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साइबर अपराधियों की बंद मुठ्ठी खोल रही सीआईडी, वापस मिल रहे ठगी के पैसे ,जाने क्या हैं उपाय - What to do in case of cyber fraud

What to do in case of cyber fraud. हर दिन किसी न किसी से साइबर अपराधियों के द्वारा ठगी किए जाने की खबरों के बीच एक राहत भरी खबर है. अच्छी खबर ये है कि राज्य में साइबर अपराधियों पर लगाम कसने में साइबर हेल्पलाइन काफी मददगार साबित हो रहा है. साइबर हेल्पलाइन 1930 के जरिये दो करोड़ से ज्यादा की रकम ब्लॉक कर साइबर अपराधियों के शिकंजे से वापस दिलवाया गया है.

WHAT TO DO IN CASE OF CYBER FRAUD
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 28, 2024, 4:32 PM IST

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता का बयान

रांची: प्रतिबिंब एप और साइबर हेल्पलाइन 1930 के आने के बाद साइबर अपराधियों के द्वारा ठगी किए गए पैसों की रिकवरी भी शुरू हो गई है. डीजी के अनुसार साइबर अपराधियों के खातों को फ्रिज कर अदालत से लोगों के पैसे वापस करवाए जा रहे हैं. सीआईडी डीजी के अनुसार एक महिला के तो 25 लाख रुपये तक वापस हुए हैं जो साइबर अपराधियों ने ठग लिए थे.

साइबर हेल्पलाइन में शिकायत के बाद खाता होता है फ्रिज

साइबर अपराधियों के खिलाफ हेल्पलाइन नंबर 1930 पर हाथ कारगर है. झारखंड में सायबर हेल्पलाइन की शुरुआत मार्च 2022 महीने में हुई थी. 2022 से 2024 के मार्च महीने के बीच साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कुल एक लाख से ज्यादा शिकायतें आयीं, जिस पर कार्रवाई करते हुए अब तक 2 करोड़ रुपए की राशि ब्लाक कर वापस कराई गई है.

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वहीं, 20 करोड़ रूपए की ठगी होने से बचाई गई. राज्य में सीआईडी के अधीन साइबर हेल्पलाइन 1930 बेहद सक्रिय है. झारखंड सीआईडी के मुताबिक, भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नागरिक वित्तिय धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया था. इसके अंतर्गत ही साइबर अपराध की शिकायत 1930 पर की जा सकती है, शिकायत होने पर 1930 के द्वारा तत्काल ट्रांजेक्शन को ब्लॉक कराया जाता है.

साइबर गोल्डन ऑवर का उठाएं फायदा

साइबर ठग अलग-अलग हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बनाते है. रिवार्ड, कैशबैक, लॉटरी, सेक्सटॉर्शन, इंटरनेट पर मदद करने जैसे लालच देकर फोन कॉल, एसएमएस, ईमेल जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से साइबर ठगी को अंजाम दिया जाता है, लेकिन आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि जिस तरह से अगर किसी व्यक्ति के साथ सड़क हादसा हो जाए और उसे गोल्डन आवर में अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है. कुछ ऐसा ही साइबर अपराध को लेकर भी है, अगर आप गोल्डन आवर में कुछ स्टेप्स उठा लें, तो आप से ठगी की गई रकम भी वापस लौट सकती है और साइबर अपराधी भी शिकंजे में आ सकते हैं.

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जानकारी ही बचाव, 2 से 3 घंटे होते हैं महतवपूर्ण

इंटरनेट की पहुंच अब हर वर्ग के हाथों तक है लेकिन काफी कम इंटरनेट यूजर्स हैं, जिन्हें साइबर सिक्योरिटी और प्राइवेसी जैसे मामलो की जानकारी है. इस बारे में जागरूक न होने का मतलब है, साइबर क्रिमिनल्स की चांदी होना और आपका ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होना. इंटरनेट की दुनिया पहले से ही खतरनाक थी, लेकिन कोविड संक्रमण के बाद उपजे हालात में इसका खतरा व्यापक हो गया है.

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एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 वर्षों के अंतराल में साइबर अपराध के मामलों में 15% की बढ़ोतरी हुई है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह लोगों का जागरूक नहीं होना है. अक्सर लोग साइबर ठगी होने के बाद इसी उधेड़बुन में रह जाते हैं कि वह कहां जाएं लेकिन ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. सबसे जरूरी है कि अगर आपके साथ साइबर ठगी हो जाए तो आप तुरंत बिना देर किए इसकी शिकायत दर्ज करवाएं.

हेल्प लाइन नंबर और बेबसाइट पर तुरंत दर्ज करवाएं शिकायत

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार अगर आपके साथ कोई साइबर फ्रॉड होता है तो तुरंत ही हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फोन कर के सूचित करें. शिकायत के 7-8 मिनट में भी उस बैंक या ई-साइट को एक अलर्ट मैसेज चला जाएगा, जिसमें आपके खाते से पैसे चुराकर डाले गए होंगे और पैसों को होल्ड कर दिया जाएगा. इस तरह आपके समय रहते फोन कर देने की वजह से पैसे खाते से निकाले जाने से पहले ही उसे होल्ड करने के चलते आप नुकसान से बच जाएंगे.

ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. ऐसे में फ्रॉड होने के बाद जल्द से जल्द शिकायत करें. हेल्पलाइन नंबर के अलावा https://cybercrime.gov.in/ पर भी शिकायत की जा सकती है. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार नेशनल साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल एक सशक्त माध्यम है साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए इस पोर्टल पर पुलिस के साथ-साथ साइबर एक्सपर्ट और बैंक के अधिकारी भी अलर्ट रहते हैं यहाँ सूचना देने पर त्वरित कार्रवाई होती है.

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सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता का बयान

रांची: प्रतिबिंब एप और साइबर हेल्पलाइन 1930 के आने के बाद साइबर अपराधियों के द्वारा ठगी किए गए पैसों की रिकवरी भी शुरू हो गई है. डीजी के अनुसार साइबर अपराधियों के खातों को फ्रिज कर अदालत से लोगों के पैसे वापस करवाए जा रहे हैं. सीआईडी डीजी के अनुसार एक महिला के तो 25 लाख रुपये तक वापस हुए हैं जो साइबर अपराधियों ने ठग लिए थे.

साइबर हेल्पलाइन में शिकायत के बाद खाता होता है फ्रिज

साइबर अपराधियों के खिलाफ हेल्पलाइन नंबर 1930 पर हाथ कारगर है. झारखंड में सायबर हेल्पलाइन की शुरुआत मार्च 2022 महीने में हुई थी. 2022 से 2024 के मार्च महीने के बीच साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कुल एक लाख से ज्यादा शिकायतें आयीं, जिस पर कार्रवाई करते हुए अब तक 2 करोड़ रुपए की राशि ब्लाक कर वापस कराई गई है.

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वहीं, 20 करोड़ रूपए की ठगी होने से बचाई गई. राज्य में सीआईडी के अधीन साइबर हेल्पलाइन 1930 बेहद सक्रिय है. झारखंड सीआईडी के मुताबिक, भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नागरिक वित्तिय धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया था. इसके अंतर्गत ही साइबर अपराध की शिकायत 1930 पर की जा सकती है, शिकायत होने पर 1930 के द्वारा तत्काल ट्रांजेक्शन को ब्लॉक कराया जाता है.

साइबर गोल्डन ऑवर का उठाएं फायदा

साइबर ठग अलग-अलग हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बनाते है. रिवार्ड, कैशबैक, लॉटरी, सेक्सटॉर्शन, इंटरनेट पर मदद करने जैसे लालच देकर फोन कॉल, एसएमएस, ईमेल जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से साइबर ठगी को अंजाम दिया जाता है, लेकिन आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि जिस तरह से अगर किसी व्यक्ति के साथ सड़क हादसा हो जाए और उसे गोल्डन आवर में अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है. कुछ ऐसा ही साइबर अपराध को लेकर भी है, अगर आप गोल्डन आवर में कुछ स्टेप्स उठा लें, तो आप से ठगी की गई रकम भी वापस लौट सकती है और साइबर अपराधी भी शिकंजे में आ सकते हैं.

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जानकारी ही बचाव, 2 से 3 घंटे होते हैं महतवपूर्ण

इंटरनेट की पहुंच अब हर वर्ग के हाथों तक है लेकिन काफी कम इंटरनेट यूजर्स हैं, जिन्हें साइबर सिक्योरिटी और प्राइवेसी जैसे मामलो की जानकारी है. इस बारे में जागरूक न होने का मतलब है, साइबर क्रिमिनल्स की चांदी होना और आपका ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होना. इंटरनेट की दुनिया पहले से ही खतरनाक थी, लेकिन कोविड संक्रमण के बाद उपजे हालात में इसका खतरा व्यापक हो गया है.

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एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 वर्षों के अंतराल में साइबर अपराध के मामलों में 15% की बढ़ोतरी हुई है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह लोगों का जागरूक नहीं होना है. अक्सर लोग साइबर ठगी होने के बाद इसी उधेड़बुन में रह जाते हैं कि वह कहां जाएं लेकिन ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. सबसे जरूरी है कि अगर आपके साथ साइबर ठगी हो जाए तो आप तुरंत बिना देर किए इसकी शिकायत दर्ज करवाएं.

हेल्प लाइन नंबर और बेबसाइट पर तुरंत दर्ज करवाएं शिकायत

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार अगर आपके साथ कोई साइबर फ्रॉड होता है तो तुरंत ही हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फोन कर के सूचित करें. शिकायत के 7-8 मिनट में भी उस बैंक या ई-साइट को एक अलर्ट मैसेज चला जाएगा, जिसमें आपके खाते से पैसे चुराकर डाले गए होंगे और पैसों को होल्ड कर दिया जाएगा. इस तरह आपके समय रहते फोन कर देने की वजह से पैसे खाते से निकाले जाने से पहले ही उसे होल्ड करने के चलते आप नुकसान से बच जाएंगे.

ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. ऐसे में फ्रॉड होने के बाद जल्द से जल्द शिकायत करें. हेल्पलाइन नंबर के अलावा https://cybercrime.gov.in/ पर भी शिकायत की जा सकती है. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार नेशनल साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल एक सशक्त माध्यम है साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए इस पोर्टल पर पुलिस के साथ-साथ साइबर एक्सपर्ट और बैंक के अधिकारी भी अलर्ट रहते हैं यहाँ सूचना देने पर त्वरित कार्रवाई होती है.

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