नई दिल्ली: 22 मार्च को होने वाले जेएनयू छात्रसंघ चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं. इसी क्रम में मंगलवार को चुनाव समिति ने मतदाता सूची जारी कर दी. नई मतदाता सूची के अनुसार इस बार कुल 7751 से छात्र छात्राएं छात्रसंघ चुनाव में मतदान करेंगे. जेएनयू छात्र संघ के चुनाव का कार्यक्रम रविवार देर रात घोषित किया गया था. इसके अनुसार 22 मार्च को मतदान होना है.
जेएनयू छात्रसंघ की चुनाव समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार ने बताया कि इस बार की मतदाता सूची में कई कोर्सेज बढ़ने के कारण मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी होने की संभावना थी. लेकिन एमफिल का कोर्स बंद होने के कारण करीब तीन हजार सीटें कम होने से नए दाखिलों की संख्या में कमी आई है. इसकी वजह से मतदाताओं की संख्या कम हुई है. जब 4 साल पहले वर्ष 2019 में जेएनयू छात्र संघ का चुनाव हुआ था तो उस समय 8000 से अधिक मतदाता थे.
बताया जा रहा है कि एमफिल का कोर्स बंद नहीं होता तो मतदाताओं की संख्या 11 हजार होती. 2019 में चुनाव के दौरान कल 5760 छात्राओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. बता दें, जेएनयू छात्र संघ चुनाव में 2016 के बाद से लगातार सभी पदों पर वामपंथी छात्र संगठनों का कब्जा रहा है. चारों प्रमुख वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट फेडरेशन (डीएसएफ) मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ते हैं और चारों आपस में एक-एक सीट बांट लेते हैं. जिसकी वजह से इनके खिलाफ लड़ने वाले इकलौते छात्र संगठन विद्यार्थी परिषद को बड़ी हार का सामना करना पड़ता है.
वामपंथी छात्र संगठनों में आइसा भाकपा माले की छात्र इकाई है. जबकि, डीएफएफ सीपीआई की और एसएफआई सीपीआई एम की छात्र इकाई है. एआईएसएफ स्वतंत्र छात्र संगठन है. वह किसी राजनीतिक पार्टी की छात्र इकाई नहीं है. यह एक स्वतंत्र वामपंथी छात्र संगठन है.
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जेएनयू में इन चार संगठनों के अलावा फिर सबसे सक्रिय छात्र संगठन विद्यार्थी परिषद ही है. 2016 के चुनाव एबीवीपी ने एक सीट संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल की थी. तबसे चुनाव में विद्यार्थी परिषद को किसी पद पर जीत नसीब नहीं हुई है. लेकिन, इस बार के चुनाव में विद्यार्थी परिषद को भी अपने पक्ष में कुछ माहौल नजर आ रहा है. साथ ही पिछले साल सीयूईटी के माध्यम से दाखिले होने की वजह से कुछ अलग विचारधारा के छात्र छात्राओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से विद्यार्थी परिषद को इस बार पहले से बेहतर प्रदर्शन का भरोसा है.
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