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घना को मिली 'संजीवनी'...पांचना का पानी यहां के लिए है अमृत, बढ़ जाएगी प्रवासी पक्षियों की संख्या - Keoladeo National Park

लंबे इंतजार के बाद पांचना बांध का पानी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पहुंच गया है. उद्यान प्रशासन की ओर से किए गए फिश सैंपलिंग में ये बात सामने आई है कि पानी में पक्षियों के लिए घना तक भरपूर मात्रा में भोजन पहुंच रहा है.

घना पहुंचा पांचना बांध का पानी
घना पहुंचा पांचना बांध का पानी (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 20, 2024, 5:46 PM IST

घना पहुंचा पांचना बांध का पानी (ETV Bharat GFX)

भरतपुर : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए एक करौली जिले के पांचना बांध का पानी अमृत के समान है. इस बात का खुलासा हाल ही में उद्यान प्रशासन की ओर से किए गए फिश सैंपलिंग में हुआ. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पक्षियों के लिए पांचना बांध के पानी में भरपूर मात्रा में मछलियां और अन्य जरूरी भोजन पहुंचता है. जब उद्यान प्रशासन ने हाल ही में पांचना के पानी की फिश सैंपलिंग की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. घना के पक्षियों के लिए ही नहीं बल्कि घना की वनस्पतियों, पेड़ पौधों के लिए भी पांचना का पानी संजीवनी का काम करता है. आइए जानते हैं कि पांचना का पानी कैसे महत्वपूर्ण है.

एक मिनट में 450 से अधिक मछली : उद्यान के डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि इस बार घना को पांचना बांध का पानी मिल रहा है. इसकी जब फिश सैंपलिंग की गई तो पानी के साथ एक मिनट में 450 से अधिक मछलियां घना में पहुंच रही थीं. इतना ही नहीं घना में मौजूद 8 प्रजाति की मछलियां के अलावा पानी में 13 प्रजाति की मछलियों की भी मौजूदगी पाई गई है, जो कि बहुत ही आश्चर्यजन बात है.

इसे भी पढ़ें- पांचना बांध के पानी के साथ ही घना में पहुंचे 500 पेंटेड स्टॉर्क, भरपूर भोजन से बढ़ेगी पक्षियों की संख्या - Keoladeo National Park

बढ़ जाएगी पक्षियों की संख्या : डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि पानी में बड़ी मात्रा में मछलियों के साथ ही मछलियों के सीड भी पहुंच रहे हैं, जो कि आगे चलकर मछली बनेंगे. पानी में आ रही मछली, जलीय वनस्पति पक्षियों को बहुत पसंद हैं और वो बड़े चाव से इसे खाते हैं. इसलिए इस बार पांचना का पानी मिला है तो निश्चित रूप से घना में प्रवासी पक्षियों की संख्या में भी इजाफा होगा.

पांचना बांध का पानी
पक्षियों के लिए पानी में भरपूर भोजन (ETV Bharat GFX)

हानिकारक झाड़ियों को करता है नष्ट : डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि घना में पांचना बांध का पानी वेट लैंड के अलावा ग्रास लैंड आदि के लिए भी जरूरी है. उद्यान के अलग अलग भागों में हानिकारक झाड़ियों, पेड़ पौधे जैसे कि कांग्रेस घास व जूली फ्लोरा तेजी से फैल रहा है. यदि इन क्षेत्रों में पांचना का पानी भर दिया जाए तो सभी नष्ट हो जाएंगी और उद्यान में उपयोगी वनस्पति व पेड़ पौधे उग सकेंगे, जिन पर कई प्रकार के पक्षी नेस्टिंग कर सकते हैं.

कदंब, शीशम को बनाता है रोगमुक्त : डीएफओ मानस ने बताया कि पांचना बांध का पानी यहां के स्थानीय प्रजाति के पेड़ पौधों के लिए भी जीवनदाई सिद्ध होता है. पांचना बांध के पानी से कदंब, शीशम आदि पेड़ों में दीमक व अन्य तमाम तरह के रोग लगने से बचाया जा सकता है. इससे पेड़ों के वृद्धि अच्छी होगी और उनका जीवनकाल भी बढ़ेगा.

इसे भी पढ़ें- घना से उड़े मानसून दूत, भोजन के अभाव में 70% ओपन बिल स्टॉर्क ने किया पलायन - Openbill Stork Migrated

गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को एक पर्यटन सीजन में करीब 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है, लेकिन बीते दो दशक से भी ज्यादा वक्त से घना को उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल पा रहा था. यहां तक कि पांचना बांध का पानी तो अच्छी बरसात में बांध ओवरफ्लो होने पर ही कई साल बाद मिल पाता है, यदि उद्यान को नियमित रूप से हर साल पांचना बांध का पानी मिलना शुरू हो जाए, तो घना फिर से गुलजार हो सकता है. यहां से मुंह मोड़ चुके कई प्रजाति के पक्षी यहां फिर से आना शुरू कर सकते हैं, क्योंकि दुनियाभर में भरतपुर की पहचान केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की वजह से ही है. घना की वजह से ही हर साल शहर को करीब 80-90 करोड़ की आय होती है.

घना पहुंचा पांचना बांध का पानी (ETV Bharat GFX)

भरतपुर : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए एक करौली जिले के पांचना बांध का पानी अमृत के समान है. इस बात का खुलासा हाल ही में उद्यान प्रशासन की ओर से किए गए फिश सैंपलिंग में हुआ. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पक्षियों के लिए पांचना बांध के पानी में भरपूर मात्रा में मछलियां और अन्य जरूरी भोजन पहुंचता है. जब उद्यान प्रशासन ने हाल ही में पांचना के पानी की फिश सैंपलिंग की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. घना के पक्षियों के लिए ही नहीं बल्कि घना की वनस्पतियों, पेड़ पौधों के लिए भी पांचना का पानी संजीवनी का काम करता है. आइए जानते हैं कि पांचना का पानी कैसे महत्वपूर्ण है.

एक मिनट में 450 से अधिक मछली : उद्यान के डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि इस बार घना को पांचना बांध का पानी मिल रहा है. इसकी जब फिश सैंपलिंग की गई तो पानी के साथ एक मिनट में 450 से अधिक मछलियां घना में पहुंच रही थीं. इतना ही नहीं घना में मौजूद 8 प्रजाति की मछलियां के अलावा पानी में 13 प्रजाति की मछलियों की भी मौजूदगी पाई गई है, जो कि बहुत ही आश्चर्यजन बात है.

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बढ़ जाएगी पक्षियों की संख्या : डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि पानी में बड़ी मात्रा में मछलियों के साथ ही मछलियों के सीड भी पहुंच रहे हैं, जो कि आगे चलकर मछली बनेंगे. पानी में आ रही मछली, जलीय वनस्पति पक्षियों को बहुत पसंद हैं और वो बड़े चाव से इसे खाते हैं. इसलिए इस बार पांचना का पानी मिला है तो निश्चित रूप से घना में प्रवासी पक्षियों की संख्या में भी इजाफा होगा.

पांचना बांध का पानी
पक्षियों के लिए पानी में भरपूर भोजन (ETV Bharat GFX)

हानिकारक झाड़ियों को करता है नष्ट : डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि घना में पांचना बांध का पानी वेट लैंड के अलावा ग्रास लैंड आदि के लिए भी जरूरी है. उद्यान के अलग अलग भागों में हानिकारक झाड़ियों, पेड़ पौधे जैसे कि कांग्रेस घास व जूली फ्लोरा तेजी से फैल रहा है. यदि इन क्षेत्रों में पांचना का पानी भर दिया जाए तो सभी नष्ट हो जाएंगी और उद्यान में उपयोगी वनस्पति व पेड़ पौधे उग सकेंगे, जिन पर कई प्रकार के पक्षी नेस्टिंग कर सकते हैं.

कदंब, शीशम को बनाता है रोगमुक्त : डीएफओ मानस ने बताया कि पांचना बांध का पानी यहां के स्थानीय प्रजाति के पेड़ पौधों के लिए भी जीवनदाई सिद्ध होता है. पांचना बांध के पानी से कदंब, शीशम आदि पेड़ों में दीमक व अन्य तमाम तरह के रोग लगने से बचाया जा सकता है. इससे पेड़ों के वृद्धि अच्छी होगी और उनका जीवनकाल भी बढ़ेगा.

इसे भी पढ़ें- घना से उड़े मानसून दूत, भोजन के अभाव में 70% ओपन बिल स्टॉर्क ने किया पलायन - Openbill Stork Migrated

गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को एक पर्यटन सीजन में करीब 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है, लेकिन बीते दो दशक से भी ज्यादा वक्त से घना को उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल पा रहा था. यहां तक कि पांचना बांध का पानी तो अच्छी बरसात में बांध ओवरफ्लो होने पर ही कई साल बाद मिल पाता है, यदि उद्यान को नियमित रूप से हर साल पांचना बांध का पानी मिलना शुरू हो जाए, तो घना फिर से गुलजार हो सकता है. यहां से मुंह मोड़ चुके कई प्रजाति के पक्षी यहां फिर से आना शुरू कर सकते हैं, क्योंकि दुनियाभर में भरतपुर की पहचान केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की वजह से ही है. घना की वजह से ही हर साल शहर को करीब 80-90 करोड़ की आय होती है.

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