कुरुक्षेत्र: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर ईटीवी भारत की टीम हरियाणा के 90 विधानसभा क्षेत्र में जा रही है. जहां ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम हरियाणा वोटर बोल्या में लोगों से बातचीत कर जानने का प्रयास किया जा रहा है कि उनके मौजूदा विधायक ने 5 साल के कार्यकाल में कितना काम किया है. जनता उनके वादों और कामों से कितनी खुश है. क्या 5 सालों में विधायकों ने अपने इलाके की जनता के साथ किए वादों को पूरा किया है? आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता के क्या मुद्दे रहने वाले हैं और मौजूदा सरकार से वे कितने संतुष्ट है. आज हमारी टीम पहुंची है कुरुक्षेत्र के पिहोवा विधानसभा क्षेत्र में, जहां लोगों ने खास बातचीत के जरिए इलाके का हाल बताया है.
2019 में पहली बार खिला था कमल: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में इतिहास में पहली बार बीजेपी ने कुरुक्षेत्र की पिहोवा विधानसभा में जीत हासिल की थी. जनता ने बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व इंटरनेशनल हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह को अपना विधायक चुना था. लोगों को उम्मीद थी कि बीजेपी के विधायक विकास कार्य करेंगे. लेकिन आज लोगों का कहना है कि पहली बार विधायक बनाए जाने के बावजूद भी यहां बीजेपी विधायक संदीप सिंह उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए हैं. जिसके चलते अब इस चुनाव में बीजेपी पर शायद ही यहां की जनता भरोसा करें.
सरस्वती तीर्थ के नाम से जाना जाता है पिहोवा: पिहोवा विधानसभा की बात करें यह एक धार्मिक स्थल है. जो महाभारत की 48 कोश भूमि में आता है. यहां पर हिंदू संस्कृति से जुड़ा हुआ सरस्वती तीर्थ है, जो भारत ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है. यहां पर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान पिंडदान इत्यादि करने के लिए दूसरे राज्यों से भी लोग यहां पर आते हैं. सरस्वती तीर्थ होने के बावजूद यहां पर समस्याओं बहुत हैं. यहां के स्थानीय लोगों ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि जनता को काफी उम्मीदें थी. जिसके चलते यहां से संदीप सिंह को विधायक बनाया था. लेकिन उन्होंने सरस्वती तीर्थ का उद्धार उतना नहीं किया जितना होना चाहिए था.
विधायक से सीधे मंत्री बनने का अवसर!: बीते कई विधानसभा चुनाव के बाद देखने को मिल रहा है कि यहां से जो भी विधायक चुने जाते हैं, उनको सीधे हरियाणा सरकार में मंत्री पद बिठाया जाता है. पहले भी यहां पर इनेलो और कांग्रेस पार्टी से जो विधायक बने हैं, वह मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं. 2019 में बीजेपी की सीट पर यहां संदीप सिंह ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. उसके बाद उसको खेल मंत्री का पद मिला है. यहां से मंत्री होने के बावजूद भी यहां पर विकास कार्य नहीं किए गए हैं. जिसके चलते लोगों में थोड़ी नाराजगी है.
खेल मंत्री नहीं बनवा पाए स्टेडियम: स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के विधायक संदीप सिंह को खेल मंत्री का पद मिला था. तब लोगों ने उनके सामने पहली मांग रखी थी कि उनके विधानसभा क्षेत्र में एक अच्छा स्टेडियम बनवाया जाए. ताकि बच्चे खेल के प्रति जागरूक हो सके और यहां अभ्यास कर सके. लेकिन उनकी ये मांग पूरी नहीं की गई है. हालांकि खेल मंत्री होने के बावजूद भी अगर उनके क्षेत्र में स्टेडियम नहीं बनाया गया. कहीं न कहीं यहां के विधायक की एक बड़ी कमी भी मानी जा रही है कि वह अपने कार्यकाल के दौरान विकास नहीं करवा पाए थे.
क्षेत्र में पनप रही समस्याएं: स्थानीय लोगों का कहना है कि बीजेपी ने गाय माता के नाम पर वोट मांगे थे. लेकिन शहर में आवारा पशुओं की भरमार है. जिसके चलते हर रोज हादसे हो रहे हैं. सरकार और प्रशासन को इसके बारे में अवगत करा चुके हैं, लेकिन कोई भी समाधान नहीं किया जा रहा है. काफी लंबे समय से एक पुल का निर्माण कार्य अधर में लटका पड़ा है. आज तक उस पुल का निर्माण नहीं किया गया है. इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अपराध भी लगातार बढ़ता जा रहा है.
स्थानीय प्रत्याशी की उठी मांग: स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले पांच सालों से संदीप सिंह विधायक हैं, जो मूल रूप से शाहबाद विधानसभा के रहने वाले हैं. लेकिन फिर भी इलाके में कोई विकास कार्य नहीं हो पाए हैं. संदीप सिंह ने यहां पर कोई काम नहीं किया है. ऐसे में लोगों में मंत्री के खिलाफ खासी नाराजगी नजर आई. वे चाहते हैं कि जो भी पार्टी अपने उम्मीदवार को यहां पर उतारे, तो वह उनके स्थानीय नेता को भी टिकट देकर जनता के बीच भेंजे. स्थानीय नेता को टिकट न देने पर स्थानीय जनता इसका विरोध करेगी. लोगों की सबसे पहली मांग है कि उनके क्षेत्र में इस बार स्थानीय नेता को ही टिकट दिया जाए.
लोगों को चाहिए ऐसा प्रत्याशी चाहिए: स्थानीय निवासियों का कहना है कि दूसरी विधानसभा से आए किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को वे बिल्कुल समर्थन नहीं करेंगे. स्थानी नेता को ही टिकट दिए जाने की मांग यहां के लोगों द्वारा की जा रही है. लोगों का मानना है कि स्थानीय नेताओं को ही इलाके की समस्याओं के बारे में ज्यादा जानकारी होती है. इसलिए वे स्थानीय विधायक को ही अपने बीच चाहते हैं. जनता की आवाज को विधानसभा तक पहुंचाने का काम करे.