रांची: झारखंड की राजधानी रांची को प्रकृति का खास आशीर्वाद मिला हुआ है. पहाड़, जंगल, झाड़ियां, झरने, कुएं जैसे रांची को कई प्राकृतिक उपहार मिले हैं. इन सब के बीच राजधानी के वार्ड नंबर 7 में एक ऐसा ही प्राकृतिक उपहार देखने को मिला. जहां जमीन के अंदर से पानी रिसता रहता है.
दरअसल, खेलगांव परिसर से महज 100 मीटर की दूरी पर एक कुआं है. जहां महज एक से डेढ़ फीट की गहराई पर पानी निकलता रहता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि लोग इस पानी को आसानी से निकालकर पी लेते हैं. यह पानी बेहद ठंडा और स्वच्छ होता है.
आपको बता दें कि इस इलाके में पानी की भारी कमी है. अगर कोई मोटर लगाता है तो उसे पानी के लिए 400 से 500 फीट तक बोरिंग करवानी पड़ती है. ऐसे इलाके में यह कुआं लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस कुएं की गहराई महज एक से डेढ़ फीट है और इसमें से 24 घंटे पानी निकलता रहता है. कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां भगवान का वास है. इसलिए लोगों के लिए 24 घंटे पानी निकलता रहता है. भले ही यह लोग कुछ भी कहें, लेकिन यह सच है कि आसपास के इलाके में जहां लोग पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं इस जगह पर जमीन के अंदर से अपने आप पानी निकल रहा है.
खेलगांव परिसर के बगल में जमीन के अंदर से पानी निकलने के बारे में जब हमने रांची विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर और भूविज्ञानी नीतीश प्रियदर्शी से बात की, तो उन्होंने बताया कि झारखंड जैसे राज्य में पानी के ऐसे स्रोत को चुआं या दाढ़ी भी कहा जाता है. क्योंकि यहां पानी का स्रोत जमीन के अंदर पत्थरों के माध्यम से बनता है. जब पत्थर में दरार आती है, तो पानी निकलने लगता है.
भूगर्भशास्त्री नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि खेलगांव परिसर के बगल में जमीन के नीचे से पानी का स्रोत पत्थरों के माध्यम से बनता है, क्योंकि रांची की जमीन के नीचे पत्थर ज्यादा हैं और वही पत्थर आपस में जुड़कर जमीन से बाहर निकलते हैं. इसी पत्थर से रिसकर पानी भी निकलता है.
प्राकृतिक रूप से बना यह चुआं खुले मैदान के पास है. जिसके कारण बाहर से आने वाली धूल पानी की ऊपरी सतह पर जम जाती है. स्थानीय लोग पानी पर जमी धूल को हटाकर आसानी से उस पानी को पी लेते हैं.
हालांकि पानी की शुद्धता को लेकर भूगर्भशास्त्रियों ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए. क्योंकि खुले में जमीन से निकलने वाले पानी के स्रोत को समझना बहुत जरूरी है.
वहीं, नगर निगम की ओर से मौजूद अधिकारियों ने पहले भी इसका निरीक्षण किया था, लेकिन उसके बाद पानी के स्रोत को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई. हालांकि पिछले साल नगर निगम की ओर से चुआं (कुआं) से थोड़ी दूर पर दो हजार लीटर की टंकी लगाई गई है, लेकिन आज भी लोग चुआं के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं.
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