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वेटिंग से स्लीपर में सफर बंद, कितना जुर्माना, क्या छूट मिल सकती; पढ़िए रेलवे का नया नियम - waiting ticket new rules

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 28, 2024, 10:04 AM IST

Updated : Aug 1, 2024, 12:43 PM IST

रेलवे की ओर से वेटिंग टिकट पर स्लीपर कोच में सफर करने वालों पर अब सख्ती की जा रही है. उनसे जुर्माना वसूलने के साथ ही कोच से उतारा भी जा रहा है. ऐसे में यात्रियों के कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब वे तलाश रहे हैं. चलिए जानते हैं इन सवालों से जुड़ी खास जानकारी के बारे में.

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रेलवे में वेटिंग टिकट से स्लीपर कोच में अब नहीं कर सकेंगे सफर. (photo credit: etv bharat)

लखनऊ: हाल ही में संसद में यह मुद्दा उठा था कि ट्रेनों में कंफर्म सीट मिलती ही नहीं. वेटिंग टिकट वाले यात्री किसी भी कोच में जबरन भर जाते हैं ऐसे में जिनकी सीट कंफर्म भी होती है उन्हें भी यात्रा करने में दिक्कत होती है. रोज ट्रेनों में कंफर्म टिकट वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. रेलवे प्रशासन को हर रोज ऐसी शिकायतें मिल रही हैं. संसद में मुद्दा गरमाने के बाद अब रेलवे प्रशासन हरकत में आ गया है. ऐसे में अब वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर कोच में सफर करने वाले सावधान हो जाएं. अब वह वेटिंग टिकट से स्लीपर में सफर नहीं कर सकते हैं. रेलवे की ओर से इस पर सख्ती शुरू कर दी गई है. जुर्माना लगाने के साथ ही जनरल कोच में भी शिफ्ट किया जा रहा है. वहीं, वेटिंग टिकट से जुड़े कुछ सवालों के जवाब भी यात्री खोज रहे हैं. आपको बता दें कि रेलवे का यह रूल नया नहीं है. यह रूल अंग्रेजों के जमाने से चला रहा आ रहा है, बस इसका पालन अब सख्ती से शुरू हो गया है.

अब विंडो वेटिंग टिकट से नहीं कर सकेंगे स्लीपर में सफर
अगर यात्री ने ऑनलाइन वेटिंग टिकट लिया है तो कन्फर्म न होने पर ऑटोमेटिक टिकट कैंसिल हो जाता है और पैसा रिफंड हो जाता है, लेकिन अभी तक लोगों को यही लगता है कि विंडो से अगर वेटिंग टिकट भी ले लेते हैं तो भी ट्रेन के स्लीपर कोच में यात्रा के हकदार हो जाते हैं. वास्तविकता में ऐसा है बिल्कुल नहीं. रेलवे ने फिर कंफर्म किया है कि विंडो का वेटिंग टिकट भी स्लीपर कोच में यात्रा की अनुमति नहीं देता है. इस टिकट से जनरल कोच में ही सफर किया जा सकता है. ऐसे में अगर किसी ने वेटिंग टिकट लेकर ट्रेन के शयनयान कोच में सफर किया तो वह सजा का हकदार होगा.

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कितना भरना पड़ सकता जुर्माना. (photo credit: etv bharat gfx)


रेलवे कितना जुर्माना लगा सकता?
रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि चेकिंग के दौरान टीटीई यात्रा की दूरी का जुर्माना वसूल सकता है और इसके साथ ही अगर वेटिंग टिकट लेकर यात्री स्लीपर कोच में सफर कर रहा है तो उसे जनरल कोच में भेज सकता है, क्योंकि यह टिकट जनरल कोच में ही सफर की इजाजत देता है. उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि लगातार जीआरपी और आरपीएफ की गश्त ट्रेनों में बढ़ाई गई है जिससे वेटिंग टिकट वाले यात्री कंफर्म टिकट वाले यात्रियों के लिए परेशानी का सबब न बनने पाएं.

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रेलवे की ओर से कितने वेटिंग टिकट होते जारी. (photo credit: etv bharat gfx)


आखिर बड़ी संख्या में क्यों जारी होते वेटिंग टिकट?
रेलवे के जिम्मेदार बताते हैं कि विभिन्न ट्रेनों में अलग-अलग वेटिंग टिकट बुकिंग की व्यवस्था है. कोच में वेटिंग टिकट इसलिए भी मिलती हैं क्योंकि अगर किसी कंफर्म सीट वाले यात्री ने टिकट कैंसिल कर दी तो फिर रेलवे को घाटा ना हो इसलिए ऐसे यात्रियों को यात्रा करने की सहूलियत दे दी जाती है, इसीलिए रेलवे वेटिंग टिकट भी देता है. हालांकि जब ट्रेन में कंफर्म टिकट धारकों की संख्या सीटों के बराबर होती है तो फिर वेटिंग टिकट धारकों को जनरल कोच में ही यात्रा की परमिशन होती है.

ये भी पढ़ेंः ये भी पढ़ेंः ट्रेन में कौन-कौन कर सकता मुफ्त सफर, रोगियों को कितनी छूट, क्या कहते नियम?

एक सीट कन्फर्म और बाकी वेटिंग तो ये छूट मिल सकती...
रेलवे की जानकार बताते हैं कि विंडो टिकट बना है तो फिर स्लीपर कोच में एक ही पीएनआर पर अगर दो से तीन यात्रियों के टिकट बुक हैं और एक ही सीट कंफर्म है तो भी वेटिंग के यात्री उस यात्री के साथ सफर कर सकते हैं. यात्री अपनी ही सीट पर उसे यात्रा करा सकता है. ऐसे यात्रियों की वेटिंग तभी कंफर्म होती है जब किसी कंफर्म टिकट वाले यात्री ने अपना टिकट कैंसिल कर दिया हो. फिर आरएसी सीट की व्यवस्था होती है. आरएसी का टिकट लेकर यात्री आराम से ट्रेन में कंफर्म सीट पर यात्रा कर सकता है.

एक ट्रेन में कितने वेटिंग टिकट जारी होते?
रेलवे के अलग-अलग जोन में सीटों की निर्धारित संख्या के हिसाब से वेटिंग टिकट देने की व्यवस्था है. साउथ जोन की ट्रेनों में मैक्सिमम 10% तक ही वेटिंग टिकट दिए जाते हैं जबकि नॉर्थ जोन की कई ट्रेनों में तो स्लीपर के जितने कोच होते हैं उतनी सीटों के बराबर ही वेटिंग टिकट भी बुक कर दिए जाते हैं. पुष्पक एक्सप्रेस की बात की जाए तो इसमें पांच स्लीपर कोच लगते हैं और लगभग 360 के करीब कंफर्म टिकट हो सकते हैं, लेकिन इतनी ही वेटिंग टिकट भी दे दी जाती है, इसलिए इस ट्रेन में कंफर्म सीट के यात्रियों को भी वेटिंग से सफर करने वाले यात्रियों के चलते यात्रा में काफी दिक्कत उठानी पड़ती

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रेलवे वेटिंग कम करने के लिए ये करने जा रहा. (photo credit: etv bharat gfx)

वेटिंग को लेकर हो रही अब ये तैयारी
रेलवे बोर्ड को सुझाव दिया गया हैं कि कन्फर्म होने वाले टिकटों से दस फीसदी अधिक ही वेटिंग टिकट जारी किए जाएं. इसके लिए रेलवे एआई तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है. मान लीजिए यदि 44 वेटिंग है तो इसमें 40 टिकट कन्फर्म होने के बाद सिर्फ दस फीसदी टिकट यानी चार ही वेटिंग बचेगी. इससे वेटिंग लिस्ट लंबी नहीं होगी और यात्रियो को परेशान नहीं होना पड़ेगा. बताया जा रहा है कि रेलवे इस पर काफी तेजी से काम कर रहा है. इसे पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम नाम दिया गया है. बताया जा रहा है कि दिसंबर तक इसे रेलवे कुछ मंडलों में लागू करने की तैयारी कर रहा है.

वेटिंग टिकट है और सीट खाली है तब क्या करें...
अगर आपका टिकट वेटिंग में है और स्लीपर में कोई सीट खाली है तो आप सीधे टीटीई से बात करिए. यह सीट आपको मिल जाएगी. आपको इसके लिए आपको किसी भी तरह के अतिरिक्त पैसे देने की जरूरत नहीं है.

वेटिंग अब जनरल में ही यात्रा के लिए मान्य
उत्तर रेलवे की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा का कहना है कि विंडो वेटिंग टिकट सिर्फ जनरल कोच में यात्रा के लिए ही मान्य होती है. अगर यात्री के पास विंडो वेटिंग टिकट है तो वह स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करने के लिए पात्र नहीं होता है. जब आरएसी या कंफर्म सीट हो तभी यात्रा कर सकते हैं. हां यह जरूर है कि अगर एक पीएनआर पर पांच से से छह यात्रियों के टिकट भी हैं और उसमें से अगर एक भी टिकट कंफर्म है तो सभी यात्री कोच में यात्रा कर सकते हैं. वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर कोच में यात्रा करने वाले यात्री कंफर्म सीट वाले यात्रियों के लिए समस्या खड़ी करते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है. आरपीएफ भी ट्रेन में गश्त करती है. वेटिंग यात्री को टीटीई या तो अगले स्टेशन पर उतारता है या फिर उसे जनरल कोच में भेजा जाता है और जुर्माना भी वसूल किया जाता है. यात्रियों से अपील है कि वह वेटिंग टिकट लेकर जनरल कोच में ही यात्रा करें.

ये भी पढ़ेंः यूपी बीजेपी में मची खींचतान को लेकर दिल्ली में हुई बैठक; केंद्रीय नेतृत्व ने जतायी नाराजगी, फीडबैक लेने के बाद दी ये नसीहत

ये भी पढ़ेंः राहुल गांधी ने 24 घंटे के अंदर निभाया वादा, सुल्तानपुर के मोची तक पहुंचाई सिलाई मशीन, चेतराम ने दिए रिटर्न गिफ्ट

लखनऊ: हाल ही में संसद में यह मुद्दा उठा था कि ट्रेनों में कंफर्म सीट मिलती ही नहीं. वेटिंग टिकट वाले यात्री किसी भी कोच में जबरन भर जाते हैं ऐसे में जिनकी सीट कंफर्म भी होती है उन्हें भी यात्रा करने में दिक्कत होती है. रोज ट्रेनों में कंफर्म टिकट वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. रेलवे प्रशासन को हर रोज ऐसी शिकायतें मिल रही हैं. संसद में मुद्दा गरमाने के बाद अब रेलवे प्रशासन हरकत में आ गया है. ऐसे में अब वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर कोच में सफर करने वाले सावधान हो जाएं. अब वह वेटिंग टिकट से स्लीपर में सफर नहीं कर सकते हैं. रेलवे की ओर से इस पर सख्ती शुरू कर दी गई है. जुर्माना लगाने के साथ ही जनरल कोच में भी शिफ्ट किया जा रहा है. वहीं, वेटिंग टिकट से जुड़े कुछ सवालों के जवाब भी यात्री खोज रहे हैं. आपको बता दें कि रेलवे का यह रूल नया नहीं है. यह रूल अंग्रेजों के जमाने से चला रहा आ रहा है, बस इसका पालन अब सख्ती से शुरू हो गया है.

अब विंडो वेटिंग टिकट से नहीं कर सकेंगे स्लीपर में सफर
अगर यात्री ने ऑनलाइन वेटिंग टिकट लिया है तो कन्फर्म न होने पर ऑटोमेटिक टिकट कैंसिल हो जाता है और पैसा रिफंड हो जाता है, लेकिन अभी तक लोगों को यही लगता है कि विंडो से अगर वेटिंग टिकट भी ले लेते हैं तो भी ट्रेन के स्लीपर कोच में यात्रा के हकदार हो जाते हैं. वास्तविकता में ऐसा है बिल्कुल नहीं. रेलवे ने फिर कंफर्म किया है कि विंडो का वेटिंग टिकट भी स्लीपर कोच में यात्रा की अनुमति नहीं देता है. इस टिकट से जनरल कोच में ही सफर किया जा सकता है. ऐसे में अगर किसी ने वेटिंग टिकट लेकर ट्रेन के शयनयान कोच में सफर किया तो वह सजा का हकदार होगा.

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कितना भरना पड़ सकता जुर्माना. (photo credit: etv bharat gfx)


रेलवे कितना जुर्माना लगा सकता?
रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि चेकिंग के दौरान टीटीई यात्रा की दूरी का जुर्माना वसूल सकता है और इसके साथ ही अगर वेटिंग टिकट लेकर यात्री स्लीपर कोच में सफर कर रहा है तो उसे जनरल कोच में भेज सकता है, क्योंकि यह टिकट जनरल कोच में ही सफर की इजाजत देता है. उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि लगातार जीआरपी और आरपीएफ की गश्त ट्रेनों में बढ़ाई गई है जिससे वेटिंग टिकट वाले यात्री कंफर्म टिकट वाले यात्रियों के लिए परेशानी का सबब न बनने पाएं.

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रेलवे की ओर से कितने वेटिंग टिकट होते जारी. (photo credit: etv bharat gfx)


आखिर बड़ी संख्या में क्यों जारी होते वेटिंग टिकट?
रेलवे के जिम्मेदार बताते हैं कि विभिन्न ट्रेनों में अलग-अलग वेटिंग टिकट बुकिंग की व्यवस्था है. कोच में वेटिंग टिकट इसलिए भी मिलती हैं क्योंकि अगर किसी कंफर्म सीट वाले यात्री ने टिकट कैंसिल कर दी तो फिर रेलवे को घाटा ना हो इसलिए ऐसे यात्रियों को यात्रा करने की सहूलियत दे दी जाती है, इसीलिए रेलवे वेटिंग टिकट भी देता है. हालांकि जब ट्रेन में कंफर्म टिकट धारकों की संख्या सीटों के बराबर होती है तो फिर वेटिंग टिकट धारकों को जनरल कोच में ही यात्रा की परमिशन होती है.

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एक सीट कन्फर्म और बाकी वेटिंग तो ये छूट मिल सकती...
रेलवे की जानकार बताते हैं कि विंडो टिकट बना है तो फिर स्लीपर कोच में एक ही पीएनआर पर अगर दो से तीन यात्रियों के टिकट बुक हैं और एक ही सीट कंफर्म है तो भी वेटिंग के यात्री उस यात्री के साथ सफर कर सकते हैं. यात्री अपनी ही सीट पर उसे यात्रा करा सकता है. ऐसे यात्रियों की वेटिंग तभी कंफर्म होती है जब किसी कंफर्म टिकट वाले यात्री ने अपना टिकट कैंसिल कर दिया हो. फिर आरएसी सीट की व्यवस्था होती है. आरएसी का टिकट लेकर यात्री आराम से ट्रेन में कंफर्म सीट पर यात्रा कर सकता है.

एक ट्रेन में कितने वेटिंग टिकट जारी होते?
रेलवे के अलग-अलग जोन में सीटों की निर्धारित संख्या के हिसाब से वेटिंग टिकट देने की व्यवस्था है. साउथ जोन की ट्रेनों में मैक्सिमम 10% तक ही वेटिंग टिकट दिए जाते हैं जबकि नॉर्थ जोन की कई ट्रेनों में तो स्लीपर के जितने कोच होते हैं उतनी सीटों के बराबर ही वेटिंग टिकट भी बुक कर दिए जाते हैं. पुष्पक एक्सप्रेस की बात की जाए तो इसमें पांच स्लीपर कोच लगते हैं और लगभग 360 के करीब कंफर्म टिकट हो सकते हैं, लेकिन इतनी ही वेटिंग टिकट भी दे दी जाती है, इसलिए इस ट्रेन में कंफर्म सीट के यात्रियों को भी वेटिंग से सफर करने वाले यात्रियों के चलते यात्रा में काफी दिक्कत उठानी पड़ती

waiting ticket new rules kab se lagu hoga railway news irctc 2024 in hindi
रेलवे वेटिंग कम करने के लिए ये करने जा रहा. (photo credit: etv bharat gfx)

वेटिंग को लेकर हो रही अब ये तैयारी
रेलवे बोर्ड को सुझाव दिया गया हैं कि कन्फर्म होने वाले टिकटों से दस फीसदी अधिक ही वेटिंग टिकट जारी किए जाएं. इसके लिए रेलवे एआई तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है. मान लीजिए यदि 44 वेटिंग है तो इसमें 40 टिकट कन्फर्म होने के बाद सिर्फ दस फीसदी टिकट यानी चार ही वेटिंग बचेगी. इससे वेटिंग लिस्ट लंबी नहीं होगी और यात्रियो को परेशान नहीं होना पड़ेगा. बताया जा रहा है कि रेलवे इस पर काफी तेजी से काम कर रहा है. इसे पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम नाम दिया गया है. बताया जा रहा है कि दिसंबर तक इसे रेलवे कुछ मंडलों में लागू करने की तैयारी कर रहा है.

वेटिंग टिकट है और सीट खाली है तब क्या करें...
अगर आपका टिकट वेटिंग में है और स्लीपर में कोई सीट खाली है तो आप सीधे टीटीई से बात करिए. यह सीट आपको मिल जाएगी. आपको इसके लिए आपको किसी भी तरह के अतिरिक्त पैसे देने की जरूरत नहीं है.

वेटिंग अब जनरल में ही यात्रा के लिए मान्य
उत्तर रेलवे की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा का कहना है कि विंडो वेटिंग टिकट सिर्फ जनरल कोच में यात्रा के लिए ही मान्य होती है. अगर यात्री के पास विंडो वेटिंग टिकट है तो वह स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करने के लिए पात्र नहीं होता है. जब आरएसी या कंफर्म सीट हो तभी यात्रा कर सकते हैं. हां यह जरूर है कि अगर एक पीएनआर पर पांच से से छह यात्रियों के टिकट भी हैं और उसमें से अगर एक भी टिकट कंफर्म है तो सभी यात्री कोच में यात्रा कर सकते हैं. वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर कोच में यात्रा करने वाले यात्री कंफर्म सीट वाले यात्रियों के लिए समस्या खड़ी करते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है. आरपीएफ भी ट्रेन में गश्त करती है. वेटिंग यात्री को टीटीई या तो अगले स्टेशन पर उतारता है या फिर उसे जनरल कोच में भेजा जाता है और जुर्माना भी वसूल किया जाता है. यात्रियों से अपील है कि वह वेटिंग टिकट लेकर जनरल कोच में ही यात्रा करें.

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Last Updated : Aug 1, 2024, 12:43 PM IST
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