नई दिल्ली: दिल्ली के रानी खेड़ा के प्रेम नगर इलाके में दो लड़कों की खाली प्लॉट में भरे पानी में दो बच्चों को डूबने से बचाने के दौरान मौत हो गई थी. इस हादसे वाली जमीन को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की लापरवाही बताते हुए उसके कब्जे की जमीन बताया जा रहा था. इस तरह के आरोपों के बीच अब डीडीए ने अपना रूख साफ करते हुए कहा है कि हादसे वाली जगह विकास प्राधिकरण की नहीं है. इसको साल 2007 में ही डीडीए ने दिल्ली सरकार के दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (DSIIDC) को ट्रांसफर कर दिया था.
दिल्ली विकास प्राधिकरण के प्रवक्ता के मुताबिक रानी खेड़ा, प्रेम नगर की जिस खाली जमीन पर यह हादसा हुआ है, वह घटना बेहद ही दु:खद और दर्दनाक है. डीडीए ने इस घटना पर गहरी संवेदना भी जताई है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि जिस खाली जमीन पर जहां यह घटना घटित हुई है, उसको डीडीए के होने का दावा किया जा रहा है. डीडीए ने स्पष्ट किया है कि यह जमीन डीएसआईआईडीसी के कब्जे वाली लैंड है. इस जमीन को डीडीए ने साल 2007 में डीएसआईआईडीसी को सौंप दिया था.
खुले नाले में गिरने से मां-बेटा की हुई थी मौत
गौरतलब है कि पिछले दिनों भी खोड़ा कालोनी के पास गाजीपुर में एक खुले नाले में एक महिला और उसके मासूम बेटे की बारिश के दौरान हुए जल भराव की वजह से उसका पता नहीं चलने पर ड्रेन में गिरने से मौत हो गई थी. इस मामले में ड्रेन के डीडीए के कब्जे वाला होने के आरोप लग रहे थे और उसकी मौत की वजह भी डीडीए की लापरवाही बतायी गई. डीडीए और एमसीडी के बीच भी इसको लेकर तनातनी रही है.
डीडीए ने भी इस मामले पर स्पष्ट किया था कि 1350 मीटर के गाजीपुर के हिस्से वाली ड्रेन में से 1000 मीटर के हिस्से को एमसीडी को हैंडओवर कर दिया गया था, उसके पास सिर्फ 350 मीटर का हिस्सा ही था जोकि कवर्ड है. अब जब यह मामला अभी शांत नहीं हुआ कि एक और नया मामला दो बच्चों की डूबने की मौत का सामने आया है. इस हादसे पर भी डीडीए की लैंड होने के आरोप लग रहे हैं और उसकी लापरवाही बतायी जा रही है. मृतक दोनों बच्चों की पहचान प्रेम नगर के अग्र नगर इलाके के दिव्यांश और मयंक के रूप में की गई जिनकी उम्र तकरीबन 16 से 17 साल के करीब बताई जा रही है.
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