महासमुंद : पानी की किल्लत से जूझ रहे बसना क्षेत्र के ग्रामीण अब पीएचई विभाग के चक्कर काटने को मजबूर हो गए हैं. सिस्टम की लापरवाही का नतीजा ये है कि महिलाएं घर छोड़कर सरकारी दफ्तर के बाहर बैठकर प्रदर्शन कर रही हैं.पानी नहीं मिलने से गांव में परिवारों का बुरा हाल है.
तालाब का गंदा पानी पी रहे ग्रामीण : आपको बता दें कि बसना जनपद क्षेत्र अंतर्गत सलखंड गांव के ग्रामीणों ने पीएचई विभाग से शुद्ध पानी मुहैया कराने की मांग की हैं. यहां के ग्रामीणों को तालाब का दूषित पानी पीकर जीवन गुजारना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों से साफ पानी देने के लिए गुहार भी लगाई है. लेकिन अब तक विभाग के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है.
पहले भी ग्रामीणों को मिला था आश्वासन : ग्रामीणों की माने तो 6 महीने पहले ही अधिकारीयों ने आश्वासन दिया था. लेकिन आज तक पानी की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.सलखंड ग्राम के ग्रामीण और जनपद सदस्य ने बताया कि वार्ड नंबर 9 और 10 में पानी की बहुत किल्लत है.
लगभग 300 से 400 लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा हैं.तालाब का दूषित पानी पीने को सब मजबूर हैं. अधिकारियों के पास जब भी जाते हैं तो वो काम कर देने की बात करते हैं..लेकिन फिर मामला ठंडा बस्ता में डाल देते हैं -लीला बाई,ग्रामीण
वहीं पीएचई विभाग के अफसर खिलेश्वर साहू ने एक बार फिर से आश्वासन का झुनझुना ग्रामीणों को पकड़ाया है.अधिकारी की माने तो जल्द ही पानी की समस्या को दूर कर दिया जाएगा.
ग्रामीण आज पानी की समस्या को लेकर आए थे..उन्हें 7 दिन के भीतर बोर खनन करवाने का आश्वासन दिया गया हैं.जल्द ही समस्या दूर कर दी जाएगी- खिलेश्वर, एसडीओ, पीएचई
आपको बता दें कि ग्रामीणों को तालाब का पानी पीकर अपना जीवन गुजारना पड़ रहा है.ऐसे में यदि पानी से बीमारियां फैली तो पूरा गांव चपेट में आ सकता है.तब स्थिति और भी ज्यादा भयावह होगी.क्योंकि एक दो परिवार नहीं बल्कि पूरा गांव ही गंदा पानी पी रहा है.छह महीने पहले दिया गया आश्वासन अब तक पूरा नहीं किया गया है.ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने इस बार उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो स्थिति बिगड़ सकती है.
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