने में हो रही देरी पर भी बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने कहा है कि पूर्ण जमा योजना के अंतर्गत नए कनेक्शन के इंफ्रा कार्य के लिए जहां आवेदक की तरफ से पूरी धनराशि जमा कर दी गई है लेकिन भंडार गृह से एक या अधिक प्रकार की सामग्री उपलब्ध नहीं होती है और काम में देरी हो रही है तो ऐसे प्रकरणों में अनुपलब्ध सामग्री स्थानीय स्तर पर खरीद ली जाए. कार्य पूरा कर कर जल्द से जल्द कनेक्शन दिया जाए.
दूसरे विकल्प के रूप में स्वयं उपभोक्ता से उस सामग्री की खरीद कराकर साइट पर कार्य पूरा करते हुए कनेक्शन दे दिया जाए. सामग्री के लिए आकलित मूल्य के बराबर धनराशि बाद में आवेदक को रिफंड कर दी जाए. स्थानीय स्तर पर खरीद की गई या आवेदक से प्राप्त की गई उक्त सामग्री की अल्प मात्रा को ध्यान में रखते हुए मात्रा को फ्री डिस्पैच फैक्ट्री इंस्पेक्शन से मुक्त रखा जाए. उन्होंने कहा है कि संबंधित अधिशासी अभियंता वितरण की तरफ से यह तय किया जाएगा कि सामग्री की टेस्ट रिपोर्ट और वेंडर मैन्युफैक्चर मुख्यालय से अनुमोदित व्यवस्था के अनुरूप ही हो.