भरतपुर. बुद्ध पूर्णिमा की रात के अवसर पर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में गुरुवार को वन्यजीवों की गणना शुरू कर दी गई. इस बार की वन्यजीव गणना में खास बात यह है कि पहली बार करीब 100 ट्रैप कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. वन्य जीव गणना के लिए राष्ट्रीय उद्यान में कुल 25 पॉइंट बनाए गए हैं, जिन पर 12-12 घंटे की शिफ्ट में दो-दो कर्मचारी तैनात किए गए हैं.
घना के निदेशक मानस सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह 8 से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में वन्य जीव गणना शुरू कर दी गई. वन्य जीव गणना के लिए कुल 25 पॉइंट बनाए गए हैं. सभी पॉइंट पर कुल चार-चार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. दो-दो कर्मचारी 12-12 घंटे की ड्यूटी करेंगे और एक निर्धारित प्रपत्र में वन्यजीवों की संख्या दर्ज करेंगे. वन्यजीव गणना शुक्रवार सुबह 8 बजे तक चलेगी.
पहली बार ट्रैप कैमरे : निदेशक मानस सिंह ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पहली बार टाइगर रिजर्व की तर्ज पर वन्यजीव गणना में ट्रैप कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए कुल 100 ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं. ये सभी ट्रैप कैमरे प्रमुख जलाशयों और वन्यजीवों के मूवमेंट वाले स्थान पर लगाए गए हैं. ट्रैप कैमरे की मदद से वन्यजीवों की गणना में सटीकता आएगी. इनकी मदद से किसी वन्य जीव को दो बार गिनने से बचा जा सकेगा. साथ ही जो वन्य जीव कर्मचारियों की नजर में नहीं आएंगे, वो यदि कैमरे में दिख जाएंगे, तो उनकी भी गणना की जा सकेगी
इसलिए बुधपूर्णिम : निदेशक मानस सिंह ने बताया कि वन्य जीव गणना के लिए बुद्ध पूर्णिमा की रात को चुना जाता है. इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि इस रात को चंद्रमा की रोशनी सबसे तेज होती है, जिसमें रात के वक्त जलाशयों पर आने वाले वन्य जीव आसानी से पहचाने जा सकते हैं. यही वजह है कि वन्यजीवों की गणना के लिए अधिकतर बुद्ध पूर्णिमा के रात को चुना जाता है.