रायपुर : हिंदू और सनातन धर्म में श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आकृति बनाकर पूजा करने की परंपरा काफी पुरानी है. कुछ लोग गोबर से नाग देवता बनाकर उसकी पूजा करते हैं. कुछ लोग दीवारों पर चाक या फिर दीवार की पुताई करने वाले चूना का प्रयोग करके दीवारों पर नाग की आकृति बनाकर नाग देवता की पूजा करते हैं. क्योंकि नाग देवता भगवान भोलेनाथ के गले में शोभायमान हैं. ऐसे में लोग भगवान भोलेनाथ के साथ ही नाग पंचमी के दिन नाग देवता की भी पूजा करते हैं.
धरती को सर्प ने किया है धारण : हमारी धरती को सर्प ने धारण किया. तक्षक नाग भगवान शिव के गले में वास करते हैं. इसके साथ ही भगवान विष्णु शेष सैया पर विराजमान है. आठ प्रकार के वसु यानी सर्प देव योनि में पाए जाते हैं. सांपों के घात या उनको चोट पहुंचाने से सर्प दोष लगता है. ऐसे में सर्प दोष की निवृत्ति के लिए श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी मनाई जाती है.
सांपों की सनातन धर्म में मान्यता : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "सर धातु से सर्प बना है जितने चलने वाले जीव हैं. उनकी डोनर राशि सरकने वाले हैं. बायोलॉजिकल ग्रोथ के हिसाब से देखा जाए तो सबसे पहले स्थावर उसके बाद सरकने वाले चलने वाले फिर उड़ने वाले जीवों की उत्पत्ति हुई होगी. ऐसी मान्यता है सरकने वाले सर्प चलने वाले की डोनर राशि या डोनर योनियां हुई, जिसे कुलदेवत्व कहते हैं.
''नाग पंचमी का यह त्यौहार हिंदू और सनातन के घर में मनाई जाती है. ऐसे में नाग पंचमी के दिन दीवारों पर ही नाग बनाकर पूजा करने का विधान है. प्राचीन समय में स्कूल ले जाने वाली स्लेट पट्टी में भी नाग का चित्र बनाकर पूजा की जाती थी.''-पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य
सांपों की सनातन धर्म में बड़ी मान्यता : जिस धरती पर हम रहते हैं उसे वसुधा कहते हैं. यानी कि जिसको वासु ने धारण किया हो. अनंत नाम का वासुकी या सर्प जिसने पृथ्वी को धारण किया है. सर्प का माथा न छिल जाए इसलिए भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुआ) बनकर अपनी पीठ लगाई. इन्हीं सब कारणों से नाग पंचमी के दिन घरों की दीवारों पर नाग का चिन्ह बनाया जाता है.ताकि उनकी जीवन में नाग देवता कृपा बरसाएं.