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गौ आधारित कृषि क्या है, इसके क्या फायदे हैं, जानिए डिटेल्स - COW BASED NATURAL FARMING

गौ आधारित कृषि भारतीय सनातन परंपरा की देन है. इस खेती से उपजाए उत्पाद स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं.

Cow based natural farming
गौ आधारित कृषि (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 3 hours ago

रायपुर: वर्तमान में जमीन में कीटनाशक दवाओं का प्रयोग होने के कारण जमीन जहरीली होती जा रही है. कृषि एक्सपर्ट का मानना है कि इसे बचाने के लिए गौ आधारित कृषि जरूरी हो गई है. इस तरह के हालात पिछले 33 वर्षों में बने हैं. आने वाली पीढ़ी का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है.

जहरीली जमीन से उपजाई गई खाने पीने की चीज से कई तरह की बीमारियां भी लोगों में दिखाई पड़ रही है. गौ आधारित कृषि को लेकर छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी डॉ. अखिल जैन साल 2015 से रिसर्च कर रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने उनसे गौ आधारित कृषि को लेकर खास बातचीत की.

गौ आधारित कृषि क्या है (ETV Bharat Chhattisgarh)

सवाल: गौ आधारित कृषि क्यों जरूरी है? अब तक कितने किसानों को फोकस किया गया है?

जवाब: गौ आधारित कृषि हमारे आने वाले कल का भविष्य है. हम अपने बच्चों को जो अपनी पूंजी देकर जाएंगे और जिस पूंजी से वो अन्न खरीद कर खाएंगे, खाना तो उन्हें अनाज ही पड़ेगा. अगर यही अनाज दूषित और जहरीला हो जाता है, तो यह खाना उन्हें पचेगा नहीं.

Cow based natural farming
गौ आधारित कृषि से उपजाए उत्पाद स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद (ETV Bharat Chhattisgarh)

जीवन यापन के लिए सुपाच्य और अच्छा भोजन चाहिए. शुद्ध फल चाहिए. शुद्ध सब्जी चाहिए और दूसरी तरह की अन्य चीज पूरी तरह से शुद्ध होनी चाहिए. इसके लिए गौ आधारित कृषि ही एक मानक है. एक स्टैंडर्ड है. यह खोज सदियों पुरानी है. यह भारतीय सनातन परंपरा की देन है.

Cow based natural farming
डॉ अखिल जैन, ट्रस्टी और डायरेक्टर, मनोहर गौशाला, खैरागढ़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

ऋषि मुनि हों या पुराने कृषक हों या फिर वैज्ञानिक हों यह सभी गौ आधारित कृषि, गोबर और गोमूत्र से ही अपने पूरे खेतों में अनाज उगाया करते थे. आज हमारी 33 वर्षों में जो दुनिया बदली है, उससे कृषि भूमि में रासायनिक और यूरिया के प्रयोग से जमीन जहरीली हो गई है.

मानव स्वास्थ्य के ऊपर विपरीत असर पड़ा है. ऐसे में हमारा आने वाला कल हमारे आने वाले पल और हमारा पूरा जीवन गौ आधारित कृषि से ही बच सकता है. वर्ना हमें कई तरह की बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है.

सवाल: गौ आधारित कृषि में कब से रिसर्च चल रहा है और अब तक आपने क्या पाया?

जवाब: साल 2015 से इस पर रिसर्च का काम शुरू किया है. पहले व्यक्तिगत तौर पर अपने स्वयं के एफर्ट से इस काम को शुरू किया. उसके बाद चरक ऋषि की एक किताब मुझे मिली. इस किताब से समझ आया कि चरक ऋषि ने आखिर इस किताब में किन किन चीजों पर फोकस किया है.

गोमूत्र, नीम पत्ता और सीताफल के पत्तों पर फोकस किया है. हमने उस पर बहुत गहन चिंतन किया और 2019 में हमने इसको नेपियर घास के ऊपर प्रयोग किया. इसका बहुत अच्छा प्रतिसाद हमें मिला. इसके बाद इसी घास को हमने गौ माता को खिलाया. हमारी गौशाला में गाय के द्वारा दी गई गोबर में गंध ना होना, मच्छर ना होना, मक्खी ना होना पाया गया. इसके साथ ही गोबर और गोमूत्र से जो पोटेंशियल आया, उससे फसल अमृत लिक्विड को लेकर रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति और वैज्ञानिकों से मुलाकात की.

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की रिसर्च अधिकारी ने फसल अमृत को रिसर्च के लिए अपने पास रखा और पहले ट्रायल फूलगोभी पर किया गया. फूल गोभी की सब्जी में कोई भी कीट का प्रकोप नहीं दिखा. इसके साथ ही फूलगोभी पर 10 से 14% की ग्रोथ भी देखने को मिली.

फूल गोभी के बाद इसका प्रयोग सोयाबीन, भिंडी, धान, मक्का और सरसों जैसी दूसरी फसल और सब्जियों पर रिसर्च किया गया. यह पिछले दो सालों से चल रहा है. धरती में 25% जहर की मात्रा कम पाई गई. इसके साथ ही 12 से लेकर 24% तक फसल ग्रोथ कर रही है.

सवाल: गौ आधारित कृषि के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए क्या किया जा रहा है?

जवाब: ऑर्गेनिक गोल्ड और फसल अमृत को पेटेंट कराया गया है. इसे नि:शुल्क किसानों को बांटा भी जा रहा है. अबत तक हम 12 राज्य के लगभग 5 लाख किसानों, गौ पालकों के साथ ही कुछ ऐसे लोग हैं, जो घर में ऑर्गेनिक खाद बनाते हैं, उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण देने के साथ ही नि:शुल्क इन चीजों का वितरण भी किया गया है. अब तक डेढ़ लाख लीटर फसल अमृत निशुल्क वितरित किया गया है. ऑर्गेनिक गोल्ड 2 लाख क्विंटल इसको भी निशुल्क वितरित किया गया है. इसका निशुल्क वितरण भारत देश के कई राज्यों में किया गया है.

जैसे अंग्रेजों ने हमें नि:शुल्क में चाय पिलाई थी और आज हम चाय के आदी हो गए हैं. ठीक उसी तरह मैं भी इसे निशुल्क में इसलिए बांट रहा हूं कि लोग इसके आदी हो जाएं और बिना इसके खेतों पर ना जा सकें. बस मेरी यही सोच है कि भारत देश की धरती जहर मुक्त बन सके. मानव स्वास्थ्य उत्तम हो. इसके साथ ही हमारी आने वाली पीढ़ी स्वस्थ हो.

आज चारों तरफ महामारी कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां वर्तमान समय में दौड़ रही हैं. ग्रामीण इलाकों में इस तरह की बीमारियां नहीं आया करती थी, लेकिन आज उन्हीं गांव में इस तरह की बीमारियां फैल रही है. निश्चित तौर पर जमीन जहरीली हो चुकी है. हमारी वनस्पति जहरीली हो चुकी है. हमारा पानी, हमारा फल, हमारी सब्जी सब कुछ दूषित और जहरीला हो चुका है. इसे बोलने की बात नहीं है. यह हर व्यक्ति समझता है. बस इसे अपनाने की देरी है.

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रायपुर: वर्तमान में जमीन में कीटनाशक दवाओं का प्रयोग होने के कारण जमीन जहरीली होती जा रही है. कृषि एक्सपर्ट का मानना है कि इसे बचाने के लिए गौ आधारित कृषि जरूरी हो गई है. इस तरह के हालात पिछले 33 वर्षों में बने हैं. आने वाली पीढ़ी का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है.

जहरीली जमीन से उपजाई गई खाने पीने की चीज से कई तरह की बीमारियां भी लोगों में दिखाई पड़ रही है. गौ आधारित कृषि को लेकर छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी डॉ. अखिल जैन साल 2015 से रिसर्च कर रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने उनसे गौ आधारित कृषि को लेकर खास बातचीत की.

गौ आधारित कृषि क्या है (ETV Bharat Chhattisgarh)

सवाल: गौ आधारित कृषि क्यों जरूरी है? अब तक कितने किसानों को फोकस किया गया है?

जवाब: गौ आधारित कृषि हमारे आने वाले कल का भविष्य है. हम अपने बच्चों को जो अपनी पूंजी देकर जाएंगे और जिस पूंजी से वो अन्न खरीद कर खाएंगे, खाना तो उन्हें अनाज ही पड़ेगा. अगर यही अनाज दूषित और जहरीला हो जाता है, तो यह खाना उन्हें पचेगा नहीं.

Cow based natural farming
गौ आधारित कृषि से उपजाए उत्पाद स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद (ETV Bharat Chhattisgarh)

जीवन यापन के लिए सुपाच्य और अच्छा भोजन चाहिए. शुद्ध फल चाहिए. शुद्ध सब्जी चाहिए और दूसरी तरह की अन्य चीज पूरी तरह से शुद्ध होनी चाहिए. इसके लिए गौ आधारित कृषि ही एक मानक है. एक स्टैंडर्ड है. यह खोज सदियों पुरानी है. यह भारतीय सनातन परंपरा की देन है.

Cow based natural farming
डॉ अखिल जैन, ट्रस्टी और डायरेक्टर, मनोहर गौशाला, खैरागढ़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

ऋषि मुनि हों या पुराने कृषक हों या फिर वैज्ञानिक हों यह सभी गौ आधारित कृषि, गोबर और गोमूत्र से ही अपने पूरे खेतों में अनाज उगाया करते थे. आज हमारी 33 वर्षों में जो दुनिया बदली है, उससे कृषि भूमि में रासायनिक और यूरिया के प्रयोग से जमीन जहरीली हो गई है.

मानव स्वास्थ्य के ऊपर विपरीत असर पड़ा है. ऐसे में हमारा आने वाला कल हमारे आने वाले पल और हमारा पूरा जीवन गौ आधारित कृषि से ही बच सकता है. वर्ना हमें कई तरह की बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है.

सवाल: गौ आधारित कृषि में कब से रिसर्च चल रहा है और अब तक आपने क्या पाया?

जवाब: साल 2015 से इस पर रिसर्च का काम शुरू किया है. पहले व्यक्तिगत तौर पर अपने स्वयं के एफर्ट से इस काम को शुरू किया. उसके बाद चरक ऋषि की एक किताब मुझे मिली. इस किताब से समझ आया कि चरक ऋषि ने आखिर इस किताब में किन किन चीजों पर फोकस किया है.

गोमूत्र, नीम पत्ता और सीताफल के पत्तों पर फोकस किया है. हमने उस पर बहुत गहन चिंतन किया और 2019 में हमने इसको नेपियर घास के ऊपर प्रयोग किया. इसका बहुत अच्छा प्रतिसाद हमें मिला. इसके बाद इसी घास को हमने गौ माता को खिलाया. हमारी गौशाला में गाय के द्वारा दी गई गोबर में गंध ना होना, मच्छर ना होना, मक्खी ना होना पाया गया. इसके साथ ही गोबर और गोमूत्र से जो पोटेंशियल आया, उससे फसल अमृत लिक्विड को लेकर रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति और वैज्ञानिकों से मुलाकात की.

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की रिसर्च अधिकारी ने फसल अमृत को रिसर्च के लिए अपने पास रखा और पहले ट्रायल फूलगोभी पर किया गया. फूल गोभी की सब्जी में कोई भी कीट का प्रकोप नहीं दिखा. इसके साथ ही फूलगोभी पर 10 से 14% की ग्रोथ भी देखने को मिली.

फूल गोभी के बाद इसका प्रयोग सोयाबीन, भिंडी, धान, मक्का और सरसों जैसी दूसरी फसल और सब्जियों पर रिसर्च किया गया. यह पिछले दो सालों से चल रहा है. धरती में 25% जहर की मात्रा कम पाई गई. इसके साथ ही 12 से लेकर 24% तक फसल ग्रोथ कर रही है.

सवाल: गौ आधारित कृषि के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए क्या किया जा रहा है?

जवाब: ऑर्गेनिक गोल्ड और फसल अमृत को पेटेंट कराया गया है. इसे नि:शुल्क किसानों को बांटा भी जा रहा है. अबत तक हम 12 राज्य के लगभग 5 लाख किसानों, गौ पालकों के साथ ही कुछ ऐसे लोग हैं, जो घर में ऑर्गेनिक खाद बनाते हैं, उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण देने के साथ ही नि:शुल्क इन चीजों का वितरण भी किया गया है. अब तक डेढ़ लाख लीटर फसल अमृत निशुल्क वितरित किया गया है. ऑर्गेनिक गोल्ड 2 लाख क्विंटल इसको भी निशुल्क वितरित किया गया है. इसका निशुल्क वितरण भारत देश के कई राज्यों में किया गया है.

जैसे अंग्रेजों ने हमें नि:शुल्क में चाय पिलाई थी और आज हम चाय के आदी हो गए हैं. ठीक उसी तरह मैं भी इसे निशुल्क में इसलिए बांट रहा हूं कि लोग इसके आदी हो जाएं और बिना इसके खेतों पर ना जा सकें. बस मेरी यही सोच है कि भारत देश की धरती जहर मुक्त बन सके. मानव स्वास्थ्य उत्तम हो. इसके साथ ही हमारी आने वाली पीढ़ी स्वस्थ हो.

आज चारों तरफ महामारी कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां वर्तमान समय में दौड़ रही हैं. ग्रामीण इलाकों में इस तरह की बीमारियां नहीं आया करती थी, लेकिन आज उन्हीं गांव में इस तरह की बीमारियां फैल रही है. निश्चित तौर पर जमीन जहरीली हो चुकी है. हमारी वनस्पति जहरीली हो चुकी है. हमारा पानी, हमारा फल, हमारी सब्जी सब कुछ दूषित और जहरीला हो चुका है. इसे बोलने की बात नहीं है. यह हर व्यक्ति समझता है. बस इसे अपनाने की देरी है.

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