ETV Bharat / state

कौन हैं कंगला मांझी जिनकी कहानी जानना आपके लिए है जरुरी - FREEDOM FIGHTER KANGALA MANJHI

मांझी सरकार की सेना ने बिना हथियार के अंग्रेजों को पानी पिला दिया था. 40वीं पुण्यतिथि पर जानिए पूरी कहानी.

FREEDOM FIGHTER KANGALA MANJHI
कौन हैं कंगला मांझी (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 7, 2024, 7:54 PM IST

बालोद: 5 दिसंबर से 7 दिसंबर तक बालोद के बाघमार में स्वतंत्रता सेनानी कंगला मांझी की पुण्यतिथि मनाई जा रही है. हीरा सिंह देव ऊर्फ कंगला मांझी ने स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजों की नाकों में दम कर दिया था. सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज से प्रभावित होकर कंगला मांझी ने 1942 अपनी शांति सेना बनाई. कंगला मांझी की शांति सेना ने आजादी के आंदोलन में छत्तीसगढ़ में बड़ा आंदोलन खड़ा किया. मांझी सरकार के पास वर्तमान में 2 लाख से ज्यादा देशभर में वर्दीधारी सैनिक हैं. बिना हथियार के मांझी सरकार की सेना ने अंग्रेजों को पानी पिला दिया था.

कंगला मांझी की 40वीं पुण्यतिथि: स्वतंत्रता सेनानी कंगला मांझी की पुण्यतिथि पर तीन दिनों तक चलने वाले आयोजन में हजारों लोग शामिल होते हैं. कंगला मांझी को श्रद्धांजलि देने वाले बालोद के बाघमार आकर उनको नमन करते हैं. साल 1913 में कंगला मांझी आजादी के आंदोलन से जुड़ चुके थे. साल 1914 में उनकी मुलाकात राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से हुई. गांधी जी से मुलाकात के बाद वो पूरी तरह से आजादी के आंदोलन से जुड़ गए.

कौन हैं कंगला मांझी (ETV Bharat)

बाघमार में लगता है मेला: बालोद जिले में घने जंगलों के बीच बसा एक गांव हैं बाघमार यहां हर साल तीन दिनों के लिए बड़ा मेला लगता है. मेले में यहां खिलौने और मिठाईयां नहीं मिलती बल्कि यहां मिलते हैं सैनिकों के सामान. मेले में बैग, वर्दी, बूट, बेल्ट, सेना की रैंक वाले प्रतीक चिन्ह. बघमार के मेल में आने वाले लोग बड़े चाव से इसे खरीदते हैं. स्वतंत्रता सेनानी कंगला मांझी की पुण्यतिथि पर लगने वाले इस मेले में हर दिन हजारों लोग पहुंचते हैं.

जल जंगल जमीन की करते हैं रक्षा: आदिवासियों के लिए जल,जंगल,जमीन के संरक्षण और अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस और भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में गठित मांझी सरकार आज भी आदिवासी परंपरा और समाज के उत्थान के लिए काम कर रही है. वर्तमान में मांझी सरकार के पास 2 लाख से ज्यादा वर्दीधारी सैनिक हैं. देश सेवा के काम में ये सैनिक हमेशा तत्पर रहते हैं.

हीरा सिंह देव का कांकेर में हुआ था जन्म: 1896 में कांकेर के तेलावट में हीरा सिंह देव मांझी का जन्म हुआ. कहा जाता है कि 9 साल की उम्र से ही स्वतंत्रता सेनानी कंगला मांझी ने अंग्रेजी हुकूमत से लड़ना शुरू कर दिया था. मांझी ने 1910 में आदिवासी समुदाय के साथ अखिल भारतीय मददगार आदि मूलवासीजन संगठन बनाकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया. उनका पूरा जीवन देश के लिए समर्पित रहा.

मांझी सरकार की सेना: मांझी सरकार की सेना की नींव साल 1910 में रखी गई थी. पूरे देशभर में ये मांझी सेना फैली है. साल 1951 से बैच बिल्ला बनना शुरू हुआ. मांझी सेना को 1956 में राष्ट्रीय ध्वज से सम्मानित किया गया. आजादी की लड़ाई में मांझी सेना ने बड़ा योगदान दिया. संविधान निर्माण में भी इनका योगदान रहा है.

फुलवा देवी कांगे हैं राजमाता: कंगला मांझी की पत्नी और सरकार की अध्यक्ष 'राजमाता' फुलवा देवी कांगे कहती हैं, ''आदिवासी शिक्षा क्षेत्र में पिछड़े हैं और शोषण के शिकार होते रहे हैं. यह संगठन उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के अलावा सशक्तिकरण में शिक्षा की अहमियत को समझाकर स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने की दिशा में काम करता है.''

''जनता के हितों के लिए करते हैं काम'': उनके बेटे कुंभ देव कांगे सरकार के उपाध्यक्ष हैं उनका कहना है कि आज भी हमारी सेना जनता के हित में काम कर रही है. जहां कहीं भी हो ये हमेशा हितों की रक्षा के लिए मौजूद रहती हैं. जनता की बातें और उनके दुख तकलीफ ये हम तक पहुंचाती हैं.

गांव बना आस्था का केंद्र: कंगला मांझी जिन्हे हीरा सिंह देव कांगे के नाम से भी जाना जाता है वो 1956 में दुर्ग के आमापारा चले गए. आज भी उनका आधा परिवार आमापारा किले में परिवार रहा. साल1960 में उन्होंने अपनी गतिविधियों के लिए बालोद जिले के डौंडीलोहारा तहसील के बघमार गांव को चुना. यह गांव बाद में आदिवासियों के लिए एक पवित्र स्थान बन गया. कंगला मांझी का निधन 5 दिसंबर 1984 को बघमार में हुआ. बाघमार में उनकी समाधि बनाई गई जहां तीन दिनों तक मेला लगता है.

Kangla Manjhi Sarkar: बिना हथियार आदिवासी के हितों की लड़ाई लड़ रहे सैनिकों से मिलिए, इनकी वर्दी भी बेहद खास
Dantewada : मुख्यधारा से भटके लोगों को कंगला मांझी सरकार का संदेश, समाज से जुड़ें !
बालोद पहुंचे केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, कंगला मांझी की शहादत को किया नमन
कंगला मांझी सरकार: यहां आज भी रहते हैं 'आजाद हिंद फौज' के सिपाही

बालोद: 5 दिसंबर से 7 दिसंबर तक बालोद के बाघमार में स्वतंत्रता सेनानी कंगला मांझी की पुण्यतिथि मनाई जा रही है. हीरा सिंह देव ऊर्फ कंगला मांझी ने स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजों की नाकों में दम कर दिया था. सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज से प्रभावित होकर कंगला मांझी ने 1942 अपनी शांति सेना बनाई. कंगला मांझी की शांति सेना ने आजादी के आंदोलन में छत्तीसगढ़ में बड़ा आंदोलन खड़ा किया. मांझी सरकार के पास वर्तमान में 2 लाख से ज्यादा देशभर में वर्दीधारी सैनिक हैं. बिना हथियार के मांझी सरकार की सेना ने अंग्रेजों को पानी पिला दिया था.

कंगला मांझी की 40वीं पुण्यतिथि: स्वतंत्रता सेनानी कंगला मांझी की पुण्यतिथि पर तीन दिनों तक चलने वाले आयोजन में हजारों लोग शामिल होते हैं. कंगला मांझी को श्रद्धांजलि देने वाले बालोद के बाघमार आकर उनको नमन करते हैं. साल 1913 में कंगला मांझी आजादी के आंदोलन से जुड़ चुके थे. साल 1914 में उनकी मुलाकात राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से हुई. गांधी जी से मुलाकात के बाद वो पूरी तरह से आजादी के आंदोलन से जुड़ गए.

कौन हैं कंगला मांझी (ETV Bharat)

बाघमार में लगता है मेला: बालोद जिले में घने जंगलों के बीच बसा एक गांव हैं बाघमार यहां हर साल तीन दिनों के लिए बड़ा मेला लगता है. मेले में यहां खिलौने और मिठाईयां नहीं मिलती बल्कि यहां मिलते हैं सैनिकों के सामान. मेले में बैग, वर्दी, बूट, बेल्ट, सेना की रैंक वाले प्रतीक चिन्ह. बघमार के मेल में आने वाले लोग बड़े चाव से इसे खरीदते हैं. स्वतंत्रता सेनानी कंगला मांझी की पुण्यतिथि पर लगने वाले इस मेले में हर दिन हजारों लोग पहुंचते हैं.

जल जंगल जमीन की करते हैं रक्षा: आदिवासियों के लिए जल,जंगल,जमीन के संरक्षण और अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस और भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में गठित मांझी सरकार आज भी आदिवासी परंपरा और समाज के उत्थान के लिए काम कर रही है. वर्तमान में मांझी सरकार के पास 2 लाख से ज्यादा वर्दीधारी सैनिक हैं. देश सेवा के काम में ये सैनिक हमेशा तत्पर रहते हैं.

हीरा सिंह देव का कांकेर में हुआ था जन्म: 1896 में कांकेर के तेलावट में हीरा सिंह देव मांझी का जन्म हुआ. कहा जाता है कि 9 साल की उम्र से ही स्वतंत्रता सेनानी कंगला मांझी ने अंग्रेजी हुकूमत से लड़ना शुरू कर दिया था. मांझी ने 1910 में आदिवासी समुदाय के साथ अखिल भारतीय मददगार आदि मूलवासीजन संगठन बनाकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया. उनका पूरा जीवन देश के लिए समर्पित रहा.

मांझी सरकार की सेना: मांझी सरकार की सेना की नींव साल 1910 में रखी गई थी. पूरे देशभर में ये मांझी सेना फैली है. साल 1951 से बैच बिल्ला बनना शुरू हुआ. मांझी सेना को 1956 में राष्ट्रीय ध्वज से सम्मानित किया गया. आजादी की लड़ाई में मांझी सेना ने बड़ा योगदान दिया. संविधान निर्माण में भी इनका योगदान रहा है.

फुलवा देवी कांगे हैं राजमाता: कंगला मांझी की पत्नी और सरकार की अध्यक्ष 'राजमाता' फुलवा देवी कांगे कहती हैं, ''आदिवासी शिक्षा क्षेत्र में पिछड़े हैं और शोषण के शिकार होते रहे हैं. यह संगठन उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के अलावा सशक्तिकरण में शिक्षा की अहमियत को समझाकर स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने की दिशा में काम करता है.''

''जनता के हितों के लिए करते हैं काम'': उनके बेटे कुंभ देव कांगे सरकार के उपाध्यक्ष हैं उनका कहना है कि आज भी हमारी सेना जनता के हित में काम कर रही है. जहां कहीं भी हो ये हमेशा हितों की रक्षा के लिए मौजूद रहती हैं. जनता की बातें और उनके दुख तकलीफ ये हम तक पहुंचाती हैं.

गांव बना आस्था का केंद्र: कंगला मांझी जिन्हे हीरा सिंह देव कांगे के नाम से भी जाना जाता है वो 1956 में दुर्ग के आमापारा चले गए. आज भी उनका आधा परिवार आमापारा किले में परिवार रहा. साल1960 में उन्होंने अपनी गतिविधियों के लिए बालोद जिले के डौंडीलोहारा तहसील के बघमार गांव को चुना. यह गांव बाद में आदिवासियों के लिए एक पवित्र स्थान बन गया. कंगला मांझी का निधन 5 दिसंबर 1984 को बघमार में हुआ. बाघमार में उनकी समाधि बनाई गई जहां तीन दिनों तक मेला लगता है.

Kangla Manjhi Sarkar: बिना हथियार आदिवासी के हितों की लड़ाई लड़ रहे सैनिकों से मिलिए, इनकी वर्दी भी बेहद खास
Dantewada : मुख्यधारा से भटके लोगों को कंगला मांझी सरकार का संदेश, समाज से जुड़ें !
बालोद पहुंचे केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, कंगला मांझी की शहादत को किया नमन
कंगला मांझी सरकार: यहां आज भी रहते हैं 'आजाद हिंद फौज' के सिपाही
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.