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झारखंड विधानसभा चुनाव: कांग्रेस को क्यों कहा जा रहा है इंडिया ब्लॉक की कमजोर कड़ी?

झारखंड विधानसभा चुनाव के बीच इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस को कमजोर कड़ी माना जा रहा है. वहीं झामुमो का पलड़ा भारी दिख रहा है.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 2 hours ago

India Bloc weak link in Jharkhand
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में पहली बार एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला होने जा रहा है. यह अलग बात है कि एनडीए को भाजपा लीड कर रही है जबकि इंडिया गठबंधन को झामुमो. इससे कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है. चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही इस बात का आकलन शुरू हो गया है कि आखिर किसका पलड़ा भारी है. इसका जवाब तो सिर्फ वोटर के पास है. लेकिन झारखंड की राजनीति को गहराई से समझने वाले जानकार खुलकर कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन में कांग्रेस कमजोर कड़ी है. वरिष्ठ पत्रकार मधुकर और शंभुनाथ चौधरी का मानना है कि कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है. जमीनी स्तर पर एकजुटता के साथ सांगठनिक सक्रियता में कमी दिखती है. यही वजह है कि राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के पीछे चलना पड़ रहा है.

जीत में कांग्रेस से ज्यादा व्यक्तिगत पैठ का असर

इसको समझने के लिए 2019 के चुनावी नतीजों पर गौर करना जरूरी है. दरअसल, महागठबंधन के तहत 2019 में कांग्रेस ने 31 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. इनमें से 16 सीटों पर जीत हुई थी. जबकि छह प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई थी. गौर करने वाली बात है कि खिजरी, सिमडेगा और कोलेबिरा सीट को छोड़कर अन्य सीटों पर जीत में कांग्रेस से ज्यादा प्रत्याशियों के व्यक्तिगत पैठ को कारण माना जाता है. वहीं दूसरी तरफ झामुमो के ज्यादातर विधायकों की जीत में प्रत्याशी से ज्यादा पार्टी के चुनाव चिन्ह को क्रेडिट दिया जाता है.

एनडीए होता तो छह सीटें गंवा चुकी होती कांग्रेस

अब सवाल उठता है कि इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को क्यों कमजोर कड़ी के रूप में देखा जा रहा है. इसका जवाब चुनावी नतीजों में छिपा है. कांग्रेस ने जिन 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी, उनमें जरमुंडी सीट पर भाजपा की हार सिर्फ 3,099 वोट से हुई थी. इसके अलावा बड़कागांव, रामगढ़, खिजरी, सिमडेगा और लोहरदगा सीट पर अगर भाजपा, आजसू और जदयू का वोट जोड़ दिया जाए तो सभी सीटें कांग्रेस गंवा बैठती. यानी कांग्रेस को कुल छह सीटों का नुकसान हो गया होता. इससे सत्ता का पूरा समीकरण बदल जाता.

2019 में इन 16 सीटों पर जीती थी कांग्रेस

2019 में पाकुड़ से कांग्रेस के आलमगीर आलम, जामताड़ा से इरफान अंसारी, जरमुंडी से बादल पत्रलेख, महगामा से दीपिका पांडेय सिंह, बरही से उमाशंकर अकेला, बड़कागांव से अंबा प्रसाद, रामगढ़ से ममता देवी, झरिया से पूर्णिमा नीरज सिंह, बेरमो से राजेंद्र प्रसाद सिंह, जमशेदपुर पश्चिम से बन्ना गुप्ता, जगन्नाथपुर से सोनाराम सिंकू, खिजरी से राजेश कच्छप, सिमडेगा से भूषण बाड़ा, कोलेबिरा से नमन विक्सल कोंगाड़ी, लोहरदगा से डॉ रामेश्वर उरांव और मनिका से रामचंद्र सिंह की जीत हुई थी.

सीटें जहां कांग्रेस ने 2019 में उतारे थे प्रत्याशी

2019 के चुनाव में कांग्रेस ने पाकुड़, जामताड़ा, जरमुंडी, महगामा, बरही, बड़कागांव, रामगढ़, हजारीबाग, सिमरिया, बगोदर, जमुआ, बेरमो, बोकारो, धनबाद, झरिया, बाघमारा, जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिमी, जगन्नाथपुर, खिजरी, हटिया, कांके, मांडर, सिमडेगा, कोलेबिरा, लोहदरगा, मनिका, पांकी, डाल्टनगंज, बिश्रामपुर और भवनाथपुर सीट पर चुनाव लड़ा था.

कांग्रेस की छह सीटों पर जब्त हुई थी जमानत

खास बात है कि 2019 के चुनाव में 31 सीटों पर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने के बावजूद छह सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. इनमें बगोदर, जमशेदपुर पूर्वी, सिमरिया, मांडर, बिश्रामपुर और भवनाथपुर की सीटें शामिल हैं. दरअसल, अगर किसी उम्मीदवार को कुल पड़े वोट का 1/6 फीसदी वोट हासिल नहीं होता है तो संबंधित उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाती है. इससे साफ है कि जमीनी तौर पर कांग्रेस की पकड़ मजबूत नहीं है. ज्यादातर प्रत्याशियों ने अपने बूते या गठबंधन की वजह से जीत हासिल की थी.

शायद यही वजह है कि इसबार इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कर रहा झामुमो पिछली बार के 43 सीट के मुकाबले 49 सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रहा है. पिछले दिनों कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर द्वारा कार्यकर्ताओं को रोटेशनल सीएम वाले जवाब पर झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने दो टूक जवाब देते हुए कहा भी था कि गलतफहमी ना पालें. झामुमो अपने बल पर सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ने की ताकत रखती है.

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जीत में कांग्रेस से ज्यादा व्यक्तिगत पैठ का असर

इसको समझने के लिए 2019 के चुनावी नतीजों पर गौर करना जरूरी है. दरअसल, महागठबंधन के तहत 2019 में कांग्रेस ने 31 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. इनमें से 16 सीटों पर जीत हुई थी. जबकि छह प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई थी. गौर करने वाली बात है कि खिजरी, सिमडेगा और कोलेबिरा सीट को छोड़कर अन्य सीटों पर जीत में कांग्रेस से ज्यादा प्रत्याशियों के व्यक्तिगत पैठ को कारण माना जाता है. वहीं दूसरी तरफ झामुमो के ज्यादातर विधायकों की जीत में प्रत्याशी से ज्यादा पार्टी के चुनाव चिन्ह को क्रेडिट दिया जाता है.

एनडीए होता तो छह सीटें गंवा चुकी होती कांग्रेस

अब सवाल उठता है कि इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को क्यों कमजोर कड़ी के रूप में देखा जा रहा है. इसका जवाब चुनावी नतीजों में छिपा है. कांग्रेस ने जिन 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी, उनमें जरमुंडी सीट पर भाजपा की हार सिर्फ 3,099 वोट से हुई थी. इसके अलावा बड़कागांव, रामगढ़, खिजरी, सिमडेगा और लोहरदगा सीट पर अगर भाजपा, आजसू और जदयू का वोट जोड़ दिया जाए तो सभी सीटें कांग्रेस गंवा बैठती. यानी कांग्रेस को कुल छह सीटों का नुकसान हो गया होता. इससे सत्ता का पूरा समीकरण बदल जाता.

2019 में इन 16 सीटों पर जीती थी कांग्रेस

2019 में पाकुड़ से कांग्रेस के आलमगीर आलम, जामताड़ा से इरफान अंसारी, जरमुंडी से बादल पत्रलेख, महगामा से दीपिका पांडेय सिंह, बरही से उमाशंकर अकेला, बड़कागांव से अंबा प्रसाद, रामगढ़ से ममता देवी, झरिया से पूर्णिमा नीरज सिंह, बेरमो से राजेंद्र प्रसाद सिंह, जमशेदपुर पश्चिम से बन्ना गुप्ता, जगन्नाथपुर से सोनाराम सिंकू, खिजरी से राजेश कच्छप, सिमडेगा से भूषण बाड़ा, कोलेबिरा से नमन विक्सल कोंगाड़ी, लोहरदगा से डॉ रामेश्वर उरांव और मनिका से रामचंद्र सिंह की जीत हुई थी.

सीटें जहां कांग्रेस ने 2019 में उतारे थे प्रत्याशी

2019 के चुनाव में कांग्रेस ने पाकुड़, जामताड़ा, जरमुंडी, महगामा, बरही, बड़कागांव, रामगढ़, हजारीबाग, सिमरिया, बगोदर, जमुआ, बेरमो, बोकारो, धनबाद, झरिया, बाघमारा, जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिमी, जगन्नाथपुर, खिजरी, हटिया, कांके, मांडर, सिमडेगा, कोलेबिरा, लोहदरगा, मनिका, पांकी, डाल्टनगंज, बिश्रामपुर और भवनाथपुर सीट पर चुनाव लड़ा था.

कांग्रेस की छह सीटों पर जब्त हुई थी जमानत

खास बात है कि 2019 के चुनाव में 31 सीटों पर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने के बावजूद छह सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. इनमें बगोदर, जमशेदपुर पूर्वी, सिमरिया, मांडर, बिश्रामपुर और भवनाथपुर की सीटें शामिल हैं. दरअसल, अगर किसी उम्मीदवार को कुल पड़े वोट का 1/6 फीसदी वोट हासिल नहीं होता है तो संबंधित उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाती है. इससे साफ है कि जमीनी तौर पर कांग्रेस की पकड़ मजबूत नहीं है. ज्यादातर प्रत्याशियों ने अपने बूते या गठबंधन की वजह से जीत हासिल की थी.

शायद यही वजह है कि इसबार इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कर रहा झामुमो पिछली बार के 43 सीट के मुकाबले 49 सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रहा है. पिछले दिनों कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर द्वारा कार्यकर्ताओं को रोटेशनल सीएम वाले जवाब पर झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने दो टूक जवाब देते हुए कहा भी था कि गलतफहमी ना पालें. झामुमो अपने बल पर सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ने की ताकत रखती है.

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