भोपाल। मध्य प्रदेश में गर्मी बढ़ रही है. लू के थपेड़े झुलसाने वाले हैं और इसके साथ ही कई हिस्सों में जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है. सरकार की ओर से इन हालातों से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं, बारिश के पानी को सहेजने की तैयारी भी है.
ये जिले जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित, बोरिंग पर लगी रोक
मध्य प्रदेश के कई इलाके ऐसे हैं, जिन्हें गर्मी के मौसम में खासकर मई और जून माह में पानी के संकट से जूझना होता है. इस बार भी धीरे-धीरे जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है. जल संकट को दूर करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. उसी क्रम में सतना, मैहर, मऊगंज, कटनी, जबलपुर, छतरपुर, सिंगरौली सहित लगभग एक दर्जन जिलों को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जा चुका है. इन स्थानों पर नलकूप के लिए बोरिंग करने और पानी के दुरुपयोग पर पूरी तरह रोक लगी हुई है.
5 रुपये में मिले वाला केन 40 रुपये तक में मिल रहा
राज्य के कई हिस्सों में बढ़ते जल संकट को कुछ इस तरह समझा जा सकता है कि यहां 16 लीटर का घरेलू उपयोग के लिए पानी का केन पांच रुपए में मिल रहा है, वहीं इतनी ही मात्रा में पेयजल 30 से 40 रुपए में मिलने लगा है. गर्मी बढ़ने के साथ पानी की भी मांग बढ़ी है. पीने के अलावा कूलर आदि में भी ज्यादा मात्रा में पानी का उपयोग हो रहा है.
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राज्य में बढ़ती गर्मी की स्थिति पर गौर किया जाए तो पारा 47 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है. वहीं राज्य के अधिकांश हिस्सों में लू का भी कहर बना हुआ है. बढ़ती गर्मी के चलते बीमारियों के भी पैर पसारने की आशंका सताने लगी है. गर्मी और लू के कारण भी कई लोग बीमार पड़ चुके हैं. वहीं, मौत तक होने की बात सामने आ रही है. इतना ही नहीं, अधिकांश हिस्सों के जल स्रोतों में भी पानी बहुत कम बचा है. कई इलाकों से तो जल स्रोत सूख चुके हैं और वो खुले मैदान में बदल गए हैं. राज्य में लोगों को पानी की समस्या से दो-चार न होना पड़े, इसके लिए राज्य सरकार की ओर से भी कदम उठाए जा रहे हैं.
5 जून से प्रदेश में जल संरक्षण के लिए विशेष अभियान
पेयजल की आपूर्ति बगैर किसी बाधा के जारी रखने के प्रयास किए गए हैं, वहीं नगरीय निकायों और पंचायत को आमजन की जरूरत का ख्याल रखने की हिदायत दी गई है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आगामी 5 जून से प्रदेश में जल संरक्षण के लिए विशेष अभियान चलाने का ऐलान किया है. इस अभियान के दौरान जल स्रोतों का संरक्षण किया जाएगा और उनमें बरसात का ज्यादा से ज्यादा पानी पहुंचे, इसके भी प्रयास किए जाएंगे.