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लोहरदगा विधानसभा सीट पर मारामारी, गठबंधन का ठिकाना नहीं, सब कर रहे दावेदारी - Jharkhand Assembly Election 2024 - JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION 2024

Lohardaga Assembly Seat. विधानसभा चुनाव को लेकर लोहरदगा विधानसभा सीट काफी रोचक होने वाली है. ना सिर्फ हार-जीत को लेकर, बल्कि यहां से चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों को लेकर भी तस्वीर दिलचस्प होगी. राजनीतिक दलों के फैसले का इंतजार मतदाताओं को भी है. मतदाता देखना चाहते हैं कि राजनीतिक दल इस बार कौन से प्रत्याशी पर दांव खेलते हैं.

Lohardaga Assembly Seat
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 28, 2024, 11:53 AM IST

Updated : Sep 28, 2024, 12:57 PM IST

लोहरदगा: विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल सीटों पर अपनी-अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं. जिन सीटों को लेकर गठबंधन के तहत पिछले चुनाव में प्रत्याशी उतारे गए थे, इस चुनाव में भी कुछ वैसी ही तस्वीर की उम्मीद लोगों को थी, परंतु अभी तक जो स्थिति दिखाई दे रही है. उसमें यही लग रहा है कि इस पर लोहरदगा विधानसभा सीट में दावेदारी को लेकर मारामारी की स्थिति है. सभी प्रमुख राजनीतिक दल लोहरदगा विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी उतारने को लेकर तैयार हैं. यहां तक कि गठबंधन की तस्वीर भी यहां पर स्पष्ट दिखाई नहीं दे रही है.

सुखदेव ने बदला था पाला

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में लोहरदगा विधानसभा सीट पर चुनाव परिणाम बेहद रोचक रहा था. कह सकते हैं कि पूरा चुनाव ही काफी रोचक था. इसके पीछे की वजह यह थी कि वर्तमान में कांग्रेस के लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के सांसद और कांग्रेस के दिग्गज नेता सुखदेव भगत ने साल 2019 में लोहरदगा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गए थे.

Lohardaga Assembly Seat
मंत्री रामेश्वर उरांव (ईटीवी भारत)

हालांकि इस चुनाव में सुखदेव भगत को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में झारखंड सरकार के मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव सुखदेव भगत के खिलाफ चुनाव मैदान में थे. रामेश्वर उरांव को इस चुनाव में 74380 वोट मिले थे. जबकि सुखदेव भगत को 44230 वोट मिले थे. इस चुनाव में तीसरी पोजीशन पर आजूस पार्टी की उम्मीदवार और पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत थी.

नीरू शांति भगत को 39916 वोट मिले थे. कुल मिलाकर साल 2019 के चुनाव में लोहरदगा विधानसभा सीट से 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. इस बार तस्वीर अलग है. रामेश्वर उरांव चुनाव मैदान में दिखाई दे रहे हैं. हालांकि सुखदेव भगत वापस कांग्रेस में लौट चुके हैं. भाजपा और आजसू के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कुछ तय नहीं हो पाया है. कांग्रेस और झामुमो द्वारा चुनाव लड़ने को लेकर भी सीटों की घोषणा अभी तक हुई नहीं है.

Lohardaga Assembly Seat
सुदर्शन भगत (ईटीवी भारत)
पक्ष-विपक्ष दोनों की तस्वीर साफ नहीं

लोहरदगा विधानसभा सीट में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, आजसू पार्टी और अन्य दलों की ओर से भी चुनाव को लेकर एक सुगबुगाहट दिखाई दे रही है. तस्वीर बिल्कुल धुंधली है. मतदाता भी अभी तक कंफ्यूज नजर आ रहे हैं. किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा कि इस विधानसभा सीट पर कौन सा राजनीतिक दल चुनाव मैदान में उतरने वाला है. इसके पीछे की वजह यह है कि सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी ओर से तैयारी कर रहे हैं. न सिर्फ चुनावी रणनीति तैयार की जा रही है, बल्कि यहां से प्रत्याशी उतारने को लेकर अपनी दावेदारी भी प्रस्तुत कर रहे हैं.

पिछले चुनाव परिणाम की दे रहे दुहाई

लोहरदगा विधानसभा सीट में कई दावेदार नजर आ रहे हैं. अधिकारिक घोषणा किसी भी राजनीतिक दल नहीं की है, परंतु पिछले विधानसभा चुनाव परिणाम की दुहाई सभी दे रहे हैं. चुनाव को लेकर यदि प्रत्यक्ष रूप से संभावित उम्मीदवारों की संख्या की बात की जाए तो सिर्फ कांग्रेस पार्टी की ओर से ही कुछ हद तक तस्वीर स्पष्ट है. कांग्रेस पार्टी की ओर से 11 लोगों ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है.

Lohardaga Assembly Seat
आजसू नेता नीरू शांति भगत (ईटीवी भारत)

भाजपा, आजसू, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और दूसरे दलों की ओर से अभी तक ऐसी कोई दावेदारी दिखी नहीं है. हालांकि भाजपा के अंदर भी सुगबुगाहट है. यहां से पूर्व सांसद सुदर्शन भगत को चुनाव लड़ने को लेकर एक चर्चा सुनाई दे रही है. आधिकारिक घोषणा नहीं है, परंतु कार्यकर्ताओं के बीच इसको लेकर चर्चा जरूर है. आजसू पार्टी की ओर से नीरू शांति भगत दावेदारी प्रस्तुत करती हुई दिख रही हैं. इसके लिए वह क्षेत्र में लगातार सक्रिय भी हैं. हालांकि पार्टी ने भी अभी तक लोहरदगा सीट से किसी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है.

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश कार्य समिति सदस्य ओम प्रकाश सिंह का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी को लोहरदगा विधानसभा सीट से इस बार चुनाव लड़ना चाहिए. इसके लिए प्रदेश नेतृत्व को कार्यकर्ताओं की भावनाओं से अवगत कराया जा रहा है. वहीं कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. अजय शाहदेव कहते हैं कि लोहरदगा सीट को लेकर प्रत्याशी का चयन तो पार्टी स्तर से ही होगा, लेकिन इतना तय है कि इस बार चुनाव की तस्वीर बेहद रोचक होने वाली है.

वरिष्ठ पत्रकार लोकेश केसरी का कहना है कि लोहरदगा विधानसभा सीट को लेकर यदि प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन से अलग कुछ तस्वीर नजर आती है तो उसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए. इसकी शुरुआत तो पिछले विधानसभा चुनाव के समय से ही हो चुकी थी. पिछले चुनाव में ही एडीए गठबंधन पर असर काफी हद तक लोहरदगा सीट को लेकर ही नजर आया था. इस बार सभी दल आपस में किस प्रकार का समन्वय स्थापित करते हैं, यह तो आने वाले में समय पता चलेगा, परंतु इतना तय है कि लोहरदगा सीट में दावेदारों की कोई कमी नहीं होगी.

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सुखदेव ने बदला था पाला

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में लोहरदगा विधानसभा सीट पर चुनाव परिणाम बेहद रोचक रहा था. कह सकते हैं कि पूरा चुनाव ही काफी रोचक था. इसके पीछे की वजह यह थी कि वर्तमान में कांग्रेस के लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के सांसद और कांग्रेस के दिग्गज नेता सुखदेव भगत ने साल 2019 में लोहरदगा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गए थे.

Lohardaga Assembly Seat
मंत्री रामेश्वर उरांव (ईटीवी भारत)

हालांकि इस चुनाव में सुखदेव भगत को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में झारखंड सरकार के मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव सुखदेव भगत के खिलाफ चुनाव मैदान में थे. रामेश्वर उरांव को इस चुनाव में 74380 वोट मिले थे. जबकि सुखदेव भगत को 44230 वोट मिले थे. इस चुनाव में तीसरी पोजीशन पर आजूस पार्टी की उम्मीदवार और पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत थी.

नीरू शांति भगत को 39916 वोट मिले थे. कुल मिलाकर साल 2019 के चुनाव में लोहरदगा विधानसभा सीट से 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. इस बार तस्वीर अलग है. रामेश्वर उरांव चुनाव मैदान में दिखाई दे रहे हैं. हालांकि सुखदेव भगत वापस कांग्रेस में लौट चुके हैं. भाजपा और आजसू के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कुछ तय नहीं हो पाया है. कांग्रेस और झामुमो द्वारा चुनाव लड़ने को लेकर भी सीटों की घोषणा अभी तक हुई नहीं है.

Lohardaga Assembly Seat
सुदर्शन भगत (ईटीवी भारत)
पक्ष-विपक्ष दोनों की तस्वीर साफ नहीं

लोहरदगा विधानसभा सीट में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, आजसू पार्टी और अन्य दलों की ओर से भी चुनाव को लेकर एक सुगबुगाहट दिखाई दे रही है. तस्वीर बिल्कुल धुंधली है. मतदाता भी अभी तक कंफ्यूज नजर आ रहे हैं. किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा कि इस विधानसभा सीट पर कौन सा राजनीतिक दल चुनाव मैदान में उतरने वाला है. इसके पीछे की वजह यह है कि सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी ओर से तैयारी कर रहे हैं. न सिर्फ चुनावी रणनीति तैयार की जा रही है, बल्कि यहां से प्रत्याशी उतारने को लेकर अपनी दावेदारी भी प्रस्तुत कर रहे हैं.

पिछले चुनाव परिणाम की दे रहे दुहाई

लोहरदगा विधानसभा सीट में कई दावेदार नजर आ रहे हैं. अधिकारिक घोषणा किसी भी राजनीतिक दल नहीं की है, परंतु पिछले विधानसभा चुनाव परिणाम की दुहाई सभी दे रहे हैं. चुनाव को लेकर यदि प्रत्यक्ष रूप से संभावित उम्मीदवारों की संख्या की बात की जाए तो सिर्फ कांग्रेस पार्टी की ओर से ही कुछ हद तक तस्वीर स्पष्ट है. कांग्रेस पार्टी की ओर से 11 लोगों ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है.

Lohardaga Assembly Seat
आजसू नेता नीरू शांति भगत (ईटीवी भारत)

भाजपा, आजसू, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और दूसरे दलों की ओर से अभी तक ऐसी कोई दावेदारी दिखी नहीं है. हालांकि भाजपा के अंदर भी सुगबुगाहट है. यहां से पूर्व सांसद सुदर्शन भगत को चुनाव लड़ने को लेकर एक चर्चा सुनाई दे रही है. आधिकारिक घोषणा नहीं है, परंतु कार्यकर्ताओं के बीच इसको लेकर चर्चा जरूर है. आजसू पार्टी की ओर से नीरू शांति भगत दावेदारी प्रस्तुत करती हुई दिख रही हैं. इसके लिए वह क्षेत्र में लगातार सक्रिय भी हैं. हालांकि पार्टी ने भी अभी तक लोहरदगा सीट से किसी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है.

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश कार्य समिति सदस्य ओम प्रकाश सिंह का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी को लोहरदगा विधानसभा सीट से इस बार चुनाव लड़ना चाहिए. इसके लिए प्रदेश नेतृत्व को कार्यकर्ताओं की भावनाओं से अवगत कराया जा रहा है. वहीं कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. अजय शाहदेव कहते हैं कि लोहरदगा सीट को लेकर प्रत्याशी का चयन तो पार्टी स्तर से ही होगा, लेकिन इतना तय है कि इस बार चुनाव की तस्वीर बेहद रोचक होने वाली है.

वरिष्ठ पत्रकार लोकेश केसरी का कहना है कि लोहरदगा विधानसभा सीट को लेकर यदि प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन से अलग कुछ तस्वीर नजर आती है तो उसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए. इसकी शुरुआत तो पिछले विधानसभा चुनाव के समय से ही हो चुकी थी. पिछले चुनाव में ही एडीए गठबंधन पर असर काफी हद तक लोहरदगा सीट को लेकर ही नजर आया था. इस बार सभी दल आपस में किस प्रकार का समन्वय स्थापित करते हैं, यह तो आने वाले में समय पता चलेगा, परंतु इतना तय है कि लोहरदगा सीट में दावेदारों की कोई कमी नहीं होगी.

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Last Updated : Sep 28, 2024, 12:57 PM IST
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