हैदराबाद: लहसुन में कई औषधीय गुण होते हैं. कई मामलों में इसे अमृत के समान भी माना गया है. सावन में लोग भगवान शिव की आराधना तो करते ही हैं, इसके साथ ही वे तामसिक भोजन को भी त्याग देते हैं. यही वजह है कि इस महीने साग और लहसुन प्याज भी लोग छोड़ देते हैं. इनके पीछे धार्मिक मान्यताओं के अलावा इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं.
सावन के महीने में शास्त्रों में साग नहीं खाने की भी सलाह दी जाती है. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण ये है कि सावन के दौरान काफी बारिश होती है और इस दौरान जहरीले कीड़े मकोड़े निकलते हैं. साग के पत्तों में कीड़े आसानी से छिप सकते हैं और इसे खाने से इंसान बीमार हो सकता है. यही वजह है कि सावन में साग खाने के लिए मना किया जाता है.
क्यों माना गया है लहसुन और प्याज को अशुद्ध
पंडित उमेश मिश्र बताते हैं कि शास्त्रों में कहा गया है कि देवताओं और दानवों ने जब समुद्र मंथन किया तो उसमें से 14 रत्न निकले जिसमें अमृत भी था. अमृत पीने के लिए देवताओं और दानवों के बीच छीना झपटी होने लगी. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लेकर दानवों को भ्रमित कर दिया और देवताओं को अमृत बांटने लगे. इसी दौरान राहु चुपके से वेश बदल कर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया. मोहिनी के रूप में भगवान विष्णु उसे पहचान नहीं पाए और उसे भी अमृतपान करवा दिया.
पंडित उमेश मिश्र बताते हैं जैसे ही राहु ने अमृत पान किया सूर्य ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसके बारे में बताया. राहु के वेश बदलकर अमृत पान करने पर भगवान विष्णु बेहद नाराज हुए और उन्होंने तुरंत अपना सुदर्शन चक्र निकाला और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन क्योंकि राहु ने अमृतपान कर लिया था इसलिए उसकी मौत नहीं हुई और वह दो टुकड़ों में बंट गया. इस तरह उसका एक नाम राहु और दूसरे टुकड़े का नाम केतु पड़ गया.
राहु की गर्दन कटने के बाद उसके शरीर से रक्त की धार निकलने लगी और उसकी कुछ बूंदें धरती पर भी गिरीं. जहां-जहां राहु के रक्त की बूंदें गिरीं वहां पर लहसुन की पैदावार होने लगी. अमृत से पैदा होने के कारण लहसुन में रोग नाशक और जीवनदायिनी गुण हैं. लेकिन क्योंकि वह राक्षस के रक्त से निकला है इसलिए उसमें तामसिक गुणों का समावेश हो गया है, जो उत्तेजना, क्रोध, हिंसा, अशांति और पाप को बढ़ावा देता है. इसी के कारण लहसुन और प्याज को अशुद्ध और तामसिक माना गया है.
लहसुन और प्याज के बारे में क्या कहता है साइंस
कई रिसर्च भी हैं जिनके अनुसार प्याज लहसुन की अधिकता शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है. यही वजह है कि कुछ समय के लिए लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है. इससे शरीर को फायदा पहुंचता है. सावन के महीने में लहसुन-प्याज नहीं खाने से शरीर को एक लंबा समय मिलता है, जिससे बॉडी पूरी तरह से डिटॉक्स होती है.
क्या है कुछ समय के लिए लहसुन प्याज छोड़ने के फायदे
आयुर्वेद में हजारों सालों से प्याज लहसुन का प्रयोग दवाइयां बनाने में किया जाता है. प्याज और लहसुन में कई ऐसे तत्व होते हैं जो हमारे शरीर के लिए बेहत फायदेमंद होते हैं. लेकिन एक सामान्य स्थिति के बाद जब इसकी मात्रा शरीर में बढ़ती है तो उसका असर उल्टा होने लगा है और वह हमारे शरीर को नुसान पहुंचा सकती है.
हेल्दी बैक्टीरिया को भी पहुंचता है नुकसान
लहसुन को आयुर्वेद में दवाइयों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह एक एंटीबायोटिक की तरह काम करता है, खास कर कच्चा लहसुन, जो शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया का खात्मा करता हैं. लेकिन इसकी अधिकता और नियमित सेवन आंत में मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
बॉडी हीट बढ़ाते हैं लहसुन- प्याज
आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ तीन जीवन शक्तियां हैं. यह शरीर में सभी मेटाबॉलिक प्रोसेस साथ-साथ शरीर के तापमान और हमारे हार्मोनल संतुलन को नियंत्रित करता है. प्याज और लहसुन में पर्याप्त मात्रा में सल्फर मौजूद होता है और ये बहुत गर्म होते हैं. लहसुन और प्याज के अधिक सेवन से पित्त बढ़ता इससे एसिड रिफ्लक्स, अल्सर, कोलाइटिस, हार्टबर्न, आंतों की सूजन, त्वचा पर चकत्ते या लालिमा से पीड़ित व्यक्ति को नुकसान हो सकता है. शरीर में अधिक गर्मी पैदा होने से पाचन संबंधी समस्याओं से लेकर त्वचा, बाल और अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है.
प्याज और लहसुन सल्फर युक्त खाद्य पदार्थ हैं. इनके लिए अधिक तेल और मसालों का प्रयोग किया जाता है. सावन के महीने में काफी बरसात होती है जिसके कारण सामान्य दिनों की तुलना में हमारी इम्यूनिटी कमजोर होती है. इसके साथ ही इस दौरान संक्रमण का खतरा भी अधिक होता है. ऐसे में अधिक मसालेदार और तैलीय खाद्य पदार्थों के सेवन बचने की सलाह दी जाती है.
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