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कोरबा में राखड़ बांध से घुसा खेतों में पानी, धान रोपने से पहले थरहा हुआ बर्बाद, एनटीपीसी करेगी भरपाई - Rakhad dam broke in Korba

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 2, 2024, 10:56 PM IST

देर से आए मॉनसून के चलते किसान पहले से ही परेशान थे. इसी बीच ऊर्जा धानी कोरबा में राखड़ बांध टूटने से किसानों की कमर टूट गई है. किसान धान रोपने की तैयारी में जुटे थे तभी बांध का पानी खेतों में भर गया. हफ्तों की मेहनत मिनटों में बर्बाद हो गई.

Rakhad dam broke in Korba
एनटीपीसी करेगी भरपाई (ETV Bharat)

कोरबा: ऊर्जाधानी कोरबा में पैदा होने वाली बिजली से राज्य और देश रौशन होता है. लेकिन इसकी कीमत कई बार यहां के किसानों को चुकानी पड़ती है. कोरबा जिले में कोयला आधारित पावर प्लांट स्थापित हैं जिनकी संख्या एक दर्जन है. एनटीपीसी के 2600 मेगावाट की यूनिट भी कोरबा में मौजूद है. बिजली पैदा होने की प्रक्रिया में कोयला जलने के बाद बड़े पैमाने पर राख उत्सर्जित होता है. इस राख को राखड़ डैम में छोड़ जाता है. किसी भी पावर प्लांट प्रबंधन के लिए राख का यूटिलाइजेशन बड़ा सिरदर्द रहता है. एनटीपीसी पावर प्लांट, कोरबा का राखड़ बांध गांव धनरास में स्थापित है. गर्मी में यहां के किसान इस राखड़ बांध से उड़ने वाले राख से परेशान रहते हैं. बरसात में इसी राखड़ बांध का पानी उनके उनके खेतों को बर्बाद करता है. एक दिन पहले भी ऐसा ही हुआ, जिले में हुई तेज बारिश के बाद एनटीपीसी का धनराज राखड़ बांध छलक उठा.

एनटीपीसी करेगी भरपाई (ETV Bharat)


राखड़ बांध टूटा, किसानों के खेत हुए बर्बाद: ग्रामीणों का आरोप है कि राखड़ बांध का तटबंध टूट गया और राख युक्त दूषित पानी उनके खेतों में चला गया. जिससे बड़ी तादाद में खेत में लगा थरहा बर्बाद हुआ है. एनटीपीसी प्रबंधन की मानें तो भारी बरसात के बाद ज्यादा मात्रा में पानी राखड़ बांध में जमा हो गया था. ज्यादा क्षति न पहुंचे इसलिए निर्धारित मार्ग से पानी को निकाला गया. इसी दौरान कुछ राख वाला पानी किसानों के खेत में गया है.

40 एकड़ खेत में घुसा रखड़ युक्त पानी: ग्राम धनरास में एनटीपीसी के बनाए राखड़ बांध से लगभग 40 एकड़ खेतों मे लगी धान की फसल चौपट हो गई है. किसानों का आरोप है कि राखड बांध में अतिरिक्त राखड़ युक्त पानी भरने से बांध को बचाने के लिए एनटीपीसी प्रबंधन ने जानबूझकर राखड़ में भरा पानी खेतों में बहाया है. इसके पहले साल 2021 में भी इसी तरह किसानों को भारी नुकसान हुआ था. जिसकी क्षतिपूर्ति राशि एनटीपीसी द्वारा दिये जाने की बात कही गई थी. चार साल बीत जाने के बाद भी क्षतिपूर्ति राशि नहीं दी गई है. किसान आक्रोशित हैं और क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं.


''एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा जानबूझकर राख हमारे खेतों में बहाया गया है. रात के वक्त एनटीपीसी के अधिकारी वहां मौजूद थे. इसी तरह पूर्व में भी कई बार हमारे खेतों में राख भर चुका है और खेत बर्बाद हो चुके हैं. जिसका मुआवजा आज तक नहीं मिला है. राखड़ बांध हमेशा मुसीबत लेकर आता है. गांव के किसान काफी आक्रोशित हैं. यही कारण है कि किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है. राख बहने के बाद अब मैं साल भर फसल नहीं ले पाऊंगा.'' - राजू सिंह कंवर, किसान, धनरास



''जब गर्मी का मौसम होता है तब एनटीपीसी प्रबंधन के अधिकारी राखड़ बांध का रखरखाव नहीं करते. बांध जब ओवरफ्लो हो जाए, तब जल निकासी के लिए पाइपलाइन बनाया गया है. लेकिन वह पूरी तरह से चोक है, जाम है. गर्मियों में ही यदि रखरखाव और मेंटेनेंस की ओर ध्यान दिया गया होता तो आधी रात को राखड़ बांध से पानी बहाने की जरूरत नहीं पड़ती और किसानों के खेत बर्बाद होने से बच जाते''. - लक्ष्मीकांत, किसान, धनरास



धनरास राखड़ तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है. धनरास राखड़ तटबंध की ऊंचाई बढ़ाने हेतु अनुमति छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल से ली जा चुकी है. कार्य उस अनुमति और मानको के आधार पर ही किए जाते रहे हैं. राखड़ बांध की नियमित पेट्रोलिंग की जाती है. जिले में हुई भारी वर्षा के बावजूद तत्काल उचित कार्रवाई करके बड़ी क्षति को रोका गया है. अत्यधिक वर्षा से पैदा हुई आपातकाल की स्थिति में राख बांध को क्षति से बचाने के लिए पुनर्निर्धारित मार्ग से अधिकारियों की निगरानी में पानी को निकाला गया है. जिसका कुछ हिस्सा नीचे मौजूद ग्रामीणों के खेतों में भी गया है. घटना के समय भी राखड़ बांध में एनटीपीसी के सभी छः अधिकारी मौजूद थे. किसानों को हुए नुकसान की भरपाई भी की जाएगी. जिसके लिए एनटीपीसी प्रतिबद्ध है. - ऊष्मा घोष, जनसंपर्क अधिकारी, एनटीपीसी



किसानों को अब मुआवजे का इंतजार: एनटीपीसी के अधिकारियों का जरुर ये दावा है कि जिन किसानों का नुकसान हुआ है उनको हर्जाना दिया जाएगा. इधर किसानों का पहले से ही ये आरोप रहा है कि पूर्व में इसी तरह की जो घटनाएं हुई उसका मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया है.

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कोरबा: ऊर्जाधानी कोरबा में पैदा होने वाली बिजली से राज्य और देश रौशन होता है. लेकिन इसकी कीमत कई बार यहां के किसानों को चुकानी पड़ती है. कोरबा जिले में कोयला आधारित पावर प्लांट स्थापित हैं जिनकी संख्या एक दर्जन है. एनटीपीसी के 2600 मेगावाट की यूनिट भी कोरबा में मौजूद है. बिजली पैदा होने की प्रक्रिया में कोयला जलने के बाद बड़े पैमाने पर राख उत्सर्जित होता है. इस राख को राखड़ डैम में छोड़ जाता है. किसी भी पावर प्लांट प्रबंधन के लिए राख का यूटिलाइजेशन बड़ा सिरदर्द रहता है. एनटीपीसी पावर प्लांट, कोरबा का राखड़ बांध गांव धनरास में स्थापित है. गर्मी में यहां के किसान इस राखड़ बांध से उड़ने वाले राख से परेशान रहते हैं. बरसात में इसी राखड़ बांध का पानी उनके उनके खेतों को बर्बाद करता है. एक दिन पहले भी ऐसा ही हुआ, जिले में हुई तेज बारिश के बाद एनटीपीसी का धनराज राखड़ बांध छलक उठा.

एनटीपीसी करेगी भरपाई (ETV Bharat)


राखड़ बांध टूटा, किसानों के खेत हुए बर्बाद: ग्रामीणों का आरोप है कि राखड़ बांध का तटबंध टूट गया और राख युक्त दूषित पानी उनके खेतों में चला गया. जिससे बड़ी तादाद में खेत में लगा थरहा बर्बाद हुआ है. एनटीपीसी प्रबंधन की मानें तो भारी बरसात के बाद ज्यादा मात्रा में पानी राखड़ बांध में जमा हो गया था. ज्यादा क्षति न पहुंचे इसलिए निर्धारित मार्ग से पानी को निकाला गया. इसी दौरान कुछ राख वाला पानी किसानों के खेत में गया है.

40 एकड़ खेत में घुसा रखड़ युक्त पानी: ग्राम धनरास में एनटीपीसी के बनाए राखड़ बांध से लगभग 40 एकड़ खेतों मे लगी धान की फसल चौपट हो गई है. किसानों का आरोप है कि राखड बांध में अतिरिक्त राखड़ युक्त पानी भरने से बांध को बचाने के लिए एनटीपीसी प्रबंधन ने जानबूझकर राखड़ में भरा पानी खेतों में बहाया है. इसके पहले साल 2021 में भी इसी तरह किसानों को भारी नुकसान हुआ था. जिसकी क्षतिपूर्ति राशि एनटीपीसी द्वारा दिये जाने की बात कही गई थी. चार साल बीत जाने के बाद भी क्षतिपूर्ति राशि नहीं दी गई है. किसान आक्रोशित हैं और क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं.


''एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा जानबूझकर राख हमारे खेतों में बहाया गया है. रात के वक्त एनटीपीसी के अधिकारी वहां मौजूद थे. इसी तरह पूर्व में भी कई बार हमारे खेतों में राख भर चुका है और खेत बर्बाद हो चुके हैं. जिसका मुआवजा आज तक नहीं मिला है. राखड़ बांध हमेशा मुसीबत लेकर आता है. गांव के किसान काफी आक्रोशित हैं. यही कारण है कि किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है. राख बहने के बाद अब मैं साल भर फसल नहीं ले पाऊंगा.'' - राजू सिंह कंवर, किसान, धनरास



''जब गर्मी का मौसम होता है तब एनटीपीसी प्रबंधन के अधिकारी राखड़ बांध का रखरखाव नहीं करते. बांध जब ओवरफ्लो हो जाए, तब जल निकासी के लिए पाइपलाइन बनाया गया है. लेकिन वह पूरी तरह से चोक है, जाम है. गर्मियों में ही यदि रखरखाव और मेंटेनेंस की ओर ध्यान दिया गया होता तो आधी रात को राखड़ बांध से पानी बहाने की जरूरत नहीं पड़ती और किसानों के खेत बर्बाद होने से बच जाते''. - लक्ष्मीकांत, किसान, धनरास



धनरास राखड़ तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है. धनरास राखड़ तटबंध की ऊंचाई बढ़ाने हेतु अनुमति छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल से ली जा चुकी है. कार्य उस अनुमति और मानको के आधार पर ही किए जाते रहे हैं. राखड़ बांध की नियमित पेट्रोलिंग की जाती है. जिले में हुई भारी वर्षा के बावजूद तत्काल उचित कार्रवाई करके बड़ी क्षति को रोका गया है. अत्यधिक वर्षा से पैदा हुई आपातकाल की स्थिति में राख बांध को क्षति से बचाने के लिए पुनर्निर्धारित मार्ग से अधिकारियों की निगरानी में पानी को निकाला गया है. जिसका कुछ हिस्सा नीचे मौजूद ग्रामीणों के खेतों में भी गया है. घटना के समय भी राखड़ बांध में एनटीपीसी के सभी छः अधिकारी मौजूद थे. किसानों को हुए नुकसान की भरपाई भी की जाएगी. जिसके लिए एनटीपीसी प्रतिबद्ध है. - ऊष्मा घोष, जनसंपर्क अधिकारी, एनटीपीसी



किसानों को अब मुआवजे का इंतजार: एनटीपीसी के अधिकारियों का जरुर ये दावा है कि जिन किसानों का नुकसान हुआ है उनको हर्जाना दिया जाएगा. इधर किसानों का पहले से ही ये आरोप रहा है कि पूर्व में इसी तरह की जो घटनाएं हुई उसका मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया है.

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