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जमानत देने का कोई एक निश्चित सिद्धांत नहीं, यह परिस्थिति और मामले की प्रकृति पर निर्भर: सुनीता भारद्वाज - Sanjay Singh Gets Bail

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिल गई है. वहीं, इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता सुनीता भारद्वाज ने कहा कि कोर्ट द्वारा जमानत देने का कोई एक निश्चित सिद्धांत नहीं है, यह परिस्थिति और मामले की प्रकृति पर निर्भर करता है.

सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 2, 2024, 10:24 PM IST

Updated : Apr 4, 2024, 11:02 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली शराब नीति घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी. जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि जमानत के नियम और शर्तें निचली अदालत द्वारा तय की जाएगी. साथ ही इस मामले में ईडी द्वारा दी गई रियायतों को दूसरे मामले के लिए मिसाल नहीं माना जाएगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की योग्यता पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है.

कोर्ट में संजय सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से उनकी जमानत का विरोध नहीं किया गया. ईडी की ओर से कहा गया कि अगर कोर्ट द्वारा संजय सिंह को जमानत दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. अब सिंह को जमानत मिलने के बाद यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि इसी मामले से जुड़े दूसरे मनी लांड्रिंग मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री केजरीवाल व विजय नायर को जमानत नहीं मिल रही है. अब उन्हें भी संजय सिंह की जमानत को आधार बनाकर जमानत मिल सकेगी.

लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता सुनीता भारद्वाज का कहना है कि कोर्ट द्वारा जमानत देने का कोई एक निश्चित सिद्धांत नहीं है. जमानत देना मामले की प्रकृति, आरोपी की स्थिति और व्यक्ति की प्रभावशीलता, दूसरे पक्ष के विरोध, उसकी दलीलों व अन्य बहुत सारी महत्वपूर्ण चीजों पर निर्भर करता है. सुप्रीम कोर्ट या किसी भी कोर्ट द्वारा जमानत देने का कोई निश्चित सिद्धांत नहीं है. जमानत मिलना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है. इसलिए यह जरूरी नहीं है कि शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में संजय सिंह को जमानत मिलने के बाद अब अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया को जमानत मिलना निश्चित है.

बता दें, संजय सिंह की जमानत का ईडी ने विरोध नहीं किया इसलिए भी उनकी जमानत का रास्ता साफ हुआ है. साथ ही उन पर लगाए गए आरोप और मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल पर लगाए गए आरोपों में अंतर है. इसलिए भी उनका मामला इन दोनों नेताओं के मामले से अलग था. सुनीता शर्मा ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट या कोई भी अन्य कोर्ट किसी व्यक्ति को जमानत देते समय अलग-अलग शर्तें लगा सकता है. इसकी शक्ति कोर्ट के पास है. कोर्ट के पास इसका अधिकार निहित है.

उन्होंने कहा कि जब कोई जांच एजेंसी किसी व्यक्ति की जमानत का विरोध करते हुए यह कहती है कि आरोपित जांच में सहयोग नहीं कर रहा है या आरोपित का अन्य आरोपित से आमना सामना कराना है या इस व्यक्ति की मामले में सीधे-सीधे संलिपत्ता है. या जेल से निकलने के बाद यह गवाहों और सबूतों को प्रभावित कर सकता है तो इस तरह के आरोपों पर कोर्ट जमानत नहीं देता है. अभी तक ईडी और सीबीआई द्वारा लगातार सिसोदिया और केजरीवाल की जमानत का विरोध किया जा रहा है. इसलिए इनको जमानत मिलना आसान नहीं है.

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कोर्ट में संजय सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से उनकी जमानत का विरोध नहीं किया गया. ईडी की ओर से कहा गया कि अगर कोर्ट द्वारा संजय सिंह को जमानत दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. अब सिंह को जमानत मिलने के बाद यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि इसी मामले से जुड़े दूसरे मनी लांड्रिंग मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री केजरीवाल व विजय नायर को जमानत नहीं मिल रही है. अब उन्हें भी संजय सिंह की जमानत को आधार बनाकर जमानत मिल सकेगी.

लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता सुनीता भारद्वाज का कहना है कि कोर्ट द्वारा जमानत देने का कोई एक निश्चित सिद्धांत नहीं है. जमानत देना मामले की प्रकृति, आरोपी की स्थिति और व्यक्ति की प्रभावशीलता, दूसरे पक्ष के विरोध, उसकी दलीलों व अन्य बहुत सारी महत्वपूर्ण चीजों पर निर्भर करता है. सुप्रीम कोर्ट या किसी भी कोर्ट द्वारा जमानत देने का कोई निश्चित सिद्धांत नहीं है. जमानत मिलना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है. इसलिए यह जरूरी नहीं है कि शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में संजय सिंह को जमानत मिलने के बाद अब अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया को जमानत मिलना निश्चित है.

बता दें, संजय सिंह की जमानत का ईडी ने विरोध नहीं किया इसलिए भी उनकी जमानत का रास्ता साफ हुआ है. साथ ही उन पर लगाए गए आरोप और मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल पर लगाए गए आरोपों में अंतर है. इसलिए भी उनका मामला इन दोनों नेताओं के मामले से अलग था. सुनीता शर्मा ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट या कोई भी अन्य कोर्ट किसी व्यक्ति को जमानत देते समय अलग-अलग शर्तें लगा सकता है. इसकी शक्ति कोर्ट के पास है. कोर्ट के पास इसका अधिकार निहित है.

उन्होंने कहा कि जब कोई जांच एजेंसी किसी व्यक्ति की जमानत का विरोध करते हुए यह कहती है कि आरोपित जांच में सहयोग नहीं कर रहा है या आरोपित का अन्य आरोपित से आमना सामना कराना है या इस व्यक्ति की मामले में सीधे-सीधे संलिपत्ता है. या जेल से निकलने के बाद यह गवाहों और सबूतों को प्रभावित कर सकता है तो इस तरह के आरोपों पर कोर्ट जमानत नहीं देता है. अभी तक ईडी और सीबीआई द्वारा लगातार सिसोदिया और केजरीवाल की जमानत का विरोध किया जा रहा है. इसलिए इनको जमानत मिलना आसान नहीं है.

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Last Updated : Apr 4, 2024, 11:02 AM IST
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