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क्या है कार्सिनोमा कैंसर ? उपचार की गाइडलाइन बनाने वाली टीम में हिंदुस्तानी साइंटिस्ट हुआ शामिल - CARCINOMA CANCER

कार्सिनोमा कैंसर के उपचार की रणनीति के लिए दुनिया के 101 साइंटिस्ट की टीम बनाई गई है. जिसमें, हिंदुस्तान से एक साइंटिस्ट भी शामिल है.

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एएमयू साइंटिस्ट डॉ. हिफ्जु़र रहमान सिद्दीकी (pic credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 30, 2024, 10:35 PM IST

अलीगढ़: कार्सिनोमा एक खतरनाक कैंसर है. जिसके उपचार की रणनीति के लिए दुनिया के 101 साइंटिस्ट की टीम बनाई गई है. जिसमें, हिंदुस्तान से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) जूलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और साइंटिस्ट डॉ. हिफ्जु़र रहमान सिद्दीकी है, जो पिछले कई वर्षों से लिवर और पोस्टेड कैंसर पर शोध कर रहे हैं.

क्या है एनयूटी कार्सिनोमा: एनयूटी कार्सिनोमा एक खतरनाक कैंसर है. जिसकि पहचान पहली बार अमेरिका में 1991 में की गई थी. न्यूक्लियर प्रोटीन ऑफ द टेस्टिस (एनयूटी) कार्सिनोमा एक दुर्लभ और अत्यधिक आक्रामक बीमारी है. इस बीमारी में मरीज की 6 से 9 महीने में ही मौत हो जाती है. आमतौर पर सिर, गर्दन, मुंह और वक्ष मध्यस्थ क्षेत्रों में होता है, जिसके कारण इसे शुरू में मिडलाइन कार्सिनोमा कहा जाता था. बाद में, यह पता चला कि यह कैंसर फेफड़े, हड्डियों, नाक गुहा, लार ग्रंथियों, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और कोमल ऊतकों सहित विभिन्न अंगों में भी होता है.

एएमयू साइंटिस्ट डॉ. हिफ्जु़र रहमान सिद्दीकी ने दी जानकारी (video credit- Etv Bharat)
एनयूटी कार्सिनोमा के निदान और उपचार के लिए मानकीकृत रणनीति उपलब्ध नहीं थी, जिससे विशेषज्ञ सहमति की आवश्यकता पर जोर दिया गया. इस अंतर को दूर करने के लिए, वैज्ञानिक टीम ने कार्सिनोमा के निदान और उपचार के लिए यह आम सहमति तैयार की. टीम में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट, नर्स, आणविक जीवविज्ञानी, सांख्यिकीविद् और जैव सूचना विज्ञान विशेषज्ञ शामिल हैं.

इसे भी पढ़ें - यूपी में कैंसर की स्क्रीनिंग आसान, इलाज में AI तकनीक का होगा इस्तेमाल, एम्स की तर्ज पर विकसित होगा PGI - UP TREATMENT FACILITY

डॉ. सिद्दीक ने बताया, कि टीम ने बहु-विषयक दृष्टिकोण का उपयोग करके एनयूटी कार्सिनोमा के निदान और उपचार पर विशेषज्ञ सहमति विकसित की है. दिशानिर्देश इस कैंसर के लिए महामारी विज्ञान विशेषताओं, नैदानिक और इमेजिंग अभिव्यक्तियों, रोग संबंधी निष्कर्षों, आईएचसी विशेषताओं, आणविक तंत्र और उपप्रकारों, रोग का निदान और उपचार रणनीतियों के बारे में आठ सिफारिशें प्रदान करेगा.

कैंसर से कैसे बचा जा सकता है : डॉ सिद्दीकी ने जनता से अपील करते हुए कहा, के कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बचने के लिए हमें अपने जीवन शैली और खान-पान को बदलना होगा. पश्चिमी जीवन शैली को आंख बंद करके फॉलो नहीं करें, हमें बाजारों में बिकने वाले जंक फूड से जितना ज्यादा बच सकते हैं. बचाना होगा और रात को जल्दी सोना और जल्दी उठना होगा. ज्यादा से ज्यादा जैविक भोजन का उपयोग करना होगा.

कोन है डॉ. हिफ्जुर रहमान सिद्दीकी : डॉ. हिफ्जुर रहमान सिद्दीकी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) जूलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, जो पिछले कई वर्षों से लिवर और पोस्टेड कैंसर पर शोध कर रहे हैं. जिनको अब तक 42 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से अवार्ड मिल चुके हैं.

डॉ. सिद्दीकी को एनयूटी कार्सिनोमा के निदान और उपचार की रणनीति पर विश्व विशेषज्ञ सहमति के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है, जो एक दुर्लभ और अत्यधिक आक्रामक घातक बीमारी है जिसका पूर्वानुमान निराशाजनक है और इसका औसत उत्तरजीविता केवल 6-9 महीने है.

42 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से अवार्ड हासिल : डॉ. सिद्दीकी को इससे पहले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से 42 पुरस्कार मान्यताएं मिल चुकी हैं, जिनमें 2010 में सोसाइटी ऑफ बेसिक यूरोलॉजिक रिसर्च, यूएसए से यंग साइंटिस्ट अवार्ड, 2017 में इंडियन एकेडमी ऑफ बायो-मेडिकल साइंसेज से फरहा देबा अवार्ड, 2019 में सोसाइटी ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च से बैंकॉक में इनोवेटिव रिसर्चर ऑफ द ईयर और एएमयू के जूलॉजी विभाग से बेस्ट टीचर अवार्ड-2018 शामिल हैं. उन्हें प्रतिष्ठित सर सैयद इनोवेशन अवार्ड-आउटस्टैंडिंग रिसर्चर ऑफ द ईयर 2022 से भी सम्मानित किया गया और थेरेपी-प्रतिरोधी कैंसर पर उनके काम को 2014 में यूएसए के रक्षा विभाग द्वारा तीन “फीचर्ड प्रोस्टेट कैंसर रिसर्च” कार्यों में से एक के रूप में चुना गया.

डॉ सिद्दीकी विश्व के 101 साइंटिस्ट में हुए शामिल : डॉ. सिद्दीकी अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, इटली, स्वीडन, पुर्तगाल, स्पेन, ग्रीस, ऑस्ट्रिया, सिंगापुर, मिस्र और रूस सहित विभिन्न देशों के 101 वैज्ञानिकों के साथ एनयूटी कार्सिनोमा पर काम करने वाले एकमात्र भारतीय हैं.

यह भी पढ़ें - JNMC अलीगढ़ ने कैंसर के इलाज के लिए सरकार से मांगी 20 करोड़ की मशीन, मरीजों का होगा फायदा - JAWAHARLAL NEHRU MEDICAL COLLEGE

अलीगढ़: कार्सिनोमा एक खतरनाक कैंसर है. जिसके उपचार की रणनीति के लिए दुनिया के 101 साइंटिस्ट की टीम बनाई गई है. जिसमें, हिंदुस्तान से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) जूलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और साइंटिस्ट डॉ. हिफ्जु़र रहमान सिद्दीकी है, जो पिछले कई वर्षों से लिवर और पोस्टेड कैंसर पर शोध कर रहे हैं.

क्या है एनयूटी कार्सिनोमा: एनयूटी कार्सिनोमा एक खतरनाक कैंसर है. जिसकि पहचान पहली बार अमेरिका में 1991 में की गई थी. न्यूक्लियर प्रोटीन ऑफ द टेस्टिस (एनयूटी) कार्सिनोमा एक दुर्लभ और अत्यधिक आक्रामक बीमारी है. इस बीमारी में मरीज की 6 से 9 महीने में ही मौत हो जाती है. आमतौर पर सिर, गर्दन, मुंह और वक्ष मध्यस्थ क्षेत्रों में होता है, जिसके कारण इसे शुरू में मिडलाइन कार्सिनोमा कहा जाता था. बाद में, यह पता चला कि यह कैंसर फेफड़े, हड्डियों, नाक गुहा, लार ग्रंथियों, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और कोमल ऊतकों सहित विभिन्न अंगों में भी होता है.

एएमयू साइंटिस्ट डॉ. हिफ्जु़र रहमान सिद्दीकी ने दी जानकारी (video credit- Etv Bharat)
एनयूटी कार्सिनोमा के निदान और उपचार के लिए मानकीकृत रणनीति उपलब्ध नहीं थी, जिससे विशेषज्ञ सहमति की आवश्यकता पर जोर दिया गया. इस अंतर को दूर करने के लिए, वैज्ञानिक टीम ने कार्सिनोमा के निदान और उपचार के लिए यह आम सहमति तैयार की. टीम में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट, नर्स, आणविक जीवविज्ञानी, सांख्यिकीविद् और जैव सूचना विज्ञान विशेषज्ञ शामिल हैं.

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डॉ. सिद्दीक ने बताया, कि टीम ने बहु-विषयक दृष्टिकोण का उपयोग करके एनयूटी कार्सिनोमा के निदान और उपचार पर विशेषज्ञ सहमति विकसित की है. दिशानिर्देश इस कैंसर के लिए महामारी विज्ञान विशेषताओं, नैदानिक और इमेजिंग अभिव्यक्तियों, रोग संबंधी निष्कर्षों, आईएचसी विशेषताओं, आणविक तंत्र और उपप्रकारों, रोग का निदान और उपचार रणनीतियों के बारे में आठ सिफारिशें प्रदान करेगा.

कैंसर से कैसे बचा जा सकता है : डॉ सिद्दीकी ने जनता से अपील करते हुए कहा, के कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बचने के लिए हमें अपने जीवन शैली और खान-पान को बदलना होगा. पश्चिमी जीवन शैली को आंख बंद करके फॉलो नहीं करें, हमें बाजारों में बिकने वाले जंक फूड से जितना ज्यादा बच सकते हैं. बचाना होगा और रात को जल्दी सोना और जल्दी उठना होगा. ज्यादा से ज्यादा जैविक भोजन का उपयोग करना होगा.

कोन है डॉ. हिफ्जुर रहमान सिद्दीकी : डॉ. हिफ्जुर रहमान सिद्दीकी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) जूलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, जो पिछले कई वर्षों से लिवर और पोस्टेड कैंसर पर शोध कर रहे हैं. जिनको अब तक 42 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से अवार्ड मिल चुके हैं.

डॉ. सिद्दीकी को एनयूटी कार्सिनोमा के निदान और उपचार की रणनीति पर विश्व विशेषज्ञ सहमति के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है, जो एक दुर्लभ और अत्यधिक आक्रामक घातक बीमारी है जिसका पूर्वानुमान निराशाजनक है और इसका औसत उत्तरजीविता केवल 6-9 महीने है.

42 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से अवार्ड हासिल : डॉ. सिद्दीकी को इससे पहले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से 42 पुरस्कार मान्यताएं मिल चुकी हैं, जिनमें 2010 में सोसाइटी ऑफ बेसिक यूरोलॉजिक रिसर्च, यूएसए से यंग साइंटिस्ट अवार्ड, 2017 में इंडियन एकेडमी ऑफ बायो-मेडिकल साइंसेज से फरहा देबा अवार्ड, 2019 में सोसाइटी ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च से बैंकॉक में इनोवेटिव रिसर्चर ऑफ द ईयर और एएमयू के जूलॉजी विभाग से बेस्ट टीचर अवार्ड-2018 शामिल हैं. उन्हें प्रतिष्ठित सर सैयद इनोवेशन अवार्ड-आउटस्टैंडिंग रिसर्चर ऑफ द ईयर 2022 से भी सम्मानित किया गया और थेरेपी-प्रतिरोधी कैंसर पर उनके काम को 2014 में यूएसए के रक्षा विभाग द्वारा तीन “फीचर्ड प्रोस्टेट कैंसर रिसर्च” कार्यों में से एक के रूप में चुना गया.

डॉ सिद्दीकी विश्व के 101 साइंटिस्ट में हुए शामिल : डॉ. सिद्दीकी अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, इटली, स्वीडन, पुर्तगाल, स्पेन, ग्रीस, ऑस्ट्रिया, सिंगापुर, मिस्र और रूस सहित विभिन्न देशों के 101 वैज्ञानिकों के साथ एनयूटी कार्सिनोमा पर काम करने वाले एकमात्र भारतीय हैं.

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