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Ashadha Purnima 2024: इस साल अषाढ़ पूर्णिमा कब है, 20 या 21 जुलाई, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा का योग - Guru Purnima 2024

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 17, 2024, 5:00 PM IST

Ashadha Purnima 2024: 21 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है. वेद व्यास की जयंती होने के कारण इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. आिये आपको बताते हैं कि गुरु पूर्णिमा का क्या महत्व है और इस दिन पूजा करने का क्या विधि विधान है.

Guru Purnima 2024
गुरु पूर्णिमा (सांकेतिक तस्वीर)

करनाल: आषाढ़ महीने के अंत में आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाती. जिसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से पूर्णिमा का व्रत करने से और स्नान दान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है. गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र देवता अपने पूर्ण आकार में होते हैं. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. आईए जानते हैं कि इसका क्या महत्व है और इसके व्रत और पूजा का विधि विधान क्या है.

कब है आषाढ़ महीने की पूर्णिमा

पंडित पवन शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ लोगों में इस बार असमंजस की स्थिति बनी हुई है. अषाढ़ पूर्णिमा 20 जुलाई को मनायें या 21 जुलाई को. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. आषाढ़ पूर्णिमा की शुरुआत 20 जुलाई को शाम के 5:59 से हो रही है, जबकि इसका समापन 21 जुलाई को दोपहर बाद 3:46 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए पूर्णिमा को 21 जुलाई के दिन मनाया जाएगा.

गुरु पूर्णिमा या आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व

आषाढ़ पूर्णिमा का हिंदू शास्त्रों में बहुत महत्व है. इसको गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. भारत में गुरु को विशेष महत्व दिया जाता है. इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु की पूजा करते हैं. उसके साथ-साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिसने चारों वेदों का ज्ञान दिया था. इसलिए इसको गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. पूरी सृष्टि में सबसे पहली बार महर्षि वेदव्यास ने ही मानव जाति को वेदों का ज्ञान दिया था. घर में सुख समृद्धि के लिए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन स्नान करने से सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं और दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

स्नान और दान करने का शुभ मुहूर्त

आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करना काफी शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो भी पवित्र नदी में स्नान करता है उसके सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं. स्नान करने के बाद दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन दान और स्नान करने का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 7:19 से 12:27 तक रहेगा. दूसरे शुभ मुहूर्त का समय दोपहर 2:09 बजे से शुरू होकर 3:52 तक चलेगा. यह स्नान और दान करने का शुभ मुहूर्त का समय है. इस दौरान अगर स्नान और दान करते हैं तो उसमें ज्यादा फल की प्राप्ति होती है. पूर्णिमा के दिन शुरुआत सिद्धि योग भी बन रहा है, जिसकी शुरुआत सुबह 5:37 से होगी और इसका समापन 22 जुलाई को मध्य रात्रि 12:14 पर होगा.

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय

पूर्णिमा के दिन चांद का विशेष महत्व होता है. जो भी इंसान पूर्णिमा का व्रत करता है वो चंद्र दर्शन करने के बाद अपने व्रत का पारण करता है. ऐसे में आषाढ़ पूर्णिमा के दिन 21 जुलाई को शाम के 6:47 पर चंद्र उदय होगा. चंद्र दर्शन करने के बाद जल मे दूध मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए और मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए.

गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा का विधि विधान

गुरु पूर्णिमा या आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. उसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. भगवान विष्णु के आगे पीले रंग के फल-फूल, वस्त्र और मिठाई को अर्पित करें. उसके बाद जो भी पूर्णिमा का व्रत रखना चाहते हैं वो व्रत रखने का संकल्प लें. दिन में भगवान विष्णु के लिए कीर्तन या विष्णु पुराण पढ़ें. भगवान सत्यनारायण की कथा करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे प्रसाद का भोग लगाकर चंद्रमा के दर्शन करें.

गुरु पूर्णिमा के दिन चांद दोष के उपाय

पूर्णिमा के दिन चांद का विशेष महत्व होता है. जो भी जातक पूर्णिमा का व्रत रखता है, वो चांद दर्शन करने के बाद अपने व्रत का पारण करता है. ऐसे में कई लोगों की कुंडली में चांद दोष होता है. उसको दूर करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं. अगर किसी इंसान की कुंडली में चांद दोष है और वो आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्र देवता की पूजा अर्चना करे तो लाभ के योग बनेंगे.

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है. जिसकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, वो सफेद रंग के वस्त्र, दूध, अन्न, मोती, चांदी आदि चीजों का दान कर सकते हैं. ऐसे में उनकी कुंडली में चंद्रमा दोष दूर होगा और चंद्रमा मजबूत होगा. पूर्णिमा के दिन अपने घर में सूखे मेवे, मखाना और केसर की खीर बनाएं और उसके बाद उसको माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के आगे भोग लगाएं. इससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा.

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करनाल: आषाढ़ महीने के अंत में आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाती. जिसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से पूर्णिमा का व्रत करने से और स्नान दान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है. गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र देवता अपने पूर्ण आकार में होते हैं. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. आईए जानते हैं कि इसका क्या महत्व है और इसके व्रत और पूजा का विधि विधान क्या है.

कब है आषाढ़ महीने की पूर्णिमा

पंडित पवन शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ लोगों में इस बार असमंजस की स्थिति बनी हुई है. अषाढ़ पूर्णिमा 20 जुलाई को मनायें या 21 जुलाई को. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. आषाढ़ पूर्णिमा की शुरुआत 20 जुलाई को शाम के 5:59 से हो रही है, जबकि इसका समापन 21 जुलाई को दोपहर बाद 3:46 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए पूर्णिमा को 21 जुलाई के दिन मनाया जाएगा.

गुरु पूर्णिमा या आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व

आषाढ़ पूर्णिमा का हिंदू शास्त्रों में बहुत महत्व है. इसको गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. भारत में गुरु को विशेष महत्व दिया जाता है. इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु की पूजा करते हैं. उसके साथ-साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिसने चारों वेदों का ज्ञान दिया था. इसलिए इसको गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. पूरी सृष्टि में सबसे पहली बार महर्षि वेदव्यास ने ही मानव जाति को वेदों का ज्ञान दिया था. घर में सुख समृद्धि के लिए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन स्नान करने से सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं और दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

स्नान और दान करने का शुभ मुहूर्त

आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करना काफी शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो भी पवित्र नदी में स्नान करता है उसके सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं. स्नान करने के बाद दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन दान और स्नान करने का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 7:19 से 12:27 तक रहेगा. दूसरे शुभ मुहूर्त का समय दोपहर 2:09 बजे से शुरू होकर 3:52 तक चलेगा. यह स्नान और दान करने का शुभ मुहूर्त का समय है. इस दौरान अगर स्नान और दान करते हैं तो उसमें ज्यादा फल की प्राप्ति होती है. पूर्णिमा के दिन शुरुआत सिद्धि योग भी बन रहा है, जिसकी शुरुआत सुबह 5:37 से होगी और इसका समापन 22 जुलाई को मध्य रात्रि 12:14 पर होगा.

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय

पूर्णिमा के दिन चांद का विशेष महत्व होता है. जो भी इंसान पूर्णिमा का व्रत करता है वो चंद्र दर्शन करने के बाद अपने व्रत का पारण करता है. ऐसे में आषाढ़ पूर्णिमा के दिन 21 जुलाई को शाम के 6:47 पर चंद्र उदय होगा. चंद्र दर्शन करने के बाद जल मे दूध मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए और मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए.

गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा का विधि विधान

गुरु पूर्णिमा या आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. उसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. भगवान विष्णु के आगे पीले रंग के फल-फूल, वस्त्र और मिठाई को अर्पित करें. उसके बाद जो भी पूर्णिमा का व्रत रखना चाहते हैं वो व्रत रखने का संकल्प लें. दिन में भगवान विष्णु के लिए कीर्तन या विष्णु पुराण पढ़ें. भगवान सत्यनारायण की कथा करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे प्रसाद का भोग लगाकर चंद्रमा के दर्शन करें.

गुरु पूर्णिमा के दिन चांद दोष के उपाय

पूर्णिमा के दिन चांद का विशेष महत्व होता है. जो भी जातक पूर्णिमा का व्रत रखता है, वो चांद दर्शन करने के बाद अपने व्रत का पारण करता है. ऐसे में कई लोगों की कुंडली में चांद दोष होता है. उसको दूर करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं. अगर किसी इंसान की कुंडली में चांद दोष है और वो आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्र देवता की पूजा अर्चना करे तो लाभ के योग बनेंगे.

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है. जिसकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, वो सफेद रंग के वस्त्र, दूध, अन्न, मोती, चांदी आदि चीजों का दान कर सकते हैं. ऐसे में उनकी कुंडली में चंद्रमा दोष दूर होगा और चंद्रमा मजबूत होगा. पूर्णिमा के दिन अपने घर में सूखे मेवे, मखाना और केसर की खीर बनाएं और उसके बाद उसको माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के आगे भोग लगाएं. इससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा.

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